: जेयूसीएस ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को ज्ञापन सौंपकर की मांग : जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसायटी ने एक निजी कम्पनी की ओर से युवा मुस्लिम धर्मगुरुओं के बीच किए जा रहे उस सर्वे का विरोध किया है, जिसमें मुस्लमानों की छवि को राष्ट्ररोधी और कट्टरपंथी के रूप में पेश करने की कोशिश की जा रही है। संगठन ने मंगलवार को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष शफी कुरैशी को इस संबंध में ज्ञापन सौंपकर पूरे मामले हस्तक्षेप की मांग की। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन ने पूरे तथ्य में कार्रवाई का आवाश्वसन दिया है।
गौरतलब है कि यह सर्वे दिल्ली की ही एक कम्पनी ‘मार्केटिंग एवं डेवल्पमेंट रिसर्च एसोसिएट्स (एमडीआरए) करा रही है। इस सर्वे में अजमल आमीर कसाब से संबंधित कई ऐसे सवाल भी पूछे गए हैं, जो अदालत के फैसले के खिलाफ है। जेयूसीएस के राष्टीय कार्यकारिणी सदस्य शाह आलम ने कहा कि एमडीआरए द्वारा किए जा रहे इस सर्वे का मकसद मुस्लिम युवाओं की छवि को कट्टर व आतंकवादियों का हिमायती बताना है।
उन्होंने कहा कि जब मुंबई की एक अदालत ने अजमल आमीर कसाब को सजा सुना चुकी है, तो इस इस पर सवाल उठाना अदालत की भी अवमानना है। उन्होंने कहा कि देश में पहले से ही मुस्लिम समुदाय के लोगों से दोहरा बरताव किया जा रहा है। इस सर्वे से ऐसे व्यवहार को प्रमाणिकता दिलाने की कोशिश की जा रही है। संगठन के ही विजय प्रताप ने कहा कि सर्वे में जिस तरह से एकतरफा सवाल पूछे गए हैं उससे साफ जाहिर होता है कि सर्वे करने वालों का मकसद मुस्लिमों की छवि को राष्ट्रविरोधी साबित करना है।
उन्होंने कहा कि थोड़े से धर्मगुरुओं के बीच ऐसे सर्वे के आधार पर एक पूरे समुदाय के खिलाफ नफरत की मानसिकता का निर्माण करने की कोशिश की जा रही है। मुकेश चौरासे ने बताया कि अल्पसंख्यक आयोग को सौंपे गए ज्ञापन में संगठन ने इस तरह के सर्वे पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। जबकि विजय प्रताप ने कहा कि इस सर्वे पर सभी न्यायप्रिय संस्थाओं को आगे आकर अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए।