ब्यूरो चीफ और रिपोर्टर भिडंत प्रकरण में नया मोड़ आ गया है। दैनिक जागरण के पूर्व रिपोर्टर रहे कौशलेंद्र पांडेय के आरोपों पर दैनिक जागरण, सोनभद्र के ब्यूरो चीफ चंद्रकांत पांडेय ने जो अपना पक्ष रखा था, उसके एक-एक बिंदु का जवाब अब कौशलेंद्र पांडेय ने दिया है। साथ ही, चंद्रकांत पर कई आरोप भी लगाए हैं। सबसे बड़ा आरोप पत्रकारिता के प्रभाव का इस्तेमाल कर सोनभद्र जिले में अवैध खनन कराने का है। बी4एम को भेजे मेल में कौशलेंद्र ने अनुरोध किया है कि पूरे मामले की जांच करा ली जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। कौशलेंद्र ने जो पत्र भेजा है, वो इस प्रकार है-
संपादक, बी4एम
विषय : ब्यूरो चीफ दैनिक जागरण सोनभद्र श्री चंद्रकांत पाण्डेय द्वारा रखे गए पक्ष और लगाए गए आरोपों का बिंदुवार जवाब :-
महोदय,
प्रथम बिंदु के बारे में कहना है कि जिस समय मैं अमर उजाला में काम कर रहा था, उस समय वहां के ब्यूरो चीफ आदरणीय सुरेश पाण्डेय जी थे जो इस समय आई-नेक्स्ट के रांची एडिशन में कार्यरत हैं। बता दें कि अमर उजाला में कार्य के दौरान मेरी तबीयत काफी खराब हो गयी थी और मुझे चिकित्सक ने लंबे बेड रेस्ट की सलाह दी। इसी बीच मेरी शादी भी पड़ गई और मैंने उनसे लंबी छुट्टी की मांग की, तो उन्होंने प्राइवेट संस्थान बताते हुए लंबी छुट्टी देने में असमर्थता जतायी। तब मैंने तबीयत पूरी तरह ठीक होने तक काम छोड़ने का निर्णय ले लिया। इधर जब इस बात की जानकारी चंद्रकांत जी को हुई तो उन्होंने मुझे अपने झांसे में लेकर जागरण ज्वाइन करा दिया। इस बात की पूरी तस्दीक श्री सुरेश पाण्डेय के सेलफोन नंबर 09507501077 से किसी भी समय संपर्क कर किया जा सकता है। रही बात महज 1500 रुपये प्रति माह में वाराणसी यूनिट में काम करने की तो वाराणसी में कार्य के दौरान मेरा वेतन 4000 रुपये था। अब आते हैं हिण्डाल्को के जीएम वाली खबर पर। जिस लड़की को उन्होंने खबर का मोहरा बनाया था, उसे प्रार्थी न तब जानता था ना ही अब, जबकि चंद्रकांत पाण्डेय से उसकी काफी पहले से जान-पहचान रही है। इन्होंने खुद पहल कर जिला कचहरी के वकील रोशनलाल यादव से उस लड़की की वकालत करने का अनुरोध किया था। इसका भी प्रमाण श्री रोशन यादव के सेल नंबर 09415288807 और जी.एम. आर.एस यादव के सेल नं. 09415231585 पर संपर्क कर लिया जा सकता है। रही बात उनके इलाहाबाद तबादले के बाद ब्यूरो चीफ बनकर आये श्री हिमांशु उपाध्याय को पटाने व दही खिलाने की तो इस बात से चंद्रकांत पांडेय की मानसिकता कितनी निम्न है, इसका पता चलता है। श्री हिमांशु उपाध्याय उस दौरान हमारे ब्यूरो चीफ रहे हैं, इसलिए उनका आदर, सम्मान करना हमारा कर्तव्य ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की परंपरा है। कार्य के दौरान मैं श्री चंद्रकांत पाण्डेय का भी उतना ही आदर सम्मान करता आया हूं। यह बात अलग है कि उनकी नाजायज मांगों की पूर्ति नहीं की तो आरोपी हो गया।
द्वितीय बिंदु का उत्तर ‘पैसे का खेल’ मैंने पहले ही दे दिया है।
तृतीय बिंदु में इनके द्वारा कही गयी बातें पूरी तरह झूठी हैं। वाराणसी से आये व्यक्ति की जांच में कंप्यूटरों की खराबी का कारण वोल्टेज की प्राब्लम पाया गया था। इसके लिए उन्हें कड़े निर्देश भी मिले थे, और आज की तिथि में भी लो वोल्टेज की समस्या कायम है।
चौथे बिंदु के बारे में कहना है कि खबर रिपीट के लिए पूरी तरह चंद्रकांत पाण्डेय जिम्मेदार है। अगर ये मेरा काम था तो सोनभद्र कार्यालय से ओबरा या वाराणसी तबादले के दौरान जो खबरें रिपीट हुईं, वह किसका काम था? यह बात भी तो उनके द्वारा बतायी जानीं चाहिए। रही बात ‘सत्य पर असत्य की जीत’ कथित शीर्षक के हेडिंग या इंट्रो की, तो यहां मैं बता देना चाहूंगा कि उक्त न्यूज श्री चंद्रकांत पाण्डेय ने चेक की थी और जान-बूझ कर मुझे फंसाने के लिए उक्त गड़बड़ी कर दी। डाक प्रभारी द्वारा इसके लिए 10 दिन बैठाने के निर्देश में सही बात यह है कि वाराणसी के डाक प्रभारी आदरणीय जयप्रकाश पाण्डेय जी हैं, और उस दिन वह किसी जिले में कार्यशाला के सिलसिले में गये थे। उस दिन काम का चार्ज किसी और के पास था। इस संबंध में श्री चंद्रकांत जी ने गोपनीय तरीके से मुझे दोषी ठहराते हुए शिकायत तो की ही, कार्रवाई की जिद शुरू कर दी। इनकी जिद को देखते हुए उन्होंने सप्ताह भर की सहमति दी, तो उन्होंने खुद के मन से उसे बढ़ा कर 10 दिन कर दिया। अगली कार्यतिथि को कार्यालय आने पर जब मुझे इसकी जानकारी हुई, तो सही तथ्यों की जानकारी वाराणसी कार्यालय को दी, तब मुझे वाराणसी बुला लिया गया।
पांचवें बिंदु के बारे में कहना है कि जब वाराणसी में मेरा कार्य सही पाया गया, तो उनके द्वारा फिर एरिया मैनेजर श्री गोविंद श्रीवास्तव का सहारा लिया गया और सोनभद्र में काम में काफी दिक्कत आने की बात कह कर वापस करा लिया गया। जबकि मैंने आदरणीय समाचार संपादक व आदरणीय डाक प्रभारी से वापस न भेजने का अनुरोध किया था और आगे भी इनके कृत्यों से त्रस्त होकर वापस वाराणसी बुलाने के लिए अनुरोध करता रहा।
छठें विंदु के बारे में भी पहले वाले अप्लीकेशन में बातें स्पष्ट की जा चुकी हैं। रही बात सतीश भाटिया से संपर्क की उनसे वही संपर्क-संबंध है जो एक पत्रकार का दूसरे पत्रकार से होता है। रही ब्यूरो चीफ से मतलब रखने की बात तो जो एक इंचार्ज और एक मातहत का रिश्ता होता है, वह कार्य के दौरान बराबर बना हुआ था। रहा अलग से संबंध रखने का सवाल तो यह बात मैंने ओबरा का प्रभार लेने के बाद ब्यूरो चीफ व बशीर बेग दोनों लोगों से साफ कर दी थी कि मैं ना तो उनकी कोई नाजायज मांग पूरी कर सकता हूं, ना ही उनके किसी अवैध कार्य में किसी तरह का सहयोग ही दे सकता हूं।
20-20 क्रिकेट कूपन की सही स्थिति क्या है, यह पूर्व की खबर में स्पष्ट कर चुका हूं, जिसमें ब्यूरो चीफ महोदय द्वारां 55 कूपन के पैसे के घालमेल की बात भी शामिल है।
आठवें बिंदु के बारे में उनके द्वारा जांच के लिए खुद को तैयार बताया गया है, के बारे में मेरा कहना है कि मैं नौकरी नहीं, निष्पक्ष जांच की ही मांग कर रहा हूं।
अब आते हैं आखिरी सवाल पर, तो बता दें कि श्री बेग तो अवैध खनन में लिप्त हैं ही, श्री चंद्रकांत पाण्डेय की भी संलिप्तता सामने आयी है, जिसकी सरकारी तौर पर जांच आने पर डाला चौकी इंचार्ज ने 22 जून 2009 को खदान बंद करा दिया, जिसे चालू कराने के लिए इनका प्रयास जारी है।
एक बात और, इनके द्वारा दूसरों पर गलत आरोप लगाने का शिकार सिर्फ मैं ही नहीं हुआ हूं, इसके पूर्व तमाम रिपोर्टर भी भुगत चुके हैं जिसमें हैदर खान, विजय विनीत, उमेश पाठक, सुरेश कुमार आदि प्रमुख हैं। इनके द्वारा बखूबी इनके कृत्यों को मैनेजेमेण्ट के सामने रखा जा चुका है। विजय विनीत के मामले में श्री चंद्रकांत पाण्डेय द्वारा व्यापार मण्डल के जिलाध्यक्ष रतनलाल गर्ग के विज्ञापन में 3000 रुपये की गलती किया जाना पकड़ा जा चुका है। बाद में जांच में पकड़े जाने पर इनके द्वारा जमा भी किया गया। हर बार की तरह इस मामले में भी एरिया मैनेजर गोविंद श्रीवास्तव के गठजोड़ से इसके लिए किसी और को जवाबदेह ठहरा दिया गया।
आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि मेरी बातों को सम्मानित पोर्टल पर जगह देने की कृपा करेंगे।
दिनांक : 24.6.2009
कौशलेन्द्र पाण्डेय
सोनभद्र
मोबाइल नंबर : 09451170393