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15 प्रतिशत कमीशन सरकारी एजेंसी को!

छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से जो सरकारी विज्ञापन रिलीज किए जाते हैं अखबारों-पत्रिकाओं आदि के लिए, उसमें भी कमीशनबाजी का खेल होता है. भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ‘संवाद’ नामक एक सरकारी एजेंसी है, जिसे प्रत्येक विज्ञापन का पंद्रह प्रतिशत कमीशन भेंट किया जाता है. पिछले दिनों भड़ास4मीडिया के हाथ एक ऐसा रोचक मेल हाथ लगा जिससे कमीशनबाजी का खेल उजागर होता है.

<p align="justify">छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से जो सरकारी विज्ञापन रिलीज किए जाते हैं अखबारों-पत्रिकाओं आदि के लिए, उसमें भी कमीशनबाजी का खेल होता है. भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 'संवाद' नामक एक सरकारी एजेंसी है, जिसे प्रत्येक विज्ञापन का पंद्रह प्रतिशत कमीशन भेंट किया जाता है. पिछले दिनों भड़ास4मीडिया के हाथ एक ऐसा रोचक मेल हाथ लगा जिससे कमीशनबाजी का खेल उजागर होता है.</p>

छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से जो सरकारी विज्ञापन रिलीज किए जाते हैं अखबारों-पत्रिकाओं आदि के लिए, उसमें भी कमीशनबाजी का खेल होता है. भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ‘संवाद’ नामक एक सरकारी एजेंसी है, जिसे प्रत्येक विज्ञापन का पंद्रह प्रतिशत कमीशन भेंट किया जाता है. पिछले दिनों भड़ास4मीडिया के हाथ एक ऐसा रोचक मेल हाथ लगा जिससे कमीशनबाजी का खेल उजागर होता है.

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा रिलीज किए गए एक विज्ञापन को एक मीडिया हाउस से जुड़े रायपुर के संवाददाता ने जब अपने दिल्ली स्थित मुख्यालय भेजा तो उसने मेल में लिखा- ” आदरणीय….., छत्तीसगढ़ सरकार के ….. विभाग का यह एक पेज का विज्ञापन है। विज्ञापन अटैच है। इसकी कीमत एक लाख रुपये है। इसे अंग्रेजी-हिंदी संस्करणों में प्रकाशित किया जाना है। बताना चाहूंगा कि विज्ञापन का 15 प्रतिशत कमीशन सरकारी एजेंसी संवाद को जाना है. विज्ञापन का आरओ जल्द ही मिल जाने की उम्मीद है जिसे मिलते ही भेज दूंगा। आपका….. ”

मेल के इस मजमून से जाहिर है कि कोई सरकारी एजेंसी है जिसका नाम संवाद है और वह पंद्रह प्रतिशत कमीशन लेती है. क्या आप बता सकते हैं कि यह कमीशनखोरी लीगल है या इल-लीगल? अगर लीगल है तो किस मकसद से है यह कमीशनखोरी और इल-लीगल है तो यह धंधा इतना खुलेआम क्यों है?

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0 Comments

  1. पंकज झा.

    April 1, 2010 at 7:48 am

    बिलकुल लीगल है, क़ानून के अनुसार है ये……इसका बजाप्ता रसीद दिया जाता है और यह विज्ञापन डिजाइन एवं अन्य स्थापना व्यय के लिए लिया जाता है, यह किसी के व्यक्तिगत जेब में नहीं जाता ….पचासी प्रतिशत भी मीडिया को दे कर सरकार उपकार ही कर रही है उन लोगों पर….अन्यथा आपके किसी सरकारी मीडिया द्वारा विज्ञापन किये जाने की कोई ज़रूरत नहीं है छत्तीसगढ़ को…कृपया बिना पूरी जानकारी के ऐसी-वैसी खबर लगा कर किसी व्यक्ति या सरकार को बदनाम नहीं करें…धन्यवाद.

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