Connect with us

Hi, what are you looking for?

वेब-सिनेमा

लोकप्रिय जनकवि हरीश भादानी का निधन

हिंदी के प्रसि‍द्ध जनकवि‍ हरीश भादानी का आज नि‍धन हो गया। उनका हिंदी की लोकप्रि‍य प्रगति‍शील परंपरा में महत्‍वपूर्ण योगदान था। मंचीय कवि‍ताओं से लेकर साहि‍त्‍यि‍क कवि‍ताओं के श्रेष्‍ठतम प्रयोगों का बेजोड़ खजाना उनके यहां मि‍लता है। हिंदी और राजस्‍थानी कवि‍ता की पहचान नि‍र्मित करने में हरीशजी की केन्‍द्रीय भूमि‍का थी।‍ हरीश भादानी राजस्‍थान के बीकानेर में रहते थे, वहीं पर आज उनका नि‍धन हुआ। वे कुछ समय से अस्‍वस्‍थ चल रहे थे।

<p align="justify">हिंदी के प्रसि‍द्ध जनकवि‍ हरीश भादानी का आज नि‍धन हो गया। उनका हिंदी की लोकप्रि‍य प्रगति‍शील परंपरा में महत्‍वपूर्ण योगदान था। मंचीय कवि‍ताओं से लेकर साहि‍त्‍यि‍क कवि‍ताओं के श्रेष्‍ठतम प्रयोगों का बेजोड़ खजाना उनके यहां मि‍लता है। हिंदी और राजस्‍थानी कवि‍ता की पहचान नि‍र्मित करने में हरीशजी की केन्‍द्रीय भूमि‍का थी।‍ हरीश भादानी राजस्‍थान के बीकानेर में रहते थे, वहीं पर आज उनका नि‍धन हुआ। वे कुछ समय से अस्‍वस्‍थ चल रहे थे। </p>

हिंदी के प्रसि‍द्ध जनकवि‍ हरीश भादानी का आज नि‍धन हो गया। उनका हिंदी की लोकप्रि‍य प्रगति‍शील परंपरा में महत्‍वपूर्ण योगदान था। मंचीय कवि‍ताओं से लेकर साहि‍त्‍यि‍क कवि‍ताओं के श्रेष्‍ठतम प्रयोगों का बेजोड़ खजाना उनके यहां मि‍लता है। हिंदी और राजस्‍थानी कवि‍ता की पहचान नि‍र्मित करने में हरीशजी की केन्‍द्रीय भूमि‍का थी।‍ हरीश भादानी राजस्‍थान के बीकानेर में रहते थे, वहीं पर आज उनका नि‍धन हुआ। वे कुछ समय से अस्‍वस्‍थ चल रहे थे।

जनता के संघर्षों और जिंदगी के साथ एकमेक होकर जीने वाले वे बड़े कवि‍ थे। आम जनता में हरीश जी की कवि‍ताएं जि‍स तरह जनप्रि‍य थी वैसी मि‍साल नहीं मि‍लती। राजस्‍थान के वि‍गत चालीस सालों के प्रत्‍येक जन आंदोलन में उन्‍होंने सक्रि‍य रूप से हि‍स्‍सा लि‍या था। राजस्‍थानी और हिंदी में उनकी हजारों कवि‍ताएं हैं। ये कवि‍ताएं दो दर्जन से ज्‍यादा काव्‍य संकलनों में फैली हुई हैं। मजदूर और कि‍सानों के जीवन से लेकर प्रकृति‍ और वेदों की ऋचाओं पर आधारि‍त आधुनि‍क कवि‍ता की प्रगति‍शील धारा के नि‍र्माण में उनकी महत्‍वपूर्ण भूमि‍का थी। इसके अलावा हरीशजी ने राजस्‍थानी लोकगीतों की धुनों पर आधारि‍त उनके सैंकड़ों जनगीत लि‍खें हैं जो मजदूर आंदोलन का कंठहार बन चुके हैं।

हरीश भादानी का 11 जून 1933 को बीकानेर (राजस्‍थान) में जन्‍म हुआ। सन् 1960-1974 तक ‘वातायन’ पत्रि‍का का संपादन कि‍या। जनवादी लेखक संघ के वे संस्‍थापक सदस्‍यों में थे। उनकी मार्क्‍सवादी वि‍चारों और भारतीय संस्‍कृति‍ के प्रति‍ गहरी आस्‍था थी। आपको राजस्‍थान साहि‍त्‍य अकादमी, मीरा प्रि‍यदर्शि‍नी अकादमी, परि‍वार अकादमी महाराष्‍ट्र, पश्‍चि‍म बंग हि‍न्‍दी अकादमी, के.के. बि‍ड़ला फाउझडेशन से साहि‍त्‍य सम्‍मान और पुरस्‍कार मि‍ले।

प्रकाशि‍त रचनाऍं –

  1. अधूरे गीत (हिन्दी-राजस्थानी) 1959 बीकानेर
  2. सपन की गली (हिन्दी गीत कविताएँ) 1961 कलकत्ता
  3. हँसिनी याद की (मुक्तक) सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर 1963
  4. एक उजली नजर की सुई (गीत) वातायान प्रकाशन, बीकानेर 1966 (दूसरा संस्करण-पंचशीलप्रकाशन, जयपुर)
  5. सुलगते पिण्ड (कविताएं) वातायान प्रकाशन, बीकानेर 1966
  6. नश्टो मोह (लम्बी कविता) धरती प्रकाशन बीकानेर 1981
  7. सन्नाटे के शिलाखंड पर (कविताएं) धरती प्रकाशन, बीकानेर1982
  8. एक अकेला सूरज खेले (कविताएं) धरती प्रकाशन, बीकानेर 1983 (दूसरा संस्करण-कलासनप्रकाशन, बीकानेर 2005)
  9. रोटी नाम सत है (जनगीत) कलम प्रकाशन, कलकत्ता, 1982
  10. सड़कवासी राम (कविताएं) धरती प्रकाशन, बीकानेर, 1985
  11. आज की आंख का सिलसिला (कविताएं) कविता प्रकाशन, 1985
  12. विस्मय के अंशी है (ईशोपनिषद व संस्कृत कविताओं का गीत रूपान्तर) धरती प्रकाशन, बीकानेर 1988
  13. साथ चलें हम (काव्यनाटक) गाड़ोदिया प्रकाशन, बीकानेर 1992
  14. पितृकल्प (लम्बी कविता) वैभव प्रकाशन, दिल्ली 1991 (दूसरा संस्करण-कलासन प्रकाशन, बीकानेर 2005)
  15. सयुजा सखाया (ईशोपनिषद, असवामीय सूत्र, अथर्वद, वनदेवी खंड की कविताओं का गीत रूपान्तर मदनलाल साह एजूकेशन सोसायटी, कलकत्ता, 1998
  16. मैं मेरा अष्टावक्र (लम्बी कविता) कलासान प्रकाशन बीकानेर, 1999
  17. क्यों करें प्रार्थना (कविताएं) कवि प्रकाशन, बीकानेर, 2006
  18. आड़ी तानें-सीधी तानें (चयनित गीत) कवि प्रकाशन बीकानेर, 2006
  19. अखिर जिज्ञासा (गद्य) भारत ग्रन्थ निकेतन, बीकानेर, 2007

राजस्थानी में प्रकाशित पुस्तकें:

  1. बाथां में भूगोळ (कविताएं) धरती प्रकाशन, बीकानेर, 1984
  2. खण-खण उकळलया हूणिया (होरठा) जोधपुर ज.ले.स
  3. खोल किवाड़ा हूणिया, सिरजण हारा हूणिया (होरठा) राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति जयपुर
  4. तीड़ोराव (नाटक) राजस्थानी भाषा-साहित्य संस्कृति अकादमी, बीकानेर पहला संस्करण 1990 दूसरा 1998
  5. जिण हाथां आ रेत रचीजै (कविताएं) अंशु प्रकाशन, बीकानेर
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement