दुर्गेश और अमित अमर उजाला लखनऊ पहुंचे : अमर उजाला बुलंदशहर से विशेष और संजीव का इस्तीफा : अमर उजाला, लखनऊ से खबर है कि संपादक और संपादकीय स्टाफ में फिर तनातनी हो गई है. जिसे देखो, वही आफिस के माहौल की बुराई करते घूम रहा है.
निशाने पर हैं संपादक. सूत्रों के मुताबिक ब्यूरो के रिपोर्टर मनोज श्रीवास्तव लंबी छुट्टी पर चले गए हैं. ब्यूरो चीफ प्रद्युम्न तिवारी भी खफा बताए जाते हैं. अजय उपाध्याय आज लखनऊ पहुंचे हैं और प्रद्युम्न तिवारी समेत कई लोगों से बातचीत कर मामले को शांत कराने की कोशिश कर रहे हैं. वैसे तो मनोज श्रीवास्तव निजी कारणों के चलते महीने भर की छुट्टी पर बनारस गए हैं लेकिन लोगों का कहना है कि उन्होंने लंबी छुट्टी संपादक से अनबन के कारण ली है.
इंदुशेखर पंचोली के रेजीडेंट एडिटर पद पर लखनऊ पहुंचने के बाद शुरुआत में कई लोगों ने कार्यशैली और व्यवहार आदि को लेकर सवाल खड़े किए लेकिन ये सवाल अभिजीत मिश्रा के समय में भी खड़े किए गए थे, इसलिए प्रबंधन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और इसे लखनऊ वाले के सवाल खड़े करने की आदत के रूप में माना. बात आई गई हो गई. लेकिन इन दिनों फिर संपादक के खिलाफ असंतोष के सुर उठने लगे हैं. असंतोष ये है कि संपादक देर तक और जमकर काम लेते हैं, डांट-फटकार देते हैं, किसी की सुनते नहीं, अपनी करते-कराते हैं आदि.
एक अन्य जानकारी के अनुसार अमर उजाला, लखनऊ में दो-चार दिनों पहले दो लोगों ने ज्वाइन किया है. एक आए हैं दैनिक जागरण, गोरखपुर से. नाम है दुर्गेश त्रिपाठी. दूसरे सज्जन हैं अमित यादव जो हिंदुस्तान, बरेली से आए हैं. इन लोगों ने अमर उजाला, लखनऊ ज्वाइन कर लिया है.
अमर उजाला, बुलंदशहर से आ रही सूचना के मुताबिक विज्ञापन विभाग के असिस्टेंट मैनेजर विशेष त्यागी और सरकुलेशन से संजीव यादव ने इस्तीफा दे दिया है. विशेष त्यागी ने हिंदुस्तान अखबार ज्वाइन किया है. संजीव यादव के बारे में अभी पता नहीं चल पाया है कि वे कहां जा रहे हैं.
ritesh
June 17, 2010 at 6:51 pm
You have put a correct image of lucknow office the editor acts more of a hitler than an editor. The working atmosphere has spoiled as it is reflected from the circulation of newspaper. The day this editor will quit Amar Ujala will again be no 1 in lucknow and that is sure……..ritesh
suraj
June 17, 2010 at 7:02 pm
amit yadav varanasi i next se lucknow gaye hain….
rakesh rawat
June 18, 2010 at 4:19 am
ye amar ujala publication ka durbhagya hai ki yaha par kaam karne walo ki kadra nahi hoti aur jab employee chala jata hai to yaad karte hai. management ko pata per pata nahi kyu aankh band kar ke so rahi hai. agar socha jaye to lagta hai amar ujala ka patan shuru ho gaya hai.—————-
ruby
June 18, 2010 at 4:22 pm
akhbar ke andar ka antardavnd jo bhi ho lekin akhbar abb bolne laga hai.padne me maza aa raha hai .