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‘भड़ास4मीडिया वेबसाइट से मुझे निराशा हुई’

बेहद खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि महिलाओं के लिये बनाये गये कानूनों का महिलाएं ही कई बार गलत इस्तेमाल कर रहने लगती हैं. हरिगोविंद विश्वकर्मा को मैं 14 सालों से जानती हूं और उन जैसे सीधे व मेहनती प्रोफेशनल के खिलाफ इस तरह का आरोप सरासर गलत प्रतीत हो रहा है. उस लड़की के पिछले कार्यस्थलों पर उसकी रेपूटेशन की जांच की जाए तो सारी हकीकत सामने आ जाएगी. हरिगोविंद जी से गलती ये हुई कि उसे बर्खास्त करने के कंपनी के आदेश को उस तक उन्हें खुद पहुंचाना पड़ा. पहले से खार खाए खुछ लोग मिल कर उन्हीं से दुश्मनी निकालने के लिए ये कदम उठाया. फेमिनिस्ट मैं भी हूं लेकिन प्रोफेशन में आई काम न करने वाली महिलाओं द्वारा की गई ऐसी हरकतें हम महिलाओं के लिए ही बेहद अफसोस की बात है. भड़ास4मीडिया वेबसाइट से निराशा ये हुई कि मामले को पहले सनसनी की तरह छाप दिया और बाकी जानकारी आखिर में छोटे अक्षरों में छापी. हमारी पत्रकारिता की यही विडंबना है.

<p align="justify">बेहद खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि महिलाओं के लिये बनाये गये कानूनों का महिलाएं ही कई बार गलत इस्तेमाल कर रहने लगती हैं. हरिगोविंद विश्वकर्मा को मैं 14 सालों से जानती हूं और उन जैसे सीधे व मेहनती प्रोफेशनल के खिलाफ इस तरह का आरोप सरासर गलत प्रतीत हो रहा है. उस लड़की के पिछले कार्यस्थलों पर उसकी रेपूटेशन की जांच की जाए तो सारी हकीकत सामने आ जाएगी. हरिगोविंद जी से गलती ये हुई कि उसे बर्खास्त करने के कंपनी के आदेश को उस तक उन्हें खुद पहुंचाना पड़ा. पहले से खार खाए खुछ लोग मिल कर उन्हीं से दुश्मनी निकालने के लिए ये कदम उठाया. फेमिनिस्ट मैं भी हूं लेकिन प्रोफेशन में आई काम न करने वाली महिलाओं द्वारा की गई ऐसी हरकतें हम महिलाओं के लिए ही बेहद अफसोस की बात है. <strong><span style="color: #999999;">भड़ास4मीडिया</span></strong> वेबसाइट से निराशा ये हुई कि मामले को पहले <a href="index.php?option=com_content&view=article&id=2548:focus-fir&catid=27:latest-news&Itemid=29" target="_blank">सनसनी</a> की तरह छाप दिया और बाकी जानकारी आखिर में छोटे अक्षरों में छापी. हमारी पत्रकारिता की यही विडंबना है.</p>

बेहद खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि महिलाओं के लिये बनाये गये कानूनों का महिलाएं ही कई बार गलत इस्तेमाल कर रहने लगती हैं. हरिगोविंद विश्वकर्मा को मैं 14 सालों से जानती हूं और उन जैसे सीधे व मेहनती प्रोफेशनल के खिलाफ इस तरह का आरोप सरासर गलत प्रतीत हो रहा है. उस लड़की के पिछले कार्यस्थलों पर उसकी रेपूटेशन की जांच की जाए तो सारी हकीकत सामने आ जाएगी. हरिगोविंद जी से गलती ये हुई कि उसे बर्खास्त करने के कंपनी के आदेश को उस तक उन्हें खुद पहुंचाना पड़ा. पहले से खार खाए खुछ लोग मिल कर उन्हीं से दुश्मनी निकालने के लिए ये कदम उठाया. फेमिनिस्ट मैं भी हूं लेकिन प्रोफेशन में आई काम न करने वाली महिलाओं द्वारा की गई ऐसी हरकतें हम महिलाओं के लिए ही बेहद अफसोस की बात है. भड़ास4मीडिया वेबसाइट से निराशा ये हुई कि मामले को पहले सनसनी की तरह छाप दिया और बाकी जानकारी आखिर में छोटे अक्षरों में छापी. हमारी पत्रकारिता की यही विडंबना है.

हम चाहते हैं कि क्लिक्स या रेटिंग ज्यादा हो, बस. फिर चाहे किसी का करियर और जिंदगी खराब हो तो होता रहे, इससे क्या फर्क पड़ता है. अगर वो या कोई भी शख्स इस सनसनीखेज तरीके से नेशनल लेवल पर प्रसारित हुई खबर से हो रही बदनामी के कारण परेशान होकर कुछ कर बैठा तो आपके लिए शायद और बड़ी खबर बनेगी.

अफसोस के साथ….

आम्रपाली शर्मा

इनपुट एसाइनमेंट हेड

जूम इंटरटेनमेंट नेटवर्क

[email protected]

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