भड़ास4मीडिया में कुछ बदलाव

आक्रामक लाल रंग से आंखें चुभ-सी रहीं थीं. और लाल-लाल देखते-देखते मन एकरस-सा भी हो गया था. हलका ग्रीन, जो आंखों के लिए फ्रेंडली कलर है, को लाया गया है. शुरू-शुरू में ये अजीब लगेगा लेकिन मेरे खयाल से बाद में इस रंग के साथ आंखें एकाकार हो जाएंगी. इस रंग में सबसे खास बात है आखों में न चुभना. इससे आंखों को थोड़ी राहत होगी, खासकर उनके लिए जो दिन भर भड़ास के बुखार में तपते रहते हैं.

शिबली व विजय की तरफ से हजार-हजार रुपये

ऐसे दौर में जब पत्रकारिता राडियाओं के कारण आम जन की नजरों से गिर चुकी है, तब न्यू मीडिया के लोग फटेहाली में जीते हुए भी मिशन को जिंदा रखे हुए हैं, आगे बढ़ा रहे हैं और इस मिशन के संचालन के लिए किसी पूंजीपति या सरकार के दरवाजे पर दस्तक देने की जगह, दांत निपोरने की बजाय जनता के सामने सीना तान कर चंदा मांग रहे हैं, मदद की अपील कर रहे हैं.

विकीलिक्स और विकीपीडिया का मॉडल बनाम भड़ास4मीडिया की चिंता

लखनऊ में एक पत्रकार हैं संजय शर्मा. पहले कुछ मीडिया हाउसों के साथ जुड़कर पत्रकारिता करते थे. बाद में लखनऊ में अपना अखबार शुरू किया, वीकेंड टाइम्स नाम से, समान विचार वाले कुछ लोगों के साथ मिलकर पार्टनरशिप में. पिछले कुछ महीनों के दौरान दो बार लखनऊ जाना हुआ दोनों ही बार उनसे मिला. पहली बार बड़े आग्रह और स्नेह के साथ अपने घर ले गए, खाना खिलाया. अपना आफिस दिखाया. खूब सारी बातें कीं. दूसरी बार वे छोड़ने स्टेशन आए, स्टेशन पर ही हम दोनों ने खाना खाया. आज उनका मोबाइल पर एक संदेश आया. आपके एकाउंट में दस हजार रुपये जमा करा दिए हैं.

नए सर्वर पर शिफ्ट हुआ भड़ास4मीडिया

नये सर्वर पर भड़ास4मीडिया की शिफ्टिंग की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है. लगभग शब्द का इस्तेमाल इसलिए कर रहा हूं क्योंकि जितनी दिक्कत-अफरातफरी इस बार हम लोगों के हिस्से में आई, उतनी परेशानी कभी नहीं हुई. नए डेडीकेटेड सर्वर को जिस कंपनी ने प्रोवाइड किया है, उस कंपनी के छह शिफ्टों के इंचार्जों ने अपने-अपने तरीके से भड़ास4मीडिया के डाटाबेस को पुराने से नए सर्वर पर लाने की कोशिश की और साइट को रन करने का प्रयास किया. लगभग 40 घंटे साइट शिफ्टिंग में लगे.

24 घंटे तक क्षमा करें, कमेंट करने से बचें

सूचना : भड़ास4मीडिया को डेडीकेटेड सर्वर पर ले जाने की प्रक्रिया आज शाम से शुरू हो जाने के कारण अगले चौबीस घंटों के दौरान यह वेबसाइट कई बार अनुपलब्ध, ब्लैंक या अन-अपडेटेड दिख सकती है. इसके लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. कई सारी खबरें प्रकाशन के लिए आई हैं, कई बड़ी खबरें प्रकाशन के लिए तैयार हैं. लेकिन सर्वर शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाने के कारण इन खबरों को अपलोड कर पाने में असमर्थ हैं क्योंकि अगर अपलोड कर भी दी गईं तो ये खबरें नए सर्वर पर साइट के शिफ्ट हो जाने के बाद नहीं दिखेंगी.

भड़ास वालों, एक मुफ्त की सलाह ले लो!

: केवल मीडिया तक क्यों सिमटे हो, दायरा बढ़ाओ : मित्र यशवंत जी, नमस्कार, पिछले कुछ दिनों से भड़ास4मीडिया डॉट काम देख रहा हूं। वह भी इसलिए कि दिल में तमन्ना जागृत हुई कि कहीं लिखने की। हालांकि मैं एक दैनिक अखबार का वेतनभोगी और अखबारी लाइन में दो दशक से जीवन गुजार रहा हूं। इसके बाद भी इतना तजुर्बा हासिल नहीं कर सका कि किसी खबर को बेधड़क और बेहतर तरीके से लिख सकूं। इसलिए अधिक से अधिक लिखने का मन किया। इसी दौरान भड़ास के बारे में जानकारी हुई। लिहाजा साइट खोला और देखने लगा। लेखनशैली और खबरों की प्रस्तुति तो अच्छी लगी लेकिन खबरों का दायरा मीडिया तक देख दुःख हुआ। मेरा तजुर्बा कहता है कि खबरों का चयन तो पाठक वर्ग को ध्यान में रखकर ही तय किया जाता है।

डेडीकेटेड सर्वर फाइनल, संकट खत्म

भड़ास4मीडिया फिर फंसा संकट में” शीर्षक से अपनी बात कहने-प्रकाशित करने के बाद करीब 15 घंटे तक मोबाइल व मेल से खुद को दूर रखा. अब जब सारा कुछ देख चुका हूं, तो कह सकता हूं कि रिस्पांस गजब का मिला है. लगने लगा है कि एक बड़ी संख्या शुभचिंतकों, समर्थकों, चाहने वालों की भड़ास4मीडिया के आसपास है जो इसे इसके तेवर के साथ जिंदा रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार है.

भड़ास4मीडिया फिर फंसा संकट में

जनसत्ता अखबार जब अपने चरम पर था, सरकुलेशन इतना ज्यादा दिल्ली में हुआ करता था कि मशीनें छापते-छापते हांफ जाया करती थीं तब प्रभाष जोशी जी ने अपने पाठकों से अखबार में संपादकीय लिखकर अपील की थी कि ”जनसत्ता को मिल-बांट कर पढ़ें, अपन की क्षमता अब और ज्यादा छापने की नहीं है”. तब दौर कुछ और था. अब दौर बदल गया है. अखबारों के सरोकार, संपादक व मालिक सब के सब बदल गए हैं. और तो और, पाठक तक बदल गए हैं. या यूं कहें कि भरी जेब वालों को ही सिर्फ पाठक – दर्शक माने जाना लगा है.

कैसी कैसी खबरें आती हैं भड़ास के पास!

देहरादून के …. कार्यालय के प्रभारी पत्रकार श्री…. को शराब पीने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है.  पत्रकार श्री…. और उनके फोटोग्राफर श्री… ने आये दिन की तरह शराब का अत्याधिक मात्रा में सेवन कर लिया. उसके बाद बाइक पर सवार होकर शहर में घूमने का आन्नद ले रहे थे. अचानक एक गली में उनकी बाइक गिर गई. बाइक गिरने के साथ स्टार्ट ही रही और पत्रकार श्री…. का पांव पहिए में आ गया.

‘प्रभात खबर ने गलती मानी, भड़ास भी माने’

एडिटर, भड़ास4मीडिया, आपने जो स्टिंग से सम्बंधित खबर छापा है, उस पर मुझे ऐतराज़ है. ऐतराज़ इस बात पर कि बगैर मुझसे पूछे इस खबर को आपने छापा.

 

अनिल बने भड़ास4मीडिया के कंटेंट एडिटर

[caption id="attachment_17772" align="alignleft" width="82"]अनिलअनिल[/caption]भड़ास4मीडिया में नए कंटेंट एडिटर के रूप में युवा पत्रकार अनिल सिंह ने ज्वाइन किया है. ये इससे पहले ‘हमार टीवी’ में कार्यरत थे. अनिल सात वर्षों से मुख्य धारा की पत्रकारिता में हैं. वाराणसी से प्रकाशित दैनिक ‘काशीवार्ता’ से करियर की शुरुआत की. कुछ समय तक मासिक पत्रिका ‘मीडिया रिपोर्ट’ के साथ जुड़े रहे.

तीन खबरों का खंडन

: ‘सॉरी’ : भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित तीन खबरों में करेक्शन है. इन करेक्शन को प्रकाशित कराया जा रहा है. इसे खंडन भी समझ सकते हैं. इसे माफीनामा भी मान सकते हैं. जिन तीन खबरों पर कुछ आपत्तियां आईं, पड़ताल करने पर ये आपत्तियां सही पाई गईं. इसलिए यहां करेक्शन दिया जा रहा है. ये तीन करेक्शन इस प्रकार हैं-

फिर लौटेंगे छोटे से ब्रेक के बाद

कई बार लगने लगता है कि चीजें यूं ही चलती चली जा रही हैं, बिना सोचे-विचारे. तब रुकना पड़ता है. ठहरना पड़ता है. सोचना पड़ता है. भड़ास4मीडिया को लेकर भी ऐसा ही है. करीब डेढ़-दो महीने पहले भड़ास4मीडिया के दो साल पूरे हुए, चुपचाप. कोई मकसद, मतलब नहीं समझ आ रहा था दो साल पूरे होने पर कुछ खास लिखने-बताने-करने के लिए. पर कुछ सवाल जरूर थे, जिसे दिमाग में स्टोर किए हुए आगे बढ़ते रहे, चलते रहे. पर कुछ महीनों से लगने लगा है कि जैसे चीजें चल रही हैं भड़ास4मीडिया पर, वैसे न चल पाएंगी. सिर्फ ‘मीडिया मीडिया’ करके, कहके, गरियाके कुछ खास नहीं हो सकता. बहुत सारे अन्य सवाल भी हैं.

स्टेटमेंट की जगह लीगल नोटिस

कहते हैं कि अगर कहीं अंदर ही अंदर कुछ हो रहा होता है तभी उसका बाहर जोरदार खंडन किया जाता है. पर्ल ग्रुप के न्यूज चैनल पी7न्यूज में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है. पर प्रबंधन बाहर यह जताने-दिखाने की कोशिश कर रहा है कि सब ठीक है. इसी क्रम में पर्ल ग्रुप व पी7न्यूज के लिए काम करने वाली एक लीगल फर्म ने अपने ‘क्लाइंट्स’ की तरफ से एक नोटिस जारी किया है.

40 हजारी क्लब में शामिल हुआ भड़ास4मीडिया

तेजी से बढ़ रहा भड़ास4मीडिया का ग्राफ : अभी जश्र मनाने की जरूरत नहीं लेकिन खबर अच्छी है. भारतीय मीडिया इण्डस्ट्रीज की हलचल से वाकिफ कराने वाली बेवसाइट भड़ास4मीडिया दुनियाभर की सभी भाषाओं में संचालित 40 हजार सबसे लोकप्रिय वेबसाइट्स की सूची में शामिल हो गई है. सनद रहे कि दुनिया की 1 लाख सबसे लोकप्रिय वेबसाइट्स की सूची में शामिल होने के लिए हजारों वेबसाइट संचालक होड़तोड़ मेहनत करके डाटा जुटाते हैं.

भड़ास4मीडिया और मीडिया के छुपेरुस्तम

हम सभी चाहते हैं कि हमारी समस्याएं कोई आकर हल कर दे और हम खुशहाल हो जाएं. हम सभी चाहते हैं कि पड़ोसी के घर में भगत सिंह पैदा हो जाएं और समाज, देश व मोहल्ले के हित के लिए फांसी पर लटक कर शहीद का दर्जा पा जाएं पर अपने घर के किसी आदमी पर कोई आंच न आए, अपने घर का कोई बंदा क्रांतिकारी बनकर दुख न उठाए. मीडिया में भी यही हाल है. हजारों लोग परेशान हैं. उत्पीड़न झेल रहे हैं. मानसिक यंत्रणा उठा रहे हैं. कोई बास से परेशान है. कोई माहौल से नाखुश है. कोई सेलरी कम होने से दुखी है. कोई सहकर्मियों के उत्पीड़न से त्रस्त है. कोई काम न मिलने का रोना रो रहा है. कोई काम कर-कर के मरा जा रहा है. वे अपनी समस्याओं का हल चाहते हैं. वे जिनसे परेशान हैं, उनकी करतूत का पर्दाफाश करना चाहते हैं. पर वे नहीं चाहते कि उनका नाम व पहचान उजागर हो.

भड़ास4मीडिया पर वायरस अटैक

अब सब ठीक है : भड़ास4मीडिया पर कल सुबह जोरदार ‘वायरस’ अटैक हुआ. ये सर्दी-जुकाम वाले वायरस नहीं बल्कि साइबर दुनिया के वायरस थे, जो जाने कब किसके इशारे पर अचानक हमला कर देते हैं. दरअसल परसों शाम इस पोर्टल को अपग्रेड करने के लिए कई तकनीकी कार्य किए गए थे. इसी दौरान किन्हीं गल्तियों-चूक की वजह से पोर्टल के अंदर के तंत्र में कुछ ऐसी खिड़कियां खुली रही गईं जिसके जरिए अपग्रेडेशन का काम तो किया गया पर इन्हें बंद करना भूल गए. नतीजा यह हुआ कि खूंखार वायरस भाइयों ने अपने कुनबे के साथ प्रवेश पा लिया.

बी4एम में ये चेंज आपको कैसा लगा?

दोस्तों-मित्रों, वरिष्ठों, कनिष्ठों…. आज मकर संक्रांति के दिन से भड़ास4मीडिया में बदलाव महसूस हो रहा होगा. कुछ नई चीजें जोड़ी गई हैं. अभी तक भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित खबरों और आलेखों पर कमेंट करने का आप्शन नहीं रखा गया था. वजह सिर्फ एक कि कमेंट आप्शन का कई लोग दुरुपयोग करते हैं. इसके जरिए अपनी कुंठा और भड़ास निकालते हैं. कुंठा और भड़ास निकालें, लेकिन मेरा हमेशा से मानना रहा है कि अपनी असली आइडेंटिटी के साथ कुंठा और भड़ास निकालें. अगर आप पहचान छुपा कर ही कुछ कहना चाहते हैं तो ऐसी बात कहें जिससे दूसरों का भला हो, दूसरों का दिल खुश हो जाए. या फिर ऐसी बात जिससे नई जानकारियां सामने आ रही हों. ये मेरा निजी मत है. अनाम कमेंटों के जरिए हिंदी ब्लागिंग में जिस तरह से तमाम लोगों के उपर कीचड़ उछालने का चलन रहा है.

ऐसी बकवास आप कैसे लिख सकते हैं?

यशवंत जी, आपकी साइट को बडे़ चाव से पढ़ता था, खासकर गासिप के लिए. जाहिर है, आप दफ्तर मे हों और किसी दोस्त से बात न हो तो हमारी दुनिया में क्या हो रहा है, उसका अंदाजा नही लगता.

भड़ास4मीडिया बन रहा है ब्लैकमेलिंग का जरिया!

प्रति, संपादक, भड़ास4मीडिया, जनसंदेश के मेरठ संवाददाता सुनील तनेजा का मुख्यमंत्री मायावती को लिखा एक तथाकथित पत्र आपने पिछले दिनों प्रकाशित किया था। अब आपने कानपुर के जनसंदेश संवाददाता अतुल मिश्रा की एक तथाकथित चिट्ठी वेबसाइट पर प्रकाशित की है। सुनील तनेजा के तथाकथित पत्र के जवाब में हमने अपना पक्ष आपके पास भेजा था और उसे आपने छापा भी। हमने आपको बताया था कि हर महीने की पहली तारीख को पूरे स्टाफ को तनख्वाह देने वाला जनसंदेश प्रबंधन किसी का बकाया नहीं रखना चाहता है। लेकिन कुछ लोग इस बकाए में नहीं, बल्कि चैनल के चार-पांच लाख के उपकरणों को हड़पना चाहते हैं। साथ ही उन्हें डर है कि कहीं उनकी वसूली की दुकान बंद न हो जाए।

‘भड़ास पर भड़ास निकालें पर मर्यादा में रहकर’

प्रिय यशवंतजी नमस्कार, भडास4मीडिया साइट को अक्सर पढ़ता-रहता हूं लेकिन वक़्त की कमी के कारण कभी चाहकर भी कुछ लिख नहीं पाता. इस पोर्टल की क्रांतिकारी शुरुआत के लिए आपको ढेर सारी शुभकामनाएं. यहां बड़े-बड़े पत्रकारों के बड़े विचार भी पढ़ने को मिलते हैं और कभी-कभी काफी घटिया भी. इस साइट को अक्सर इसलिए देखता हूं कि मीडिया मे कहां क्या उठक-पटक हो रही है और सबकी खबरें छपने वाले पत्रकारों और अखबारों की खबरें क्या है. वैसे आपकी साइट के नाम से और इसके बाद यहां छपने वाले पोस्टों से पता चलता है कि यह मीडिया और इससे जुड़े लोगो के प्रति भडा़स निकालने का एक अच्छा प्लेटफोर्म बन गया है.

बी4एम की टीआरपी बढ़ाने की रणनीति है यह?

प्रिय यशवंत, विष्णु त्रिपाठी के बारे में खबर पढ़कर बहुत दुख हुआ। यह तो पहले से ही सुना था कि पत्रकारिता में कोई किसी को अच्छा नहीं बोलता, लेकिन यहां तो हद ही पार हो गई। सरेआम किसी पर जातिवादी और क्षेत्रवादी होने का आरोप मढ़ा गया। उसकी तुलना परशुराम से की गई। क्या यह टीआरपी बढ़ाने की रणनीति है या अपनी भड़ास मिटाने की। जागरण में बिहारियों की कमी नहीं और ऐसा भी नहीं कि वहां से बिहारियों को निकालने का अभियान चला रहे हैं त्रिपाठी जी। दरअसल जो लोग काम नहीं करना चाहते और मैनेजमेंट उनकी चापलूसी बर्दाश्त नहीं कर पाता, वे किसी के बारे में कुछ भी अफवाह उड़ा सकते हैं।

‘भड़ास4मीडिया वेबसाइट से मुझे निराशा हुई’

बेहद खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि महिलाओं के लिये बनाये गये कानूनों का महिलाएं ही कई बार गलत इस्तेमाल कर रहने लगती हैं. हरिगोविंद विश्वकर्मा को मैं 14 सालों से जानती हूं और उन जैसे सीधे व मेहनती प्रोफेशनल के खिलाफ इस तरह का आरोप सरासर गलत प्रतीत हो रहा है. उस लड़की के पिछले कार्यस्थलों पर उसकी रेपूटेशन की जांच की जाए तो सारी हकीकत सामने आ जाएगी. हरिगोविंद जी से गलती ये हुई कि उसे बर्खास्त करने के कंपनी के आदेश को उस तक उन्हें खुद पहुंचाना पड़ा. पहले से खार खाए खुछ लोग मिल कर उन्हीं से दुश्मनी निकालने के लिए ये कदम उठाया. फेमिनिस्ट मैं भी हूं लेकिन प्रोफेशन में आई काम न करने वाली महिलाओं द्वारा की गई ऐसी हरकतें हम महिलाओं के लिए ही बेहद अफसोस की बात है. भड़ास4मीडिया वेबसाइट से निराशा ये हुई कि मामले को पहले सनसनी की तरह छाप दिया और बाकी जानकारी आखिर में छोटे अक्षरों में छापी. हमारी पत्रकारिता की यही विडंबना है.

‘बड़ी हास्यास्पद रिपोर्ट थी बी4एम पर’

[caption id="attachment_15644" align="alignnone"]डॉ. माथुर नाम के एक सीनियर मेंबर ने जब बोलना चाहा तो कुछ पत्रकारों ने उन्हे न सिर्फ बोलने से रोका बल्कि उनके साथ धक्कामुक्की और हाथापाई की, बगैर उनकी उम्र का लिहाज किए।डॉ. माथुर नाम के एक सीनियर मेंबर ने जब बोलना चाहा तो कुछ पत्रकारों ने उन्हे न सिर्फ बोलने से रोका बल्कि उनके साथ धक्कामुक्की और हाथापाई की, बगैर उनकी उम्र का लिहाज किए।[/caption]

प्रेस क्लब आफ इंडिया के दो सदस्यों ने भड़ास4मीडिया को भेजी पाती…

भड़ास4मीडिया पर ‘शिल्पा-बाबा-किस’ किसलिए?

यशवंत जी, नमस्ते….. पिछले कुछ दिनों से ऐसा हो रहा है कि सुबह-सुबह नींद से जागने के बाद सबसे पहले भड़ास4मीडिया देखता हूँ और फिर आ आगे बढ़ता हूँ. ऐसा इसलिए हो पा रहा है क्योंकि आप लोगों ने अभी तक बड़े ही सटीक और सुन्दर लेख, वरिष्ट पत्रकारों के साथ बातचीत और मीडिया से सम्बंधित हर खबर को बेबाकी से रखा है हमारे सामने.  इसी का नतीजा है कि आज देश के हर कोने मे काम कर रहा पत्रकार इस पोर्टल से अपनापन महसूस करता है. लेकिन आज सुबह जब मैं पोर्टल पर गया और खबरों पर नज़र फेंकी तो एक खबर या लेख (पता नहीं इन दोनों मे से क्या था?) पर मेरी नज़र रुक गयी और मैंने उस खबर को पूरा पढ़ा लेकिन मेरी समझ मे ये नहीं आया कि इस खबर की यहां क्या उपयोगिता है? क्या आपका जो पाठक वर्ग है वो यह जानने के लिए यहां आता है कि एक साधू ने एक फिल्मी अदाकारा के गाल पे पप्पी क्यों ले ली?

‘पत्रकारों की मानहानि बंद करे भड़ास4मीडिया’

दूसरा पत्र : सम्पादक, भड़ास4मीडिया, महोदय, मीडिया की खबरों के नंबर वन पोर्टल www.Bhadas4Media.com में 7 अगस्त को समाचार कम लेख में ‘आयोजन गुरु के बैनर तले एक और कारनामा‘ शीर्षक से जो आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया गया है, वह दुखद है। आपने अपने समाचार के दूसरी और तीसरी लाइन में लिखा है कि ‘आयोजन गुरू के बैनर के तले इलाहाबाद की मीडिया ने एक और कमाल कर दिया।’ आपकी भाषा से लगता है आप इलाहाबाद की मीडिया को किसी आयोजन गुरू के तहत काम करने वाला या निर्देशन में चलने वाला बता रहे है। यह उचित नही है तथा इस कार्य में लगे लोगों के चरित्र पर आक्षेप कर रहे हैं, यह उचित नही है। आपने अपनी खबर के दूसरे और तीसरे पैराग्राफ में रेलवे से सम्बन्धित एक खबर का जिक्र किया है जिसमें कहा गया है कि गर्भवती महिला स्वेच्छा से हलफनामा देकर दौड़ी। इसमें पत्रकारो का क्या आयोजन था, यह समझ से परे है। जैसा आप उपर के पैरे में लिख रह है- इलाहाबाद के पत्रकारों का करनामा, तो क्या पत्रकारों ने उस महिला को जबरन दौड़ाया! अगर नही तो आपके कथित आयोजन गुरु और चेलों का क्या काम था आयोजन में। लगता है आपके रेलवे से सम्बन्धित कोई सफाई दे रहे हैं।

बी4एम की मोबाइल एलर्ट सेवा लांच

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]मोबाइल सेवाबी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में पहुंच गया है। बी4एम की मोबाइल सेवा शुरू हो चुकी है। मीडिया जगत की बड़ी खबर को एसएमएस के जरिए बी4एम के पाठकों के पास भेजा जाने लगा है। इस सेवा का उदघाटन आज पत्रकार जरनैल सिंह ने किया। बी4एम आफिस में आए जरनैल ने कंप्यूटर पर सेंड बटन क्लिक कर 100 चुनिंदा लोगों तक दो एसएमएस भेजे। पहले एसएमएस में इस सेवा के शुरुआत के बारे में बताया गया। दूसरे में एक ब्रेकिंग न्यूज को प्रसारित किया गया। दोनों एसएमएस यूं हैं-

बी4एम के पाठक पढ़ेंगे एक चर्चित उपन्यास

मीडिया का महाभारत है ‘अपने-अपने युद्ध’ : भड़ास4मीडिया पर प्रत्येक शनिवार को चर्चित उपन्यास ‘अपने-अपने युद्ध’ का धाराविहक रूप में प्रकाशन किया जाएगा। मौजूदा दशक में मीडिया के भीतर, और बाहर भी चर्चित रहे दयानंद पांडेय के उपन्यास ‘अपने-अपने युद्ध’ को जितनी बार पढ़ा जाए, अखबारी दुनिया की उतनी फूहड़ परतें उधड़ती चली जाती हैं। मीडिया का जितनी तेजी से बाजारीकरण हो रहा है, उसके भीतर का नर्क भी उतना ही भयावह होता जा रहा है। ऐसे में  ‘अपने-अपने युद्ध’ को बार-बार पढ़ना नितांत ताजा-ताजा सा-लगता है। यह महज कोई औपन्यासिक कृति भर नहीं, मीडिया और संस्कृति-जगत के दूसरे घटकों थिएटर, राजनीति, सिनेमा, सामाजिक न्याय और न्यायपालिका की अंदरूनी दुनिया में धंस कर लिखा गया तीखा, बेलौस मुक्त वृत्तांत है। इसमें बहुत कुछ नंगा है- असहनीय और तीखा। लेखक के अपने बयान में—‘जैसे किसी मीठी और नरम ईख की पोर अनायास खुलती है, अपने-अपने युद्ध के पात्र भी ऐसे ही खुलते जाते हैं।’

सुपरहिट एक लाख साइट क्लब में बी4एम भी

अलेक्साइतने कम समय में भड़ास4मीडिया वो मुकाम हासिस कर लेगा, जिसे हासिल करने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां करोड़ों-अरबों रुपये खर्च करती हैं और दर्जनों प्रोफेशनल्स को नियुक्त करती हैं, बिलकुल विश्वास नहीं होता। ‘एक लैपटाप, एक डाटा कार्ड और एक व्यक्ति’ के साथ पिछले साल इन्हीं दिनों में शुरू हुआ बी4एम आज दुनिया भर की सबसे ज्यादा हिट्स बटोरने वाली एक लाख वेबसाइटों के क्लब में शामिल हो गया है। यकीन न हो तो वेबसाइटों की टीआरपी (हिट्स, रैंकिंग, लोकप्रियता) मापने वाली प्रतिष्ठित साइट अलेक्सा डॉट कॉम पर जाकर देखिए। बी4एम की ट्रैफिक रैंकिंग अब 99,607 हो चुकी है जो एक लाख के अंदर है।

नए अवतार में कैसा लग रहा है भड़ास4मीडिया?

लीजिए, एक नए लुक में भड़ास4मीडिया। खबरों के लिए ज्यादा जगह। विज्ञापनों के लिए ज्यादा स्पेस। लुक एंड फील में पहले से थोड़ा बेहतर। फांट घटाने-बढ़ाने की सुविधा। जो भी व्यक्ति पोर्टल का मेंबर बनेगा या पहले से बना हुआ है, उसे अपनी खबर यूजर मेनू के जरिए भड़ास4मीडिया में डायरेक्ट भेजने की सुविधा। यूजर मेनू में जाने के लिए बाईं ओर लागिन फार्म में अपना यूजरनेम और पासवर्ड भरना होगा, अगर पहले से मेंबर हैं तो। अन्यथा आप अपना एकाउंट क्रिएट करके नया मेंबर बन सकते हैं।

एचटी ग्रुप ने यशवंत समेत 5 पर किया मुकदमा

दैनिक हिंदुस्तान, दिल्ली के वरिष्ठ स्थानीय संपादक प्रमोद जोशी द्वारा वरिष्ठ पत्रकार शैलबाला से दुर्व्यवहार किए जाने के मामले में नया मोड़ तब आ गया जब एचटी मीडिया और प्रमोद जोशी ने संयुक्त रूप से दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया। सूत्रों के अनुसार शैलबाला के अलावा जिन तीन लोगों को कोर्ट में आरोपी बनाया गया है, उनके नाम हैं- यशवंत सिंह (भड़ास4मीडिया), राजीव रंजन नाग (वरिष्ठ पत्रकार) और अनिल तिवारी (पूर्व एचटी कर्मी)। बताया जाता है कि मानहानि के एवज में एचटी ग्रुप और प्रमोद जोशी ने लाखों रुपये की मांग की है। भड़ास4मीडिया प्रतिनिधि ने प्रमोद जोशी से जब मुकदमे के बाबत फोन पर बात की तो उन्होंने शैलबाला, यशवंत, राजीव और अनिल पर मुकदमा किए जाने की बात को कुबूल किया और इसे संस्थान की रूटीन कार्यवाही का हिस्सा करार दिया।

‘हजारों पत्रकारों की आवाज बनना बी4एम की जीत’

भड़ास4मीडियाभारतीय मीडिया की खबरों का नंबर वन पोर्टल बनने पर भड़ास4मीडिया को देश भर से बधाइयां मिल रही हैं। शुभकामनाएं दी जा रही हैं। सुझाव आ रहे हैं। फोन, एसएमएस व मेल का ताता लगा हुआ है। कुछ टिप्पणियों को प्रकाशित किया जा रहा है, भेजने वालों का नाम-पता हटा कर। -एडिटर


भाई, सिर्फ आठ माह के छोटे से लम्हे में खुद के माद्दा, भगवान और दोस्त-दुश्मनों के हौसले से मिली तरक्की निःसंदेह बहुत बड़ी है. बधाई स्वीकारो.

जी, भड़ास4मीडिया अंग्रेजी पोर्टलों का भी बाप बना !

Yashwant Singhहिंदी वाले साथी हैं इस सफलता के सूत्रधार, आपको दिल से प्रणाम 

कल तक कहते थे : हिंदी मीडिया की खबरों का नंबर वन पोर्टल. अब कहेंगे : भारतीय मीडिया की खबरों का नंबर वन पोर्टल।  लांच होने के दो माह बाद ही हिंदी मीडिया की खबरों का सबसे बड़ा पोर्टल बन गया था भड़ास4मीडिया। अब जबकि पहला हैप्पी बर्थडे मनाने में दो माह बाकी हैं, पूरी विनम्रता से बताना चाहता हूं, भारत में मीडिया की खबरों के किसी भी भाषा के किसी भी पोर्टल से बड़ा हो गया है आपका भड़ास4मीडिया

भड़ास4मीडिया के नाम रोजाना डेढ़ लाख हिट्स

भड़ास4मीडिया कई नए रिकार्ड कायम करता हुआ नए साल में प्रवेश करेगा। कल देर रात से लेकर आज दोपहर तक यह पोर्टल ठप रहा। तकनीकी दिक्कत के पैदा होते ही एक नया रिकार्ड भी कायम हो गया। पोर्टल ठप होने के दौरान भड़ास4मीडिया पर ”बैंडविथ लिमिट एक्सीडेड” नामक आटोमेटेड संदेश दिखता रहा। बैंडविथ लिमिट एक्सीड होने का सीधा-सा मतलब होता है किसी पोर्टल का उसके संचालक की उम्मीद से ज्यादा लोकप्रिय होना या ज्यादा स्पेश खाना। भड़ास4मीडिया के नाम अभी तक ”50 जीबी बैंडविथ प्रति माह” का पैकेज था। इस पैकेज के तहत मिला 50 जीबी स्पेश इस माह 29 दिसंबर को ही चुक गया।  मतलब, यह पोर्टल 50 जीबी बैंडविथ का स्पेश महीना पूरा होने के पहले ही खा गया। ऐसा इस पोर्टल को उम्मीद से ज्यादा लोगों द्वारा अपने-अपने कंप्यूटरों पर खोलने-पढ़ने के चलते हुआ।

भड़ास4मीडिया के न्यूज सेक्शन के हेड बने अशोक

Ashok Kumarदेश हित में काम करने पर नौकरी जाने का दंश झेलने वाले पत्रकार अशोक कुमार अपनी नई पारी भड़ास4मीडिया के साथ शुरू कर चुके हैं। उन्होंने असिस्टेंट एडीटर के बतौर ज्वाइन किया है।  देश के सबसे प्रतिष्ठित मीडिया इंस्टीट्यूट आईआईएमसी के वर्ष 2005-06 बैच के छात्र रहे अशोक कुमार ने करियर की शुरुआत लोकमत समाचार, औरंगाबाद से की थी। यहां छह महीने काम करने के बाद अमर उजाला, अलीगढ़ में बतौर रिपोर्टर काम शुरू किया। यहां दो साल तक रहे।

भड़ास4मीडिया दूसरों के बंदूक का कंधा न बने

शीतल जीएलएन शीतल नव भारत समूह के ग्रुप एडीटर बनाए गए हैं। इससे पहले वे राज एक्सप्रेस में बतौर संपादक भोपाल में कार्यरत थे। भड़ास4मीडिया से एक संक्षिप्त बातचीत में श्री शीतल ने बताया कि उन्होंने राज एक्सप्रेस से बाकायदे इस्तीफा दिया और उसके बाद नव भारत में ग्रुप एडीटर का पद संभाला। उन्होंने राज एक्सप्रेस से खुद के निकाले जाने संबंधी खबरों का खंडन किया और इसे उनके खिलाफ कुछ लोगों की साजिश करार दिया।