Connect with us

Hi, what are you looking for?

कहिन

वाह! झूठ और फरेब का ‘सहारा’

: सहारागंज मॉल को मिले अनापत्ति प्रमाण पत्र पर खड़ा हुआ विवाद : लखनऊ। पैसों के चक्कर में सरकारी अफसर नियम-कानून को खूंटी पर टांग देते हैं। सही को गलत और गलत को सही ठहराने में जुट जाते हैं। यदि पैसे हैं तो पैसों के बल पर झूठ और फरेब करना कितना आसान हो जाता है इसका उदाहरण लखनऊ शहर में बने सबसे आलीशान मार्केट सहारागंज मॉल को देखने और उसकी सच्चाई जानने के बाद पता चल जाता है।

<p style="text-align: justify;">: <strong>सहारागंज मॉल को मिले अनापत्ति प्रमाण पत्र पर खड़ा हुआ विवाद</strong> : लखनऊ। पैसों के चक्कर में सरकारी अफसर नियम-कानून को खूंटी पर टांग देते हैं। सही को गलत और गलत को सही ठहराने में जुट जाते हैं। यदि पैसे हैं तो पैसों के बल पर झूठ और फरेब करना कितना आसान हो जाता है इसका उदाहरण लखनऊ शहर में बने सबसे आलीशान मार्केट सहारागंज मॉल को देखने और उसकी सच्चाई जानने के बाद पता चल जाता है।</p> <p style="text-align: justify;" />

: सहारागंज मॉल को मिले अनापत्ति प्रमाण पत्र पर खड़ा हुआ विवाद : लखनऊ। पैसों के चक्कर में सरकारी अफसर नियम-कानून को खूंटी पर टांग देते हैं। सही को गलत और गलत को सही ठहराने में जुट जाते हैं। यदि पैसे हैं तो पैसों के बल पर झूठ और फरेब करना कितना आसान हो जाता है इसका उदाहरण लखनऊ शहर में बने सबसे आलीशान मार्केट सहारागंज मॉल को देखने और उसकी सच्चाई जानने के बाद पता चल जाता है।

सहारागंज मॉल की बुनियाद रखने में पैसों ने इतना कमाल दिखाया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने आस-पास का मानचित्र ही बदल कर रख दिया। सहारागंज मॉल से केन्द्रीय संरक्षित स्मारक शाहनजफ इमामबाड़ा की दूरी 102 मीटर और चिरैया झील की दूरी 69 मीटर बताकर खुद ही नए विवाद को जन्म दे दिया है। अब तो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के निदेशक द्वारा कार्टन होटल के मालिक और सहारागंज के निर्माण को दिए गए अनापत्ति प्रमाण पत्र पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। इसके साथ ही पुरातत्व विभाग का दोहरा मापदंड भी सामने खुलकर आ गया है कि उसने केन्द्रीय संरक्षित स्मारक के आस-पास बने दूसरे अवैध निर्माण को तो नोटिस जारी कर दिया मगर सहारागंज मॉल के निर्माण पर विभागीय अफसर मुंह खोलने तक तैयार नहीं हैं।

सहारागंज मॉल के निर्माण को लेकर भारतीय पुरातत्व विभाग कटघरे में खड़ा हो गया है। अधिवक्ता व आरटीआई ऐक्टिविस्ट एसपी मिश्र ने विभाग के जनसूचना अधिकारी से संरक्षित इमारत शाहनजफ इमामबाड़ा और संरक्षित चिरैया झील से सहारागंज मॉल की दूरी, संरक्षित इमारत का दायरा व चारों ओर प्रतिबंधित क्षेत्र, सहारागंज मॉल निर्माण को अनापत्ति प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया व अधिकारी आदि का नाम बताने समेत अन्य अवैध निर्माण की जानकारी मांगी थी। श्री मिश्र का कहना है कि जो जानकारी पुरातत्व विभाग ने मुहैया कराई है वह बेहद चौकाने वाली है। लगता है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक ने 21 जून 2002 को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करते समय सारे नियम व कानून ताक पर रख दिए। सिर्फ सहारागंज मॉल के निर्माण की ऊंचाई 22.50 मीटर तक प्रतिबंधित करते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया।

अधिवक्ता का कहना है कि पुरातत्व विभाग के केन्द्रीय महानिदेशक को यह अनापत्ति प्रमाण पत्र तो जारी ही नहीं करना चाहिए था। चूंकि यह लखनऊ मंडल का मामला है इसलिए मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद को ही अधिकार है कि वह अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करे। मगर उन्होंने दबाव के चलते स्थानीय अफसरों के अधिकारों को छीनते हुए इसलिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया कि अगर कहीं मंडल स्तर पर संरक्षित इमारत के आस-पास की दूरी की नाप-जोख की जाएगी तो आलीशान मॉल की योजना खटाई में पड़ जाएगी।

श्री मिश्र ने पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित चिरैया झील व शाहनजफ इमामबाड़े से सहारागंज माल की दूरी क्रमश: 69 मीटर व 102 मीटर बताए जाने पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा है कि विभाग द्वारा दोनों की दूरियां जान-बूझ कर ज्यादा दर्शाई गई हैं। इससे लगता है कि बड़ा खेल खेला गया है। आरटीआई द्वारा दिए जवाब में पुरातत्व विभाग के केन्द्रीय महानिदेशक द्वारा जो अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया है उसमें सहारागंज मॉल या उसके मालिक का कहीं जिक्र तक नहीं है। प्रमाण पत्र में कार्टन होटल व उसके मालिक के नाम का उल्लेख किया गया है। विभाग की इस पूरी प्रक्रिया पर इसलिए भी संदेह हो रहा है कि अगर संरक्षित इमारत के चारों तरफ 100 मीटर का क्षेत्र प्रतिबंधित है और चिरैया झील से सहारागंज माल की दूरी सिर्फ 69 मीटर ही (जैसा कि विभाग ने गूगल सर्च और विभागीय नाप-जोख के आधार पर दूरी दर्शाई है) है तो चिरैया झील की दूरी को क्यों नजरअंदाज कर दिया गया? डीएनए ने जब लखनऊ मंडल के उप अधीक्षण पुरातत्वविद् इंदू प्रकाश से यही सवाल किया तो वे चुप्पी साध गए। उन्होंने कहा कि यह सवाल आप केन्द्रीय महानिदेशक से पूछिए। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता हूं। यह अनापत्ति प्रमाण पत्र दिल्ली से जारी किया गया है।

लेखक श्रीप्रकाश तिवारी लखनऊ से प्रकाशित डेली न्‍यूज एक्टिविस्‍ट से जुड़े हुए हैं. उनका यह लेख डीएनए में प्रकाशित हो चुका है, वहीं से साभार लिया गया है.

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

Uncategorized

मीडिया से जुड़ी सूचनाओं, खबरों, विश्लेषण, बहस के लिए मीडिया जगत में सबसे विश्वसनीय और चर्चित नाम है भड़ास4मीडिया. कम अवधि में इस पोर्टल...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement