यूरोप में आयोजित हिन्दी ज्ञान प्रतियोगिता के आधार पर चयनित पांच देशों ब्रिटेन, रूस, रूमानिया, क्रोएशिया और हंगरी के ये 11 विद्यार्थी 18 से 30 अगस्त तक भारत यात्रा पर हैं। हिंदी प्रेम के कारण इन विदेशी छात्रों का दिल्ली में पिछले दिनों अभिनंदन किया गया।
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर सभागार में अक्षरम् और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् के निमंत्रण पर यूरोप से भारत आए विद्यार्थियों के अभिनंदन समारोह में विदेश मंत्रालय में पूर्व सचिव जे.सी. शर्मा ने कहा- ‘विदेशों में हिन्दी सीखने वाले विद्यार्थी भारतीय संस्कृति के अग्रदूत हैं। इनके माध्यम से भारतीय संस्कृति दुनिया भर में पुष्पित-पल्लवित होती है।’
कार्यक्रम में बोलते हुए दिल्ली हिन्दी अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. अशोक चक्रधर ने विभिन्न विद्यार्थियों को कविताओं को उद्धृत करते हुए कहा कि इन विद्यार्थियों का महादेवी वर्मा, निराला, नागार्जुन, त्रिलोचन की कविताओं को सुनाना यह सिद्ध करता है कि मानवीय संवेदनाएं किसी काल और देश तक सिमटा नहीं हैं। उन्होंने मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा हिन्दी को प्रथमिक स्तर पर पढ़ाने के निर्णय को ऐतिहासिक बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. रत्नाकर पांडेय ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के लिए महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, वर्धा और केन्द्रीय हिन्दी संस्थान जैसी संस्थाओं को आगे आना चाहिए।
कार्यक्रम में यूरोप के इन विद्यार्थियों ने भारत प्रेम और हिन्दी प्रेम के बारे में बताया और हिन्दी के कुछ प्रमुख कवियों की कविताएं सुनाईं। उनके द्वारा कविताओं के चयन और प्रस्तुति से श्रोता मंत्रमुग्ध रह गए। अक्षरम् के अध्यक्ष अनिल जोशी ने बताया कि यह कार्यक्रम वर्ष 2001 से चल रहा है और यू.के. हिन्दी समिति के अध्यक्ष डॉ. पद्मेश गुप्ता के संयोजन में यह परीक्षा यूरोप के 9 देशों में आयोजित की जाती है। भारत भ्रमण के दौरान ये विद्यार्थी दिल्ली के अलावा आगरा, इलाहाबाद, हरिद्वार, देहरादून इत्यादि की यात्रा करते हैं। कार्यक्रम का संचालन टैक्सास विश्वविद्यालय से संबद्ध प्रो. राजेश कुमार ने किया। कार्यक्रम में श्रीमती कमला सिंघवी, डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण, डॉ. विमलेश कांति वर्मा, डॉ वीरेन्द्र प्रभाकर, नारायण कुमार, विनोद सदलेश, नरेश शाडिल्य, एम.के गौड़, पंकज दुबे, बालेन्दु दाधीच, उषा महाजन जैसे विद्वानों, हिन्दी प्रेमियों ने भाग लिया।