पुलिस द्वारा एक समाचार पत्र के संपादक सहित दस मीडियाकर्मियों पर बनाए गए झूठे मुकदमे वापस लेने व मामले की जांच सीबीआई से करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर भिवानी के पत्रकारों ने अतिरिक्त उपायुक्त आरसी बिधान के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में पत्रकारों ने कहा कि कुछ दिन पूर्व एक दैनिक समाचार पत्र द्वारा मधुबन प्रकरण से संबंधित समाचार प्रकाशित करने पर पुलिस ने उसके संपादक व समाचार पत्र से जुड़े़ दस लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमे बनाए हैं और गिरफ्तारी की गई है, वह अनुचित है।
ये मुकदमें इस प्रकरण की जांच किए बिना ही बनाए गए हैं। यदि सरकार इस प्रकरण में सच्चाई को जनता के सामने लाना चाहती है तो पहले मधुबन प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए और उसके बाद मामले में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। परन्तु हाल ही में जिस प्रकार से पुलिस अपना मनमाना रवैया अपना रही है, वह लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। मीडिया को संविधान में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है। इसलिए मीडिया जनहित के मुद्दों को जनता के सामने रखती है। बिना जांच पड़ताल किए जिस प्रकार से ‘अभी-अभी’ समाचार पत्र से जुड़े लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं, उससे मीडिया का गला घोंटा जा रहा है। यदि सरकार मीडिया से निष्पक्षता एवं जनता की आवाज को सार्वजनिक करने की उम्मीद रखती है तो उसे मीडिया पर बेवजह पाबंदी व दबाव नहीं बनाना चाहिए।
ज्ञापन सौंपने वालों में पत्रकार अजय मल्होत्रा, केसरी शर्मा, श्रीभगवान वशिष्ठ, नरोतम बागड़ी, जंगबीर गोयत, पवन मितल, अनुज राणा, धर्मेन्द्र कंवारी, राममेहर शर्मा, राजेन्द्र चौहान, सुरेश मेहरा, सोमवीर शर्मा, पवन शर्मा, वीएम बेचैन, इन्द्रवेश, अशोक भारद्वाज, सतपाल पंघाल, राजनारायण पंघाल, संजय शर्मा, अशोक तंवर, नरेन्द्र, सरदार कृष्ण सिंह, अश्विनी शर्मा, जितेन्द्र वालिया, राजू डूडेजा, दिनेश शर्मा सहित अनेक मीडियाकर्मी शामिल थे।