चतुर्थ राजेंद्र बोहरा स्मृति काव्य पुरस्कार भोलानाथ कुशवाहा को जयपुर के पिंकसिटी प्रेस क्लब में 24 अक्टूबर को प्रदान किया गया। भोलानाथ इलाहाबाद में आज अखबार में समाचार संपादक पद पर कार्यरत हैं। उन्हें यह पुरस्कार वरिष्ठ साहित्यकार नंदकिशोर आचार्य ने प्रदान किया। उन्हें शॉल ओढ़ा कर और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। स्व. बोहरा की पत्नी इंदिरा शर्मा ने उन्हें पांच हजार रुपये का चेक भेंट किया।
कुशवाहा को यह पुरस्कार उनकी प्रथम प्रकाशित काव्यकृति ‘कब लौटेगा नदी के उस पार गया आदमी’ के लिए दिया गया। पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता साहित्य अकादमी से सम्मानित कवि नंद भारद्वाज ने की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि नंदकिशोर आचार्य ने कुशवाहा को पुरस्कार मिलने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रतिभाशाली लेखकों को अपनी पुस्तक छपवाने के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ता है, यह हिंदी साहित्य का दुर्भाग्य है। ऐसा लगता है कि समाज को भी उस कवि और कविता से कोई सरोकार नहीं है जो कि उससे ही जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों को भी इस स्थिति की ओर ध्यान देना चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष नंद भारद्वाज ने भोलानाथ कुशवाहा की कविताओं को समाज से जुड़ा हुआ बताया। उन्होंने कहा कि कुशवाहा की कविताओं में समय की धड़कन एवं समय की गूंज सुनाई देती है। भारद्वाज ने भी पुस्तक के प्रकाशन में आने वाली दिक्कत का जिक्र करते हुए कहा कि दरअसल आजकल प्रचार का जमाना है इसलिए प्रकाशक भी प्रतिभाशाली लेखक के बजाय उनको प्राथमिकता देते हैं जो कि प्रचार एवं जनसंपर्क में कुशल होने के कारण मीडिया में छाये रहते हैं।
अपने संक्षिप्त वक्तव्य में पुरस्कृत कवि कुशवाहा ने अपनी कविताओं को समय का दर्पण बताया। उन्होंने कहा कि वे अपनी कविताओं में मेहनतकश आम आदमी की पीड़ा और संत्रास को दिखाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि स्व. बोहरा एवं उनकी कविताओं में एक-सी सोच दिखाई पड़ती है।