डॉक्टर संतोष मानव के साथ मेरी पूरी सहानुभूति है। भास्कर के और वह भी ग्वालियर के समाचार संपादक हैं, इसलिए जो उन्होंने लिखा, उसे समझा जा सकता है। कलेजे पर पत्थर रखकर लिखा होगा, इसलिए ज्यादा नहीं लिख पाये। सीधे मुद्दे पर आया जाए। अजीत जोगी के जिस इंटरव्यू का वे हवाला दे रहे हैं वह उस समय का है जब पिछले से पिछले विधानसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में श्री जोगी पर भाजपा के विधायक खरीदने का आरोप लगा था और चूंकि उन्होने स्टिंग ऑपरेशन के दौरान सोनिया गांधी का नाम भी ले लिय़ा था, सो, उसी रात उन्हें निलंबित करने की घोषणा अंबिका सोनी ने कर दी थी। हालत ये हो गयी थी कि श्री जोगी के मित्र और घनिष्ठ कांग्रेसी नेता भी उनसे कतराने लगे। कोई जोगी का सच सुनने को राजी नहीं था। उस दौरान श्री जोगी मेरी कार में मेरे साथ मेरे नाम पर तय किए गये समय के आधार पर कई नेताओं से मिले और उनकी गलतफहमियां दूर करने की कोशिश की। इन नेताओं में अर्जुन सिंह भी थे। कमलनाथ भी।
प्रणव मुखर्जी। अहमद पटेल। सुरेश पचौरी। और मोतीलाल वोरा भी थे। इस पूरे दौरान लगातार श्री जोगी से बात होती रही और उन्होंने जो कहा उसका मतलब यह था कि स्टिंग में आवाज़ उनकी नहीं है और जिन लोगों ने उन्हें फंसाया है वे उन्हे नंगा कर देंगे। संतोष मानव मुझे फोन कर लें। मै श्री जोगी से उनकी बात करवा दूंगा। मगर उस समय माहौल दूसरा था और यह सही है कि श्री जोगी ने इंटरव्यू छपने के बाद मुझे फोन करके कहा था कि इस इंटरव्यू का खंडन छपवाओ क्योंकि इस इंटरव्यू का मतलब गलत लगाया जा रहा है और इससे मुझे राजनैतिक हानि हो सकती है। श्री जोगी ने मेरी जानकारी में और मेरी सहमति से इसका खंडन लोकमत समूह के मालिक और सांसद विजय दर्दा को कहकर छपवाया था। आदरणीय अच्युतानंद मिश्र तो दृश्य में ही कहीं नहीं थे। खंडन छपने के सिर्फ तीन दिन बाद जोगी ने हमारे घऱ खाना खाया था।
श्री जोगी आज भी मित्र हैं और तब से मित्र हैं जब वे पहली बार राज्यसभा में चुनकर आये थे। हम लोगों ने सैकड़ों शामें साथ बिताई हैं। श्री जोगी और श्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहली मुलाकात मेरे घर 729 बाबा खड़ग सिंह मार्ग, नई दिल्ली में हुई थी। इसके बाद जब जोगी मुख्यमंत्री बने तो राज्योत्सव के मौके पर किताब लिखने के लिए भी मुझे ही बुलाया। उनके साथ जब दुर्घटना हुई तो सबसे पहले मुंबई पहुंचने वालों में भी मै था।
अब ये पता नहीं कि मानव जी ने बंद कमरे में किस नवयौवना पत्रकार को चूमते चाटते भास्कर के किस संपादक को देखा है। वे भास्कर में हें तो शायद भास्कर की ही बात कर रहे हैं। जब बड़े बात कर रहे हो तो बच्चों को नहीं बोलना चाहिए। बोलना है तो भरत बोलें, सुधीर बोलें या रमेश जी बोलें। मानव जी को पता होगा कि भास्कर प्रबंधन पर्याप्त अमानवीय है और संपादकों को ताश के पत्ते की तरह फेंटता है और चाहे जब बादशाह को जोकर बना कर एक किनारे फेंक देता है। मानव जी पत्रकार हैं इसलिए हमारे साथी हैं।
हमने बात सेठों की की था मगर बोल पड़े अपने समाचार संपादक मानव जी। इससे कुछ नहीं मिलने वाला। भास्कर के कई संपादकों की पदयात्रा होते मैंने देखी है और कुछ दिनों तक भाषा के मामले में समूह का सलाहकार भी रहा हूं। मेरा न सुधीर अग्रवाल से बैर है और न महेश अग्रवाल से कोई प्रेम-भाव। ग्वालियर की जिस इमारत में बैठकर मानव जी भास्कर के समाचारों का संपादन कर रहे हैं वहीं बैठने वाले भास्कर के संस्थापक द्वारका प्रसाद अग्रवाल को मेहनत करके यह समूह रचते हुए मैंने देखा है और इस समूह की उन्नति से मैं जलने वाला नहीं हूं। मगर धोखाधड़ी चाहे भास्कर जैसे महाबली अखबार के नाम पर की जाय या किसी और तरीके से, मुझे उसके बारे में बताने का पूरा अधिकार है। यह पत्र ग्वालियर से आया है, इसलिए जवाब दे रहा हूं क्योंकि ग्वालियर मेरा घर है। बाकी भरत, सुधीर और रमेश जी की भड़ैती जिसे करनी हो करता रहे, अपने पास जवाब देने का वक्त नहीं है।
लेखक आलोक तोमर देश के जाने-माने पत्रकार हैं.
Ramvilaskairwar
September 1, 2010 at 8:57 am
Aalok ji ka jabab nhi Aropo ka jabab schachi ki dharatal se diya