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आलोक तोमर से मिलिए एक अक्टूबर को

alok tomarहमारा हीरो में एक अक्टूबर को आलोक तोमर। हिंदी पत्रकारिता का गरिमामय नाम आलोक तोमर। सरोकार वाली पत्रकारिता के प्रतीक आलोक तोमर। खबर लेखन की भाषा, शैली और शिल्प में नए युग का अविभार्व करने वाले आलोक तोमर। किसी के आगे न झुकने वाले आलोक तोमर। एक रीयल हीरो की तरह जिंदगी को अपने सिद्धांतों पर जीने वाले आलोक तोमर।

बागियों की धरती चंबल घाटी के भिंड से निकले इस प्रतिभाशाली नौजवान के नाम शिक्षा-पत्रकारिता में कई रिकार्ड आज भी उन इलाकों में दर्ज है। 

alok tomar

alok tomarहमारा हीरो में एक अक्टूबर को आलोक तोमर। हिंदी पत्रकारिता का गरिमामय नाम आलोक तोमर। सरोकार वाली पत्रकारिता के प्रतीक आलोक तोमर। खबर लेखन की भाषा, शैली और शिल्प में नए युग का अविभार्व करने वाले आलोक तोमर। किसी के आगे न झुकने वाले आलोक तोमर। एक रीयल हीरो की तरह जिंदगी को अपने सिद्धांतों पर जीने वाले आलोक तोमर।

बागियों की धरती चंबल घाटी के भिंड से निकले इस प्रतिभाशाली नौजवान के नाम शिक्षा-पत्रकारिता में कई रिकार्ड आज भी उन इलाकों में दर्ज है। 

खेती-किसानी, पढाई-लिखाई, शिक्षण-प्रशिक्षण, पत्रकारीय मिशन और सामाजिक सरोकार जैसी चीजों से भिंड – ग्वालियर के अपने शुरुआती जीवन में ही परिपक्वता हासिल कर लेने वाले इस देहाती नौजवान ने जब दिल्ली शहर में कदम रखा तो यहां हर पग पर आ खड़ी होतीं चुनौतियों को सिर्फ और सिर्फ अपनी मेहनत, अपनी हिम्मत के दम पर परास्त किया और आगे बढ़ते रहने का फलसफा जिया।

प्रभाष जोशी के प्रति बेहद कृतज्ञ आलोक तोमर ने जनसत्ता  के अपने दिनों में जिस तरह की खबरें ब्रेक कीं, वे आज भी पत्रकारिता के लिए एक मिसाल हैं। बेजान खबरें लिखे जाने की परंपरागत शैली को उलटकर रख देने वाले इस नौजवान ने खबरों में न सिर्फ आत्मा डाली बल्कि उसे पठनीय और ग्रहणीय बनाने के लिए बड़ा काम किया। 

लाइजनिंग, पीआरबाजी, रीढ़विहीनता, बाजारोन्मुख और प्रबंधन प्रेमी इस पत्रकारीय दौर में आलोक तोमर ने किसी मीडिया हाउस की चाकरी करने के बजाय मीडिया की मुख्य धारा से अलग रहकर पत्रकारिता और भाषा के सरोकार के लिए अपना मोर्चा खोल रखा है। वे इन दिनों न्यूज फीचर एजेंसी और न्यूज पोर्टल चला रहे हैं। प्रिंट और वेब, दोनों माध्यमों के जरिए अपने कलम को धार दिए हुए हैं। साथ-साथ टीवी, फिल्म, अखबार जैसे मीडिया माध्यमों के लिए भी समय-समय पर बेहद मौलिक और रचनात्मक योगदान देते रहते हैं।

पत्रकारिता की एक पूरी पीढ़ी के लिए रोल माडल रहे आलोक तोमर की निजी जिंदगी किसी महाउपन्यास की तरह है जिसमें सारे रंग है। और हर रंग से एक सबक मिलता है- खुद पर भरोसा कर सपने देखने वालों के सामने दिक्कतें तो बहुत आती हैं लेकिन वो उन दिक्कतों से मजबूत होकर न सिर्फ अपना मुकाम हासिल करता है बल्कि एक दिन अचानक भेड़चाल से निकल कर पूरी भीड़ के लिए आदर्श बन जाता है।


आलोक तोमर से अगर आप भी कोई सवाल पूछना चाहते हैं, उनके बारे में कुछ बताना या कहना चाहते हैं तो भड़ास4मीडिया तक अपनी बात [email protected] पर मेल करके पहुंचा सकते हैं।

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