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अब असली पत्रकारों से भी डर लगने लगा

आनंद रायभडास4मीडिया पर मेरे एक पुराने साथी देवकी नंदन मिश्र ने चिंता जतायी है. उनकी चिंता नकली पत्रकारों को लेकर है. वे चाहते हैं कि सरकारी स्तर पर कुछ ऐसा हो जिससे नकली पत्रकारों पर नकेल कसी जा सके. देवकी भाई की चिंता बहुत वाजिब है. उनके नाम पर किसी ने उनके ही परिचित पर रोब गालिब कर दिया. अखबार के नाम पर धौंस जमाने की  आदत जो पड़ गयी है. जिसे देखो स्कूटर से लेकर कार तक प्रेस लगाए अपना-अपना गोरख धंधा चमका रहा है. पर नकली पत्रकारों के साथ ही अब तो असली पत्रकारों से भी डर लगने लगा है. भड़ास4मीडिया पर ही पढ़ा कि रायपुर में एक चैनल वालों पर एक अधिकारी ने बेडरूम के दृश्य शूट करने में शामिल होने आरोप लगाया है.

आनंद राय

आनंद रायभडास4मीडिया पर मेरे एक पुराने साथी देवकी नंदन मिश्र ने चिंता जतायी है. उनकी चिंता नकली पत्रकारों को लेकर है. वे चाहते हैं कि सरकारी स्तर पर कुछ ऐसा हो जिससे नकली पत्रकारों पर नकेल कसी जा सके. देवकी भाई की चिंता बहुत वाजिब है. उनके नाम पर किसी ने उनके ही परिचित पर रोब गालिब कर दिया. अखबार के नाम पर धौंस जमाने की  आदत जो पड़ गयी है. जिसे देखो स्कूटर से लेकर कार तक प्रेस लगाए अपना-अपना गोरख धंधा चमका रहा है. पर नकली पत्रकारों के साथ ही अब तो असली पत्रकारों से भी डर लगने लगा है. भड़ास4मीडिया पर ही पढ़ा कि रायपुर में एक चैनल वालों पर एक अधिकारी ने बेडरूम के दृश्य शूट करने में शामिल होने आरोप लगाया है.

अब तो भाई हद हो गयी. स्टिंग आपरेशन में अमन वर्मा और शक्ति कपूर जैसों की कुछ हरकत कैद करके या बिहार के सांसदों की घटियाई दिखा कर भले टीआरपी बढ़ गयी और एक मैसेज भी गया लेकिन ये किसी के घर के बेडरूम में झांकना तो सरासर गलत है. अब सचमुच ख़तरा बढ़ने लगा है.

माउन्ट आबू में हर साल मीडिया पर सेमिनार होता है. प्रजापति ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वावधान में मूल्यनिष्ठ मीडिया की स्थापना के लिए वहां देश भर के लोग बुलाए जाते हैं वहां बहस में विक्रम राव भी शामिल होते हैं. स्टिंग आपरेशन के मसले पर यह चिंता जतायी गयी कि अब मीडिया के लोग बेडरूम तक झाँकने लगे हैं. मीडिया के चरित्र को लेकर  मौके बे मौके बहस होती ही रहती है. रायपुर के अधिकारी के बारे में यह बात सामने आयी कि उसने अपनी ही पत्नी की सीडी बना ली। ऐसा संभव नहीं है. अन्तरंग क्षण की यह सीडी भला कोई अधिकारी अपनी बीवी की क्यों बनाएगा. बात कुछ समझ में नहीं आ रही है. वाकई यह किसी की शरारत हो सकती है. पर इस शरारत के बाद आयी यह खबर नयी बहस लेकर आयी है. मीडिया ने समाज में मूल्य स्थापित किया है. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है. आजादी के बाद जब संविधान में लोकतंत्र के तीन पाए खड़े किये गए तब समाज में अपने नेक योगदान से ही मीडिया को चौथे खम्भे का दर्जा मिल गया. यह किसी कानून में नहीं है लेकिन अपने पूर्वजों की स्थापित की हुई प्रतिष्ठा का ही परिणाम है. आज वास्तव में वह प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है. सच कहें तो मूल्य निष्ठ मीडिया के लिए एक अभियान की जरूरत है. बाजार के दबाव और एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ छोड़ कर ही यह अभियान चल सकता है.

आनंद राय

पूर्व अध्यक्ष, गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब

गोरखपुर

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