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16वीं बार नंबर वन बनने से जागरण गदगद

दैनिक जागरण ने आज पहले पन्ने पर नंबर वन बनने की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की है. साथ ही नीचे एक बड़ा विज्ञापन प्रकाशित कर अपने पाठकों को धन्यवाद दिया है. जागरण में प्रकाशित खबर में इस बात का प्रमुखता से उल्लेख किया गया है कि जागरण ऐसा पहला अखबार है जो लगातार 16 बार नंबर वन की कुर्सी पर कायम है. आइए पढ़ें, जागरण में प्रकाशित खबर…

दैनिक जागरण ने आज पहले पन्ने पर नंबर वन बनने की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की है. साथ ही नीचे एक बड़ा विज्ञापन प्रकाशित कर अपने पाठकों को धन्यवाद दिया है. जागरण में प्रकाशित खबर में इस बात का प्रमुखता से उल्लेख किया गया है कि जागरण ऐसा पहला अखबार है जो लगातार 16 बार नंबर वन की कुर्सी पर कायम है. आइए पढ़ें, जागरण में प्रकाशित खबर…

दैनिक जागरण फिर बना नंबर वन

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : दैनिक जागरण अखबार पाठकों की संख्या के लिहाज से लगातार अव्वल बना हुआ है। इंडियन रीडरशिप सर्वे 2010 की तीसरी तिमाही के मुताबिक दैनिक जागरण को यह गौरव 16वीं बार प्राप्त हुआ है। भारतीय मीडिया में ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई समाचार पत्र लगातार 16 बार अव्वल रहा हो।

दैनिक जागरण की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रीडरशिप सर्वे में दूसरे स्थान पर रहने वाले समाचार पत्र और दैनिक जागरण के बीच 2.09 करोड़ पाठकों का बड़ा अंतर है। सर्वे के मुताबिक तीसरी तिमाही में दैनिक जागरण के पाठकों की संख्या 5.47 करोड़ रही है। पाठकों की संख्या के मामले में अव्वल रहने के अलावा दैनिक जागरण को दूसरी बार कंज्यूमर सुपर ब्रांड का दर्जा प्राप्त हुआ है। साथ ही समाचार पत्र को बिजनेस सुपरब्रांड का दर्जा भी मिला है।


जागरण में पाठकों को धन्यवाद देते हुए जो विज्ञापन पहले पेज पर प्रकाशित किया गया है, वो इस प्रकार है-

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0 Comments

  1. khush mijaj

    December 3, 2010 at 9:27 am

    jai jagran….dam hai tabhi to number one hai

  2. विदुर

    December 3, 2010 at 9:56 am

    लेकिन जागरण के स्टाफ दिन से दिन कुपोषण के शिकार होते जा रहे है। निकम्मे और अयोग्य संपादकों को लगता है कि उन्ही की बदौलत ये बढ़ोत्तरी हुई है, हकीकत कुछ और है। हिंदी पट्टी की सक्षरता में बृद्धि अभी कचड़े-कूड़े को भी नंबर-1 बना देगी। जागरण के भले ही 5 करोड़ पाठक हों लेकिन इसकी धमक कितनी है? क्या यह पीआर जर्नलिज्म से ऊपर उठ पाया है? इसके सारे रिपोर्टर और संपादक थानेदारों जैसे बसूली में लगे रहते हैं। बनियों के हाथ में फंस चुकी इस पत्रकारिता पर घिन आती है।

  3. rajeshwar singh

    December 3, 2010 at 11:48 am

    पारले जी बिस्किट दुनिया में सर्वाधिक बिकने वाला बिस्किट सिर्फ इसलिए है मात्र दो और पांच रूपये कीमत में पूरे देश में मिलता है. इसका मतलब यह ती नहीं लगाया जा सकता कि यह गुणवत्ता में भी विश्व का न. १ बिस्किट है…….यह तो सारा जनसंख्या का गणित है.

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