मीडिया की दुनिया में जितनी खबरें आपस में फैलाई, बताई और सुनाई जाती हैं, उनमें से ज्यादातर गलत होती है, यह बात दावे के साथ कही जा सकती है। अगर कुछ अफवाह रूपी खबरें सच होती भी हैं तो उसमें सच्चाई की मात्रा इतनी छोटी होती है की अफवाह में से असल सच्चाई तलाश पाना मुश्किल होता है। पिछले दस दिनों से दो अलग-अलग मीडिया संस्थानों व शख्सियतों के बारे में अफवाहों का बाजार गर्म है। देश के एक प्रमुख प्रिंट मीडिया हाउस के निदेशकों के बीच विवाद होने के तरह-तरह के किस्से फैलाए जा रहे हैं। लोग इन अफवाहों पर आसानी से यकीन इसलिए भी कर लेते हैं क्योंकि इस ग्रुप में एक विवाद पहले हो चुका है और उस विवाद के नतीजे में बंटवारा भी हो चुका है। भड़ास4मीडिया ने जब इन अफवाहों की सत्यता को लेकर इस मीडिया हाउस के कुछ निदेशकों, संपादक व अन्य लोगों से बातचीत की तो सभी ने किसी भी तरह के विवाद के पैदा होने को सिरे से नकार दिया।
जो लोग विवाद होने की पुष्टि करते हैं, वे भी सुनी-सुनाई बात के आधार पर ही करते हैं। विवाद में जिन लोगों का नाम घसीटा जा रहा है, उनमें से जिन लोगों से संपर्क हो पाया, उन सभी ने किसी भी तरह के विवाद से इनकार किया। इस ग्रुप के चेयरमैन से जब भड़ास4मीडिया ने संपर्क किया और अफवाह की सत्यता जानने की कोशिश की तो उन्होंने इन अफवाहों पर आश्चर्य प्रकट किया और किसी भी तरह के विवाद होने से इनकार किया। उन्होंने बताया कि जिनके नाराज होने व आफिस में न बैठने की अफवाह प्रचारित की जा रही है, वे डिलीवरी नजदीक होने के चलते पत्नी के साथ हैं। इसी अखबार के संपादक ने भी बातचीत में स्वीकार किया कि अखबार व उससे जुड़े वरिष्ठ लोगों की छवि खराब करने के लिए शरारती तत्व कई तरह के अफवाह उड़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन अफवाहों को फैलाने वालों की शिनाख्त कर उनके खिलाफ कार्रवाई कराई जा सकती है। उन्होंने ग्रुप में किसी तरह के विवाद और तनाव से इनकार किया।
एक अन्य अफवाह एक टीवी चैनल के एडिटर के बारे में उड़ाई गई है। इस अफवाह की सत्यता परखने के लिए भड़ास4मीडिया टीम ने कई स्तरों पर छानबीन की लेकिन कहीं कुछ नहीं पता चला। भड़ास4मीडिया के पास कई जगहों से ये सूचना मिली कि एक टीवी चैनल के एडिटर मध्य प्रदेश के एक जिले के होटल में एक लड़की के साथ रंगे हाथ पकड़े गए लेकिन शीर्ष स्तर के दबाव के चलते पुलिस को दोनों को छोड़ना पड़ा। अफवाहबाजों ने अफवाह तो फैला दिया लेकिन इस अफवाह की पुष्टि में किसी तथ्य को पेश नहीं कर पाए। वे यह तक नहीं बता पाए कि आखिर किस पुलिस अधिकारी ने पकड़ा था, लड़की का नाम क्या था। बाद में पता चला कि इस सुनियोजित अफवाह के पीछे एडिटर से नाराज एक लाबी है जो एकाध हिंदी ब्लाग पर अफवाह को प्रकाशित कराने में सफलता पा ली थी लेकिन ब्लागर को भी जब अफवाह में सच्चाई शून्य होने के बारे में जानकारी मिली तो उसने 48 घंटे के भीतर पोस्ट को ब्लाग से हटा दिया। बताया जाता है कि एडिटर, जिनके अधीन मार्केटिंग विभाग भी है, ने कुछ दिनों पहले एक बैठक में परफार्म न कर पाने वालों और टारगेट एचीव न कर पाने वालों को कड़ी चेतावनी दी थी। इसी से खफा कुछ लोगों ने उनकी कुर्सी हिलाने के लिए सुनियोजित अफवाह का सहारा लिया और चरित्र हनन की नापाक कोशिश की।
इन दो अफवाहों से पहले भी दिल्ली में एक मीडिया हाउस में गैंग रेप होने की कहानी गढ़कर सुनियोजित अफवाह उड़ाई गई थी जिसके बारे में भड़ास4मीडिया पर खबरें प्रकाशित की जा चुकी हैं। इन खबरों को पढ़ने के लिए क्लिक करें-