तस्वीरें छापी हैं तो एक करोड़ हर्जाना दो : सासी एडवर्टाइजिंग एजेंसी को लेने-के-देने पड़ गए हैं। दो साल पहले एड्स जागरूकता अभियान संबंधी पोस्टरों में एक महिला और उसकी चार साल की बेटी की फोटो इस्तेमाल किए जाने पर महिला ने मद्रास हाईकोर्ट में मुकदमा ठोक दिया। हाईकोर्ट ने राज्य भर में लगाए गए पोस्टरों से मां-बेटी की फोटो हटाने के आदेश दिए हैं। इसके लिए सासी एजेंसी को एक हफ्ते का समय दिया गया है। महिला ने 3 जुलाई को एक याचिका दायर कर एड्स कंट्रोल सोसायटी से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने और एक करोड़ रुपये हर्जाने की मांग की है।
महिला के वकीलों का कहना है कि पोलियो टीकाकरण के दौरान किसी ने महिला और बच्ची का विडियो बनाया था जिसका बाद में दुरुपयोग किया गया। एड्स कंट्रोल सोसायटी की वकील आर. रत्नतारा का कहना है कि सासी एडवर्टाइजिंग एजेंसी ने मां-बेटी के फोटो एक वेब साइट के कॉपीराइट ओनर से खरीदा था। जस्टिस के. सगुना ने कहा कि हेल्थ डिपार्टमेंट को वेब से फोटो इस्तेमाल करने का नियम बनाना चाहिए। हाईकोर्ट में दायर याचिका में 25 वर्षीय महिला ने कहा है कि इस पोस्टर से हम मां-बेटी के एचआईवी ग्रस्त होने का भ्रम फैल गया है। पोस्टरों को देखने के बाद हमारे रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने हमारे परिवार का बहिष्कार कर दिया। मेरी चार साल की बेटी को बाकी बच्चों के साथ खेलने नहीं दिया जाता। एक मौका ऐसा भी आया, जब हम आत्महत्या की बात सोचने लगे क्योंकि लोग मेरे चरित्र पर शक करने लगे थे।