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बाय अमर उजालाः कमलेश दीक्षित

पिछले 21 वर्षों से अमर उजाला समूह से जुड़े कमलेश दीक्षित ने अब इस संस्थान का साथ छोड़ दिया है। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वे इन दिनों अमर उजाला के नोएडा मुख्यालय में बतौर जनरल मैनेजर एंड नेशनल हेड (बिजनेस डेवलपमेंट) के रूप में काम देख रहे थे। खबर है कि वे बड़े पद और पैकेज पर  डीएलए  समूह ज्वाइन करने वाले हैं। डीएलए के निदेशक पहले अमर उजाला समूह के ही पार्ट थे,  जो बाद में अलग होकर डीएलए और डीएलए एम नामक दो अलग अखबार ले आए।

<p>पिछले 21 वर्षों से अमर उजाला समूह से जुड़े कमलेश दीक्षित ने अब इस संस्थान का साथ छोड़ दिया है। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वे इन दिनों अमर उजाला के नोएडा मुख्यालय में बतौर जनरल मैनेजर एंड नेशनल हेड (बिजनेस डेवलपमेंट) के रूप में काम देख रहे थे। खबर है कि वे बड़े पद और पैकेज पर  डीएलए  समूह ज्वाइन करने वाले हैं। डीएलए के निदेशक पहले अमर उजाला समूह के ही पार्ट थे,  जो बाद में अलग होकर डीएलए और डीएलए एम नामक दो अलग अखबार ले आए। </p>

पिछले 21 वर्षों से अमर उजाला समूह से जुड़े कमलेश दीक्षित ने अब इस संस्थान का साथ छोड़ दिया है। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वे इन दिनों अमर उजाला के नोएडा मुख्यालय में बतौर जनरल मैनेजर एंड नेशनल हेड (बिजनेस डेवलपमेंट) के रूप में काम देख रहे थे। खबर है कि वे बड़े पद और पैकेज पर  डीएलए  समूह ज्वाइन करने वाले हैं। डीएलए के निदेशक पहले अमर उजाला समूह के ही पार्ट थे,  जो बाद में अलग होकर डीएलए और डीएलए एम नामक दो अलग अखबार ले आए।

डीएलए आगरा,  मेरठ, गाजियाबाद, झांसी समेत कई शहरों से प्रकाशित हो रहा है और जल्द ही यह आधा दर्जन से अधिक शहरों से प्रकाशित होने वाला है। जानकारों का कहना है कि डीएलए से कमलेश दीक्षित का  जुड़ना अमर उजाला के लिए बड़ा झटका है और डीएलए की बड़ी सफलता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य उत्तर प्रदेश के मार्केट के एक्सपर्ट कहे जाने वाले कमलेश दीक्षित के कंधों पर डीएलए को इन्हीं इलाकों में लांच कराने और उन्हें स्थापित करने की जिम्मेदारी है। पर अभी इन सूचनाओं की आधिकारिक पुष्टि होनी बाकी है। संपर्क किए जाने पर कमलेश दीक्षित ने स्पष्ट तौर पर बताया कि उन्होंने अमर उजाला से इस्तीफा दे दिया है लेकिन जा कहां रहे हैं,  यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। उनके सामने कई तरह के प्रस्ताव हैं जिस पर वे अगले कुछ दिनों में फैसला लेंगे।

कमलेश दीक्षित उन खांटी हिंदी वालों में शुमार किए जाते हैं जो बेहद ग्रास रूट लेवल से अपना करियर शुरू कर अपनी प्रतिभा और तेजी के बल पर कुछ ही दिनों में अपने क्षेत्र के स्थापित नाम बन गए। वर्ष 1976 में दैनिक जागरण, कानपुर से बतौर सरकुलेश इंसपेक्टर अपना कार्य शुरू करने वाले कमलेश दीक्षित लगातार सफलता के पायदान चढ़ते गए। वे लंबे समय तक अमर उजाला,  कानपुर के सर्वेसर्वा रहे। अपनी सफलता के पीछे कोई एक वजह पूछे जाने पर वे सिर्फ और सिर्फ ईश्वर की कृपा का उल्लेख करते हैं। अपने जीवन का मूल मंत्र वे समपर्ण और निष्ठा,  ईमानदारी से काम (डेडीकेशन एंड लायल्टी, टू वर्क विथ आनेस्टी) को मानते हैं।

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