अजय उपाध्याय। समकालीन हिंदी मीडिया के बेहद प्रतिभाशाली वरिष्ठ पत्रकारों में से एक। देश-दुनिया और समाज के हर क्षेत्र के प्रति गहरी और संवेदनशील समझ रखने वाला पत्रकार। इस वैश्विक दौर में जर्नलिज्म के ग्लोबल ट्रेंड्स के साथ भारतीय मीडिया की नब्ज को समझने-बूझने वाला विचारक। इंजीनयर की नौकरी छोड़ने के बाद पत्रकार बनने से पहले इस शख्स ने लाइब्रेरियों की खाक छानी और हर विषय की सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारियों को आत्मसात किया। तभी तो जब ये पत्रकारिता में आए तो संपर्क-संबंध न होने के बावजूद केवल प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ते गए।
बस्ती जिले के एक गांव में पैदा हुए अजय उपाध्याय बाद में दैनिक हिंदुस्तान जैसे अखबार के संपादक बने। उनके नेतृत्व में न सिर्फ दैनिक हिंदुस्तान का बनारस संस्करण लांच हुआ बल्कि रांची, मुजफ्फरपुर, भागलपुर समेत कई संस्करण लांच करने की योजना बनी और उस पर अमल हुआ। हिंदी मीडिया के इस थिंक टैंक की सबसे बड़ी खासियत इनकी विनम्रता, सहजता और साफगोई है। ज़िंदगी को हमेशा अपने अंदाज और अपनी शर्तों पर जीने वाले इस मशहूर शख्सियत ने कई मुश्किल क्षण भी देखे और झेले हैं। संघर्षों को अपनी पूंजी बताने वाले अजय उपाध्याय ने आज तक कभी किसी से नौकरी नहीं मांगी। आज अखबार से इस्तीफा देने के बाद बनारस से दिल्ली आए अजय उपाध्याय ने पूरे एक साल यहां संघर्ष किया। वजह, नौकरी मांगने की आदत जो नहीं रही। जब मिली तो की वरना पढ़ने-लिखने और घूमने में मस्त रहे।
हिंदी मीडिया के इस थिंक टैंक, संपादक, विचारक, दार्शनिक से विस्तृत बातचीत आप 15 अगस्त को हमारा हीरो स्तंभ में पढ़ सकेंगे। हमेशा की तरह आप अपने सवाल [email protected] पर मेल कर सकते हैं।