अब तक इलाहाबाद के ‘आयोजन गुरु’ से भड़ास4मीडिया के पाठकगण अच्छी तरह वाकिफ हो चुके हैं। लिहाजा बिना किसी भूमिका के सीधे मुद्दे पर आते हैं। हाल में ‘आयोजन गुरु’ के बैनर तले इलाहाबाद मीडिया ने एक और कमाल कर डाला। सबने मिलकर रेलवे से जुड़ी खबर की टांग ऐसी तोड़ी कि अब रेलवे बोर्ड कुछ न्यूज चैनलों को नोटिस भेजकर कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। मामला उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय इलाहाबाद से जुड़ा है। सन् 2008 में रेलवे बोर्ड का एक आदेश आया था कि अब रेलवे में पुरुष और महिलाएं दोनों कुली के रूप में काम कर सकते हैं। लिहाजा भरती के लिए 344 पदों का विज्ञापन जारी हुआ। इस भरती प्रक्रिया को बोर्ड ने दो चरणों में आयोजित करने का फैसला लिया। पहले चरण में फिजिकल टेस्ट रखा गया, जिसमें भाग लेने के लिये 26 महिलाओं ने भी आवेदन किया और 30 जुलाई 09 को फिजिकल टेस्ट के लिए 19 महिलाएं तय स्थान पर पहुंच गईं।
उन महिलाओं में इलाहाबाद की रीता देवी नाम की एक महिला भी शामिल थी, जिसके छह माह का गर्भ था। उस महिला को देखकर रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए कि अगर उसे कुछ हो गया तो जवाबदेही किसकी होगी। बोर्ड के अधिकारियों ने महिला से तमाम मिन्नत की, कि वह ऐसी हालत में इस फिजिकल टेस्ट में हिस्सा न ले। फिजिकल टेस्ट में सभी महिलाओं को चार मिनट में 200 मीटर की दूरी 25 किलो की बालू की बोरी अपने कंधे पर उठाकर तय करनी थी, लेकिन रीता देवी किसी भी तरह मानने को तैयार न हुई। ये सारी बातचीत वहां मौजूद मीडिया के कैमरों में भी रिकार्ड हुई। हारकर बोर्ड के अधिकारियों ने महिला और उसके पति से हलफनामा लिखवाकर उन्हें टेस्ट में हिस्सा लेने की अनुमति दे दी।
बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई अधिकार नहीं था कि वह किसी को टेस्ट में भाग लेने से रोक पाएं और फिर महिला और उसके पति हलफनामे में लिख चुके थे कि किसी भी दुर्घटना के लिए वह खुद जिम्मेदार होंगे। साथ ही दोनों पति-पत्नी दावा कर रहे थे कि वे गांव के रहने वाले हैं और इस तरह का काम तो आवेदक रीता रोज घर पर करती है। उन्हें नौकरी की सख्त जरूरत है। लिहाजा, रीता ने टेस्ट दिया और पास भी हो गई, लेकिन ‘आयोजन गुरु’ और उनके चेले कहां मानने वाले थे। आनन-फानन में उन्होंने अपनी खबर ये कह कर बेच डाली कि रेलवे के अधिकारियों ने एक गर्भवती महिला को जबर्दस्ती रेस में दौड़ाया।
खबर सिर्फ चली ही नहीं, तहलका भी मच गया। खबर का असर ये हुआ कि महिला कल्याण और श्रम मंत्रालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए रेलवे बोर्ड को नोटिस भेज कर जवाब-तलब कर लिया। ‘आयोजन गुरु’ एक बार फिर हिट हुए फर्जी खबर के आयोजन में लेकिन रेलवे बोर्ड के अधिकारी और नार्दर्न सेंट्रल रेलवे के चीफ पीआरओ के होश फाख्ता हो गये। नाराज पीआरओ साहब ने आनन-फानन में बोर्ड के अधिकारियों को आयोजन गुरु की हरकत बताई। फिर क्या था, महिला कल्याण मंत्री के नोटिस का जवाब देने से पहले बोर्ड ने खुद कुछ न्यूज चैनलों को नोटिस भेजने का मन बना लिया। इसके लिए उन्होंने बाकायदा एक एडवोकेट भी नियुक्त कर दिया जो मामले के पेपर तैयार करने में लगा है। हैरानी की बात है कि ‘आयोजन गुरु’ अभी कोई टेंशन लेने के मूड में नहीं हैं। वह सिर्फ नेशनल न्यूज चैनल पर धमाका मचाने वाली अपनी खबर को इंज्वाय करने के मूड में हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसे सैकड़ों नोटिस झेले हैं। रेलवे बोर्ड सिर्फ गीदड़भभकी दे रहा है।