ब्रांडिंग के नाम पर मैनेजर करा रहे बदनामी : मैनेजर्स कई बार ब्रांडिंग के नाम पर बदनामी कराने में नहीं चूकते। गलती अनजाने में हुई है लेकिन है बड़ी चूक। उठापटक के इस दौर में अमर उजाला के मैनेजरों को अखबार की ब्रांडिंग कराने की सूझी तो इलाहाबाद में नंबर वन अखबार बन जाने की बात को राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने के लिए एक विज्ञापन अभियान शुरू करने का फैसला किया। इस एड कंपेन को कई अंग्रेजी मीडिया मार्केटिंग पोर्टलों पर लांच कराया गया है। इसके लिए जो विज्ञापन डिजाइन कराया गया है, उससे बजाय अमर उजाला की इमेज बनने के, छवि बिगड़ती नजर आ रही है। अमर उजाला का मतलब सिर्फ यूपी वाला समझ में आ रहा है। वह भी पूरा नहीं बल्कि आधा अधूरा यूपी वाला। चार लेयर के इस विज्ञापन में बताया गया है कि वेस्टर्न यूपी पर राज करने वाला अमर उजाला अब किस तरह लखनऊ, गोरखपुर और इलाहाबाद के इलाके में भी प्रमुख अखबार बन गया है।
इस विज्ञापन के चलने के दौरान यूपी के अमर उजाला के प्रभाव वाले हिस्सों को लाल रंग से दिखाया जा रहा है। पूरे विज्ञापन को देखने से जो तुरंत समझ में आता है वह यह कि अमर उजाला अभी तक सिर्फ पश्चिमी यूपी का अखबार था और अब गोरखपुर, लखनऊ और इलाहाबाद का भी हो गया है, साथ ही इलाहाबाद में नंबर वन भी हो गया है।
अमर उजाला का मतलब सिर्फ पश्चिमी यूपी और पूर्वी यूपी नहीं होता। अमर उजाला का मतलब पूरा यूपी होता है। अमर उजाला का मतलब हरियाणा-पंजाब होता है। अमर उजाला का मतलब जम्मू-कश्मीर होता है। अमर उजाला का मतलब हिमाचल प्रदेश होता है। अमर उजाला का मतलब उत्तराखंड होता है। अमर उजाला का मतलब दैनिक हिंदुस्तान से बड़ा अखबार होता है। अमर उजाला का मतलब जागरण और भास्कर के बाद देश का तीसरे नंबर का अखबार होता है।
खैर, जब अमर उजाला का मतलब अमर उजाला वाले ही नहीं जानते तो उन्हें भला दूसरा कोई क्या समझा सकता है। कुल मिलाकर इतना कहा जा सकता है कि जिस मकसद के लिए यह विज्ञापन अभियान शुरू किया गया है, वह मकसद हल होने के बजाय उलटे इससे अमर उजाला की नकारात्मक ब्रांडिंग हो रही है। अमर उजाला को न जानने वाला कोई मुंबई में बैठा अंग्रेजी दां इस विज्ञापन को देखेगा तो यही सोचेगा का यह वेस्ट यूपी का अखबार है जो ईस्ट यूपी में चले जाने की खुशियां मना रहा है। जिस किसी मैनेजर ने इस विज्ञापन को एप्रूव किया, हो सकता है उसे अमर उजाला के बारे में बहुत पता न हो, किसी नान-मीडिया कंपनी से मीडिया में हाल-फिलहाल आया हो लेकिन मैनेजरों के उस्ताद सुनील मुतरेजा क्या कर रहे थे? उनके बिना संज्ञान में लाए यह विज्ञापन रिलीज हो ही नहीं सकता। इस बारे में जानकारी के लिए भड़ास4मीडिया ने सुनील मुतरेजा से बात करने की कोशिश की तो उनके मोबाइल पर बेल जाती रही, उन्होंने फोन पिक नहीं किया।
चलिए, अब आप खुद देख लीजिए अमर उजाला की ब्रांडिंग करने वाला नया विज्ञापन…. आपकी क्या राय है?