वर्षों से सुनता आ रहा था कि मीडिया अब मिशन नहीं है बल्कि ये खालिस प्रोफेशन बन गई है…पर चाह कर भी विश्वास करने का मन नहीं करता था…लेकिन शनिवार को एक पीआर कम्पनी ने मेरे इस भ्रम को तार -तार कर दिया…पत्रकारिता का मतलब अब तक मैं छोटे या बड़े ब्राण्ड के साथ जुड़ना नहीं मानता था…लेकिन एक झटके में ही जैसे मैं गलत साबित हो गया…वाकया दिल्ली के फीरोज शाह कोटला में आयोजित इंडियन पैसा लीग (इंडियन प्रीमियर लीग नहीं) डेयर डेविल्स के एक फंक्शन का था…जिसमें इंडियन क्रिकेट टीम…माफ करें टीम इंडिया के धुरंधर सदस्य मौजूद थे…गंभीर, सहवाग और अमित मिश्रा…पत्रकारों का मजमा था…सभी जुटे थे, अपने हीरो को सबसे पहले अपने टीवी दर्शकों के सामने पेश करने की कोशिश के साथ…लेकिन हम लोग हैरान रह गये…
परफेक्ट पीआर कम्पनी ने अपने क्लाइंट कोकोकोला के प्रोडक्ट को लांच कराने के बाद कुछ सलेक्टिव चैनल्स या यूं कहें तथाकथित बड़े टीवी चैनलों को क्रिकेट स्टार्स का इन्टरव्यू लेने की इजाज़त दी…और बाकी चैनल्स को नज़रअंदाज़ कर दिया…इतना ही नहीं, जब इनसे अनुनय विनय किया गया…तो बदसलूकी पर उतर आये…और अपने सिक्योरिटी गार्ड से हमें अंदर एंटर तक करने से रोक दिया गया…हम पर नज़र रखने का ऑर्डर दिया गया…उस पल एहसास हुआ कि इस पैसे वाली लीग में तो खिलाड़ियों के बयान के साथ-साथ उनके चेहरे भी बेचे जा रहे हैं।
अपनी अंतिम कोशिश के तहत (पत्रकार अन्त तक हार नहीं मानता) हमने दिल्ली डेयर डेविल्स के मीडिया मैनेजर कृष्णा स्वामी से बात करनी चाही…तो उन्होंने हाथ खड़े कर लिये…कहा- मेरे हाथ में कुछ भी नहीं…हम लोगों के सब्र का बांध टूट चुका था…और हम यानी नान सेलेक्टेड चैनल्स के पत्रकारों ने पूरे इवेंट का बॉयकॉट करने का फैसला लिया। इस इवेंट मैनेजमेंट कम्पनी ने पत्रकारों को कुछ गिफ्ट दिए थे, जिसे ईटीवी, लाइव इंडिया, फोकस टी.वी, सीएनईबी, एमएच वन, टोटल टीवी के रिपोर्ट्स ने लौटा दिया। गिफ्ट कोकाकोला कंपनी के मार्केटिंग डायरेक्टर मंसूर सिद्दिकी को लौटा दिया गया… इससे पहले मैंने कोका कोला के वाइस प्रेसिडेंट अक़ील मोहम्मद से रिक्वेस्ट की थी कि हमें भी टीम इंडिया के सितारों से वन टू वन बातचीत की अनुमति दें…और हमारे साथ ऐसा सौतेला व्यवहार न करें…तब हमें साफ लफ्ज़ों में कहा गया कि किसी को भी अंदर मिलने देने की इजाज़त नहीं है…जबकि हमारे सामने सेलेक्टिव चैनल्स की खूबसूरत महिला पत्रकारों को वहां भेजा जा रहा था।
अब तक तो सुना था कि गोरी चमड़ी के आगे सब बेबस हो जाते है। लेकिन आज देख भी लिया। किस तरह पैसे और ग्लैमर की चकाचौंध में पत्रकारिता दम तोड़ रही है….
लेखक अमित फोकस टीवी में स्पोर्ट्स इंचार्ज के बतौर कार्यरत हैं। इससे पहले वे जी न्यूज, मोबाइल ईएसपीएन, एस1 न्यूज चैनलों में काम कर चुके हैं। अमित से [email protected] के जरिए संपर्क किया जा सकता है।