किताब में न सिर्फ टेलीविजन की दुनिया के अनुरूप शब्दों और वाक्यों के बारे में तफ्सील से लिखा गया है, बल्कि स्लग, टॉपिक, प्रोमो, हेडलाइंस, एंकर या फिर रिपोर्टर की भाषा पर अलग-अलग चैप्टर बनाकर विस्तारपूर्वक बताया गया है। इस किताब सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें हर टॉपिक पर ढेरों उदाहरण दिए गए हैं। नए-नए विद्यार्थियों के लिए सबसे बड़ा फायदा ये है कि वो इस किताब से टेलीविजन पत्रकारिता की दुनिया से वाकिफ हो सकेंगे। अगर उन्हें न्यूज चैनल में काम करना है तो वो इस किताब के जरिए टीवी की दुनिया की भाषा से परिचित हो सकेंगे। यही नहीं इसमें स्क्रिप्टिंग को लेकर न सिर्फ विस्तार से बताया गया है, बल्कि चौदह उदाहरण भी दिए गए हैं। खुद लेखक के मुताबिक “मैं पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद जब न्यूज चैनल में काम करने के लिए आया तो एक नई तरह की दुनिया सामने नजर आई, ऐसे में मुझे यही लगता रहा कि जो पढ़ाई मैंने की, आखिर वो किस काम की है। इसके बाद मैंने एक ऐसी किताब लिखने का फैसला किया, जो पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले लोगों को व्यवहारिक ज्ञान दे सके।”
इस किताब में सिर्फ पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि पेशेवर पत्रकारों के लिए भी काफी कुछ है। इसमें एंकर की भाषा और रिपोर्टर की जुबान पर अलग-अलग चर्चा की गई है। यही नहीं इस किताब में छोटी-छोटी बारीकियों को भी समेटने की कोशिश की गई है। मसलन स्त्रीलिंग-पुल्लिंग, वचन, मुहावरे और लोकोक्तियां का भी एक अच्छा खासा संग्रह दिया गया है। भाषा को लेकर कानूनी बारीकियों को भी इसमें समेटने की कोशिश की गई है। इस किताब के आमुख को लिखा है टेलीविजन की दुनिया के वरिष्ठतम पत्रकारों में से एक राजदीप सरदेसाई ने।
राजदीप ने कहा कि इस किताब को हर टेलीविजन पत्रकारों को जरूर पढ़ना चाहिए। किताब के बारे में विस्तार से लिखते हुए राजदीप सरदेसाई एक जगह लिखते हैं कि “टेलीविजन न्यूज मीडिया में लोगों का भरोसा फिर से कैसे बहाल किया जाए, इसके लिए सही भाषा की समझ जरूरी है। चाहे वो बोल्ड हेडलाइन हो, ब्रेकिंग न्यूज हो या फिर न्यूज फ्लैश। जरूरी है कि उसकी भाषा तस्वीरों के अनुकूल हो और बारीक छान-बीन के बाद उसे तथ्यों के अनुरूप ही लिखा जाए। भाषा एक दोधारी तलवार की तरह है। इसका प्रयोग संपर्क बनाने में भी किया जा सकता है और उलझाने में भी। हरीश की किताब हर उस व्यक्ति के लिए सटीक मार्गदर्शन उपलब्ध कराती है, जो फिलहाल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम कर रहे हैं या भविष्य में करेंगे। मैं चाहूँगा कि मीडिया से जुड़े सभी लोग इस किताब को जरूर पढ़ें।”
हरीश चंद्र बर्णवाल की ये हार्डबाउंड किताब राधाकृष्ण प्रकाशन ने प्रकाशित की है। किताब 236 पन्ने की है। जबकि इसकी कीमत 350 रुपये रखी गई है। हरीश चंद्र बर्णवाल की ये दूसरी किताब है।
Comments on “आईबीएन7 के हरीश चंद्र बर्णवाल ने लिख डाली ‘टेलीविजन की भाषा’”
Nice
Where can i buy this book in Delhi?
Please advice.
barnwaal ji. badhaai.
pustak kaise manga sakte hain. mardarshan karen.
rajkumar sahu
dd news & air
janjgir, chhattisgarh
mob. 074897 57134
harish jee aapko badhai ho….
how can buy this book….
YASHWANTJI THIS IS GOOD INFORMATION FOR ALL OF US .THX.
This book is not available at lucknow n kanpur rightnow so can i bring this book from radhakrisna prakashan by vp or how i can get.pl told that where is it’s HQ , nearest branches , address n Tele ph no.
finally thx 2 mr harishji for giving us a readable book.
rajesh vajpayee ibn7 unnao
Congrats Harish for another success.
I think this book will useful for all .
Best wishes for your future.
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1. New Delhi
Head Office
1-B, Netaji Subhash Marg, Daryaganj,
New Delhi – 110002 (India)
Contact No.: 011-23274463/23288769
Fax no.:- 011-23278144
E-Mail: info@rajkamalprakashan.com
Website: http://www.rajkamalprakashan.com
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2. Patna
Branch Office
Ashok Rajpath, Opp. Science College,
Patna – 800006, Bihar (India)
Contact No.: 0612-2672280
Fax No.: 0612-23278144
E-Mail: info@rajkamalprakashan.com
Website: http://www.rajkamalprakashan.com
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3. Allahabad
Branch office
Darbari Building, Mahatma Gandhi Marg
Allahabad – 211001, UP (India)
Contact No.: 0532-2427274, 3293838.
Fax No.: 0532-2427274
E-Mail: info@rajkamalprakashan.com
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आपका
हरीश चंद्र बर्णवाल
hcburnwal@gmail.com
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