मशहूर हिंदी मैग्जीन ‘आउटलुक’ की फीचर एडिटर गीताश्री को देश के एक प्रतिष्ठित संस्थान नेशनल फाउंडेशन फार इंडिया ने वर्ष 2009-2010 के लिए फेलोशिप देने का निर्णय लिया है। इस फेलोशिप की आधिकारिक घोषणा 16-17 दिसंबर को दिल्ली में होने वाले सम्मान समारोह के दौरान की जाएगी। ज्ञात हो कि नेशनल फाउंडेशन फार इंडिया फेलोशिप के लिए प्रति वर्ष देश भर के पत्रकारों से आवेदन मंगाता है। इनमें से मात्र 9 पत्रकारों उनके विषय की महत्ता, गुणवत्ता के आधार पर फेलोशिप देने का निर्णय लिया जाता है। एक लाख रुपये की राशि वाला यह फेलोशिप एक साल की अवधि का होता है। एक साल के भीतर चुने हुए विषय पर शोध कार्य करना पड़ता है। गीताश्री इस फेलोशिप के तहत तंबाकू उत्पादों पर चित्रमय चेतावनी संदेशों के प्रभाव का आकलन करेंगी। साथ ही यह भी पता लगाएंगी कि क्या चित्रमय चेतावनी अपने मकसद में सफल हो पा रहा है या नहीं। तंबाकू सेवन को हतोत्साहित करने के लिए और क्या-क्या किया जा सकता है, इस बारे में भी वह पता लगाएंगी।
उल्लखेनीय है कि गीताश्री को इस संस्थान ने दूसरी बार फेलोशिप के लिए चुना है। इससे पहले वर्ष 2007 का मीडिया फेलोशिप मिला था। तब इनका विषय था ‘छत्तीसगढ़, झारखंड और मध्य प्रदेश में आदिवासी लड़कियों की तस्करी’. गीताश्री को इससे पहले इंफोचेंज मीडिया फेलोशिप अवार्ड भी मिल चुका है। 17 वर्षों से मीडिया में सक्रिय गीताश्री प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और वेब, तीनों माध्यमों में विविध पदों पर काम कर चुकी हैं। वे पहले हिंदी पोर्टल वेबदुनिया डाट काम के दिल्ली ब्यूरो की चीफ रह चुकी हैं। डीडी न्यूज पर आने वाले रोजाना के लिए प्रिंसिपल करेस्पांडेंट के रूप में गीताश्री ने काम किया। वे इसी पद पर अक्षर भारत में भी रहीं। स्वतंत्र भारत में सीनियर करेस्पांडेंट के रूप में दिल्ली ब्यूरो में वे चार वर्ष तक काम कर चुकी हैं।
बेस्ट फिल्म रिपोर्टिंग के लिए मातृश्री अवार्ड पाने वाली गीताश्री महिलाओं के मुद्दों पर जुझारू लेखन के लिए न्यूजपेपर एसोसिएशन आफ इंडिया की तरफ से भी पुरस्कृत हुई हैं। राजस्थान के बंधुवा मजदूरों पर लेखन के लिए उन्हें बेस्ट ग्रासरूट फीचर एवार्ड मिला। गीताश्री का एक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुका है, जिसका नाम है- ‘कविता जितना हक’। कई किताबों की संपादक और लेखक गीताश्री सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर सक्रिय रहती हैं और इस मकसद से देश-विदेश की यात्राएं भी करती रहती है।