Connect with us

Hi, what are you looking for?

कहिन

राहुल के चलते वीआईपी हुए जिलाई पत्रकार

श्रावस्ती के गांव में रात का भोजन करते राहुलअरसे बाद उत्तर प्रदेश में ये हुआ कि गांधी परिवार का चश्मोचिराग कीचड़ भरी कच्ची सड़कें नाप चुपचाप गांवों में पहुंचा। बिना किसी शोर-गुल और तमाशे के। गांव में छप्पर के नीचे मजमा लगाया। दलित के घर भेली खा पानी पिया। रात साहू की दुकान से आनन-फानन में मंगा कर बनायी गयी आलू परवल की तरकारी खायी और बंसखट पर सो रात गुजारी। वाकया ये देश भर के अखबारों की सुर्खी बना और चैनलों का विशेष। पर मीडिया जगत में कुछ एसा नया हुआ जो अमूमन कभी नहीं होता। दिल्ली वाला बड़ा पत्रकार। लखनऊ या राज्यों की राजधानी वाला थोड़ा छोटा पत्रकार। जिले और कस्बे वाला तो बेचारा मच्छर। बड़े स्वनामधन्य तो सीधे मुंह बात भी नहीं करते इनसे। इन जिले-कस्बे वाले बेचारों की याद तभी आती है जब बड़ा पत्रकार उनके इलाके का दौरा करता है। तब इनका काम रास्ता दिखाना या बैकग्राउंडर देना होता है। मगर राहुल गांधी के मामले में तो कमाल हो गया। बिन बताए राहुल आ धमके। बस वायरलेस पर खबर थी कि राहुल अब हैदरगढ़, बाराबंकी और अब श्रावस्ती।

श्रावस्ती के गांव में रात का भोजन करते राहुल

श्रावस्ती के गांव में रात का भोजन करते राहुलअरसे बाद उत्तर प्रदेश में ये हुआ कि गांधी परिवार का चश्मोचिराग कीचड़ भरी कच्ची सड़कें नाप चुपचाप गांवों में पहुंचा। बिना किसी शोर-गुल और तमाशे के। गांव में छप्पर के नीचे मजमा लगाया। दलित के घर भेली खा पानी पिया। रात साहू की दुकान से आनन-फानन में मंगा कर बनायी गयी आलू परवल की तरकारी खायी और बंसखट पर सो रात गुजारी। वाकया ये देश भर के अखबारों की सुर्खी बना और चैनलों का विशेष। पर मीडिया जगत में कुछ एसा नया हुआ जो अमूमन कभी नहीं होता। दिल्ली वाला बड़ा पत्रकार। लखनऊ या राज्यों की राजधानी वाला थोड़ा छोटा पत्रकार। जिले और कस्बे वाला तो बेचारा मच्छर। बड़े स्वनामधन्य तो सीधे मुंह बात भी नहीं करते इनसे। इन जिले-कस्बे वाले बेचारों की याद तभी आती है जब बड़ा पत्रकार उनके इलाके का दौरा करता है। तब इनका काम रास्ता दिखाना या बैकग्राउंडर देना होता है। मगर राहुल गांधी के मामले में तो कमाल हो गया। बिन बताए राहुल आ धमके। बस वायरलेस पर खबर थी कि राहुल अब हैदरगढ़, बाराबंकी और अब श्रावस्ती।

राजधानी के बड़के पत्रकार परेशान। क्या करें। ऐसे में वही जिलाई पत्रकार याद आए। दनादन फोन घूमने लगे। बोसीदा पुरानी डायरियां जिला सूचना अधिकारी और अखबारों में जिला डेस्क देखने वाले जरिया बने फोन नंबर देने का। आम दिनों में सीधे मुंह बात न करने वाले बड़े पत्रकार आज जिलों वालों को भाई साहब कह पुकार रहे थे। क्या लोकेशन है राहुल की, कहां रुके, किससे मिले, क्या कहा, कौन साथ में है… शाम होते-होते सब्र का पैमाना छलक उठा। नेपाल की तलहटी में बसे उत्तर प्रदेश के सीमा के आखिरी जिले के एक गांव तेलहार में राहुल। और लोकेशन किसी को नही। कुछ राजधानी के भाई लोगों ने गुरुवार की सुबह अखबारों के पहले पन्ने पर राहुल को सकुशल सुल्तानपुर के गेस्टहाउस पहुंचा दिया था।

पर सुबह होते ही सब पर पानी फिर गया। राहुल तो वहीं गांव में ही रुक गए। खबरिया चैनल वाले सुबह रवाना होने की तैयारी में ही थे कि खबर आयी राहुल चल दिए। बारास्ते अमौसी दिल्ली जा रहे हैं। इतनी बड़ी घटना और कहीं कोई कोट नहीं, बाइट नहीं। बस काम आए तो वही जिलाई पत्रकार और कस्बे के संवाद सूत्र। अमर उजाला के श्रावास्ती संवाददाता सतीश तो मानो हीरो हो गए। समय नही उनके पास। एक फोन छूटे तो दूसरा कान पर। सबकी खबर सिद्धार्थ कलहंसके वही स्त्रोत। गांव के इकलौते इंटर पास और कैमरा फोन धारी रामजन्म के पास सैकड़ों मुनहार। जिले के पत्रकार आज वीआईपी हो गए। आज श्रावस्ती के पत्रकारों के नंबर हर बड़े राजधानी के रिपोर्टर के मोबाइल में दर्ज है।


लेखक सिद्धार्थ कलहंस बिजनेस स्टैंडर्ड, लखनऊ के स्पेशल करेस्पांडेंट हैं.

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement