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सम्मान

हिंदी प्रिंट जर्नलिज्म के लिए पुण्य को मिलेगा एवार्ड

पुण्य प्रसून वाजपेयीवर्ष 2007-08 के लिए प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस अवार्ड जिन पत्रकारों को दिया जाना है, उनके नाम हो जा चुके हैं पर आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। भड़ास4मीडिया तक पहुंची सूचना के मुताबिक मशहूर पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी एक बार फिर इस अवार्ड से नवाजे जाएंगे। उन्हें हिंदी प्रिंट जर्नलिज्म कैटगरी में चुना गया है। वर्ष 2005-06 से शुरू हुआ रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस एवार्ड कई कैटगरियों में दिया जाता है। पुण्य प्रसून को वर्ष 2005-06 में यह सम्मान दिया जा चुका है।

पुण्य प्रसून वाजपेयी

पुण्य प्रसून वाजपेयीवर्ष 2007-08 के लिए प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस अवार्ड जिन पत्रकारों को दिया जाना है, उनके नाम हो जा चुके हैं पर आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। भड़ास4मीडिया तक पहुंची सूचना के मुताबिक मशहूर पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी एक बार फिर इस अवार्ड से नवाजे जाएंगे। उन्हें हिंदी प्रिंट जर्नलिज्म कैटगरी में चुना गया है। वर्ष 2005-06 से शुरू हुआ रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस एवार्ड कई कैटगरियों में दिया जाता है। पुण्य प्रसून को वर्ष 2005-06 में यह सम्मान दिया जा चुका है।

तब उन्हें ब्राडकास्ट जर्नलिज्म के फील्ड में उल्लेखनीय कार्य के लिए यह सम्मान दिया गया था। इस बार (2007-08) उन्हें प्रिंट मीडिया में रिपोर्टिंग के लिए सम्मानित किए जाने की जानकारी मिली है। सूत्रों का कहना है कि राम बहादुर राय के नेतृत्व में निकलने वाली पत्रिका ‘प्रथम प्रवक्ता’ में छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की जिंदगी, मौत, शासन, सत्ता, न्याय, टाडा, सलवा जुड़ूम आदि मुद्दों पर पुण्य प्रसून ने खोजी व तथ्यपूर्ण रिपोर्टिंग की थी। उनकी रिपोर्ट सीरिज में प्रकाशित हुई। बाद में इसी रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर तीन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर कर छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की जिंदगी को बेहतर बनाने की पहल की। तब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी किया था। रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस एवार्ड (2007-08) के लिए अन्य कैटगरियों में कौन लोग चुने गए हैं, इसकी जानकारी अभी नहीं हो पाई है। इस सम्मान के लिए चुने गए पत्रकारों को एक लाख रुपया नकद और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। ज्ञात हो, पुण्य प्रसून वाजपेयी मूलतः टीवी जर्नलिस्ट हैं। उन्होंने अवकाश लेकर छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की जिंदगी पर कई रिपोर्टें लिखीं और उन्हें न्याय दिलाने का आधार तैयार किया।

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