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कानाफूसी

सीएम को देखते ही चापलूसी पर उतर आए आलोचक पत्रकार

रोहतक। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक के हैं, यह तो सभी जानते होंगे, लेकिन यह बात बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि रोहतक का होने के बावजूद भूपेंद्र सिंह हुड्डा का रोहतक के पत्रकारों के प्रति ज्यादा मोह नहीं है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने साढ़े छह साल के मुख्यमंत्रित्व काल में तो सिर्फ तीन बार ही रोहतक के पत्रकारों से औपचारिक तौर पर अपनी ओर से रूबरू हुए हैं।

<p style="text-align: justify;">रोहतक। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक के हैं, यह तो सभी जानते होंगे, लेकिन यह बात बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि रोहतक का होने के बावजूद भूपेंद्र सिंह हुड्डा का रोहतक के पत्रकारों के प्रति ज्यादा मोह नहीं है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने साढ़े छह साल के मुख्यमंत्रित्व काल में तो सिर्फ तीन बार ही रोहतक के पत्रकारों से औपचारिक तौर पर अपनी ओर से रूबरू हुए हैं।</p>

रोहतक। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक के हैं, यह तो सभी जानते होंगे, लेकिन यह बात बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि रोहतक का होने के बावजूद भूपेंद्र सिंह हुड्डा का रोहतक के पत्रकारों के प्रति ज्यादा मोह नहीं है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने साढ़े छह साल के मुख्यमंत्रित्व काल में तो सिर्फ तीन बार ही रोहतक के पत्रकारों से औपचारिक तौर पर अपनी ओर से रूबरू हुए हैं।

एक बार जब शुरुआत में, जब वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, दूसरी बार करीब तीन साल पहले और तीसरी बार 12 अक्टूबर 2011 को। हालांकि बीच-बीच में पत्रकारों के कुछ गुट अपने-अपने स्वार्थों के चलते उनसे मिलते रहे हैं। वहीं इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथी सिर्फ मुख्यमंत्री की बाइट के लिए गए हैं। पत्रकारों से इसी दूरी के कारण अक्‍सर मुख्यमंत्री पत्रकारों के बीच में आलोचना का शिकार होते रहे हैं। जब भी पत्रकार इकट्ठा होते हैं, या फिर अलग-अलग मिलते हैं और हुड्डा का जिक्र आता है तो सबके मुख पर आलोचना ही होती है। लेकिन सामने आते ही यह आलोचना करने वाले पत्रकार गिरगिट की तरह रंग बदल जाते हैं। आलोचना चमचागिरी और चारणगिरी में बदल जाती है।

ऐसा ही वाक्या दिनांक 12 अक्टूबर को फिर देखने को मिला। हिसार उपचुनाव में कई दिन तक धुंआधार प्रचार के बाद मुख्यमंत्री आराम के मूड में थे। इसलिए रोहतक में अपने आवास पर आ गए। जिला लोकसंपर्क विभाग की ओर से सभी पत्रकारों के लिए मुख्यमंत्री के घर पर दोपहर 12 बजे वार्तालाप और एक बजे हरियाणा पर्यटन विभाग के रेस्टोरेंट में लंच का इंतजाम किया गया। इस सूचना पर सभी पत्रकार ठीक समय पर मुख्यमंत्री के घर पहुंच गए। मुख्यमंत्री भी सही समय पर आ गए। एक बार तो मुख्यमंत्री इतने सारे पत्रकारों को एक साथ अपने घर पर देखकर चकित भी हुए। फिर शुरू हो गई हिसार उपचुनाव की चर्चा। बस फिर क्या था मुख्यमंत्री के पास बैठे कथित तौर पर वरिष्ठ पत्रकारों ने चारणगिरी और चमचागिरी शुरू कर दी। सब तुरंत विशेषज्ञ हो गए और तुरंत ही कांग्रेस के पक्ष में अपनी राय रखनी शुरू कर दी।

यहां पर जिक्र चल पड़ा टोटल टीवी चैनल का, जिसका प्रसारण पिछले दिनों हरियाणा के कई जिलों में बंद करवा दिया गया था। वजह यह थी कि इस चैनल ने हिसार उपचुनाव को लेकर एक सर्वेक्षण दिखाया जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी को सभी हलकों में तीसरे नंबर पर दिखाया गया था। चूंकि टोटल टीवी का यह सर्वेक्षण कांग्रेस पार्टी के खिलाफ था, इसलिए मुख्यमंत्री का विरोध करना लाजिमी था, लेकिन यहां पर कई पत्रकार भी मुख्यमंत्री के सुर में सुर मिलाने लग गए। अब उनसे कोई यह पूछे कि वे क्यों ऐसा कर रहे हैं। बात यहीं पर खत्म नहीं हुई, इसके बाद सभी पत्रकारों के लिए मैना रेस्टोरेंट में मुख्यमंत्री के साथ लंच करवाया गया। इस लंच का आयोजन मुख्यमंत्री हुड्डा के नजदीकी रोहतक के विधायक भारत भूषण बतरा की ओर से था। यहां पर प्रेस कांफ्रेंस भी हुई। सवाल-जवाब का सिलसिला चला, लेकिन यहां पर भी पत्रकार मुख्यमंत्री का साथ पाने और खुद को सामने दिखाने की होड़ में लगे रहे। आज इन पत्रकारों का जीवन जो धन्य हो चला था!

रोहतक से दीपक खोखर की रिपोर्ट.

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0 Comments

  1. devendra kaushik

    October 13, 2011 at 2:45 pm

    rohtak hi kyo yeh haal poore haryana me hai, chaplooson ki kami nahi hai sabhi jagah kuchh patarkar thekedar bane hue hain

  2. anuj

    October 13, 2011 at 5:56 pm

    bilkul sahi kahaa aapne

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