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मिस-मैनेजमेंट गुरु!

प्रो. अरिंदम चौधरीरिपोर्टरों से कहा गया- विज्ञापन लाओ या फिर जाओ! : अरिंदम चौधरी खुद को मैनेजमेंट गुरु बताते हैं. पर उनकी पत्रिका द संडे इंडियन की हालत को देखकर तो यही लगता है कि उन्हें मिस-मैनेजमेंट गुरु कहा जाना चाहिए. धूम-धड़ाके से लांच की गईं पत्रिकाओं की दुर्गति जारी है. आधे से ज्यादा स्टाफ पहले ही निकाला जा चुका है. वीकली मैग्जीन्स को फोर्ट नाइटली किया जा चुका है. ताजी सूचना यह है कि इन पत्रिकाओं के स्टाफ से कह दिया गया है वे लोग तभी रह पाएंगे जब विज्ञापन लेकर आएंगे. ऐसा उन लोगों से कहा गया है जो इन पत्रिकाओं के करेस्पांडेंट हैं. इन रिपोर्टरों से कहा गया है कि उन्हें विज्ञापन लाने पर तीस प्रतिशत कमीशन दिया जाएगा.

प्रो. अरिंदम चौधरी

प्रो. अरिंदम चौधरीरिपोर्टरों से कहा गया- विज्ञापन लाओ या फिर जाओ! : अरिंदम चौधरी खुद को मैनेजमेंट गुरु बताते हैं. पर उनकी पत्रिका द संडे इंडियन की हालत को देखकर तो यही लगता है कि उन्हें मिस-मैनेजमेंट गुरु कहा जाना चाहिए. धूम-धड़ाके से लांच की गईं पत्रिकाओं की दुर्गति जारी है. आधे से ज्यादा स्टाफ पहले ही निकाला जा चुका है. वीकली मैग्जीन्स को फोर्ट नाइटली किया जा चुका है. ताजी सूचना यह है कि इन पत्रिकाओं के स्टाफ से कह दिया गया है वे लोग तभी रह पाएंगे जब विज्ञापन लेकर आएंगे. ऐसा उन लोगों से कहा गया है जो इन पत्रिकाओं के करेस्पांडेंट हैं. इन रिपोर्टरों से कहा गया है कि उन्हें विज्ञापन लाने पर तीस प्रतिशत कमीशन दिया जाएगा.

पिछले दिनों मैनेजिंग एडिटर सुतनू गुरु ने सभी को बता दिया कि प्रबंधन का निर्देश है कि मैग्जीन्स का रेवेन्यू बढ़ाओ. सूत्रों के मुताबिक पैसे लेकर खबर छापने की गलत प्रथा को अपनाने की दिशा में इस मैग्जीन के कर्ताधर्ता बढ़ चुके हैं. इस नए फरमान से द संडे इंडियन के रिपोर्टर परेशान हैं. पिछले दिनों जैन मुनि तरुण सागर का दो पेज का पेड न्यूज प्रकाशित किया गया. इसे इंपेक्ट फीचर के नाम पर पब्लिश किया गया है. इस फीचर में जैन मुनि तरुण सागर को आज का कबीर बताया गया है.

द संडे इंडियन से जुड़े कुछ लोग नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं कि अगर प्रो. अरिंदम चौधरी इतने ही बड़े मैनेजमेंट गुरु थे तो क्यों नहीं अपनी पत्रिकाओं को कंटेंट, बिजनेस और सरकुलेशन वाइज नंबर वन बना पाए. सारा नाटक इसलिए किया जा रहा है ताकि महंगी फीस देकर छात्र प्रो. अरिंदम के इंस्टीट्यूट में पढ़ने आएं और शिक्षा का इनका प्राथमिक धंधा फलता-फूलता रहे.

इंपेक्ट फीचर के नाम पर द संडे इंडियन में प्रकाशित दो पेज का पेड न्यूज

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0 Comments

  1. vinod sahu

    January 24, 2010 at 8:19 am

    very sad my dear arindam.

  2. Rishi Nagar

    January 24, 2010 at 7:00 pm

    Bhai Saheb…arindam sach mein management guru hai. Agar aisa nahi hota to aap uske baare mein kuchh nahi likhte…wo apna educational institution chala raha hai, magazine nikaal raha hai, dono haathon se paisa loot raha hai, management guru to wo hai hi…

  3. Pankaj

    January 25, 2010 at 4:47 pm

    Management guru to koi Bhi ban sakta hai aadmabar kar ke par GURU banane mein jindgi ki aadhi umar lag jaati hai aur aise guru ke duniya charan chuuti hai….

  4. Suresh Pandit

    January 26, 2010 at 7:33 am

    Apne editorial main dunia ko imaandari aur charitravaan hone ka paath padhane wale khud bhrashtachar main lag gaye. Arindam aur Sutanu dono hi patrakarita ke naam par kalank hain. Patrakarita ka band bajane se achchha hota ki ve magazine hi band kar dete. Patrakarita jagat main faile dusre fraud se alag nahin hai Arindam Chaudhuri aur Sutanu Guru.

  5. sanjiv kumar

    February 3, 2010 at 6:22 am

    Sunday Indian ka circulation up to the mark nahi hai. Saare agents rakne se inkaar kar rahen hai. Kahte hain bikta nahi hai. Behtar hai inkaa is management is baat par jor de ki bikega kaise. Bikega toh dikhega aur dikhega toh ad revenue bhi aayega. I have spend 18 years in sales n marketing in this trade n know very well ye sab kyon ho raha hai.

  6. sanjiv kumar

    February 3, 2010 at 6:29 am

    The management of Sunday Indian should find out the fact why the product is not sellable. Kahte hain BIKEGA toh DIKHEGEA aur DIKHEGA toh ad revenue bhi aayega. Kisi acche proffessional ki jarurat hai jo trade ko samjhe aur nirbhik hokar apne management sahi raah dikhaye.

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