दो पत्रकारों आनंद राय और राजेश सिंह बसर को गोरखपुर जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने 8 मार्च को सम्मानित किया। शुरुआत आनंद राय से। दैनिक जागरण, गोरखपुर के वरिष्ठ पत्रकार आनंद को जनपक्षधर पत्रकारिता के लिए ‘जयप्रकाश शाही सम्मान‘ से नवाजा गया है। आनंद को यह सम्मान एक विशेष अभियान चलाने के लिए दिया गया। उद्योग के कचरे से प्रदूषित आमी नदी के दर्द को आनंद ने कलम के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया। पीड़ा हरने को प्रशासन-पालिटिक्स से जुड़े लोगों पर दबाव बनाया।
सिद्धार्थ नगर के सोह्नारा में राप्ती नदी के छादन से निकली आमी गोरखपुर के सोहगौरा में राप्ती नदी में मिल गयी है। 80 किलोमीटर तक बहने वाली इस नदी के दोनों तट पर 270 से अधिक गाँव बसे हैं। दो दशक में इन गाँवों की हालत प्रदूषण से ख़राब हो गयी है। आनंद राय ने दैनिक जागरण में ‘जहरीली हो गयी गाँव की गंगा’ नामक शीर्षक से 3 जनवरी को अभियान शुरू किया। लगातार चलने वाले इस अभियान ने सोये हुए लोगों को जगाने का काम किया। मन्दिर मस्जिद के इस गढ़ में आमी नदी चुनावी मुद्दा बन गयी। ‘आमी बचाओ मंच‘ की यात्रा में सभी दलों के लोग शामिल हुए। हर तट से हजारों हाथ नदी को बचाने के लिए उठ गए। इस नेक कार्य को करने के लिए प्रेरित करने वाले आनंद को ‘जयप्रकाश शाही सम्मान’ सम्मान एक भव्य समारोह में साहित्यकार परमानंद ने पूर्व सांसद व पत्रकार राजनाथ सिंह सूर्य, व्यंगकार रणविजय सिंह, आकाशवाणी और दूरदर्शन के पूर्व निदेशक उदय भान मिश्रा की गरिमामयी मौजूदगी में दिया। इस अवसर पर एसोसिएशन के अध्यक्ष रत्नाकर सिंह और मंत्री मुमताज खान भी मौजूद थे। आनंद राय को पहले भी कई प्रमुख अवार्ड मिल चुके हैं।
शायरी व पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिंह बसर को गोरखपुर जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने ‘दिनेश चंद्र श्रीवास्तव सम्मान’ से सम्मानित किया है। सम्मान समारोह गोरखपुर क्लब में 8 मार्च को आयोजित किया गया। राजेश 20 वर्षों से पत्रकारिता जगत में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं। वे साहित्य क्षेत्र में सामाजिक सरोकार के प्रति प्रतिबद्धता रखते हुए सक्रिय हैं। गजल संग्रह “एक ही चेहरा” के जरिए राजेश ने शायरी के इतिहास में नया और बेशकीमती अध्याय जोड़ा है। इसके पूर्व बसर को 11 फरवरी को उनके कृतित्व व्यक्तित्व पर पूर्वांचल हिन्दी मंच के तत्वावधान में हिन्दी आलोचना के शिखर पुरूष नामवर सिंह, प्रख्यात कवि केदार नाथ सिंह तथा प्रख्यात आलोचक पमानंद श्रीवास्तव ने अनेक साहित्यकारों व पत्रकारों से खचाखच भरे शिवाय होटल के सभागार में “कबीर” सम्मान से नवाजा था।