आठ विचारक और एक एंकर, भन्न भन्न भन्नाते हैं
कौन बनेगा पीएम अबकी, बक बक बक जाते हैं
ज़रा ज़रा करते करते, जब सारे थक जाते हैं
वक्त ब्रेक का आ जाता है, साबुन तेल बिक जाते हैं
घंटा खाक नहीं मालूम इनको, बीच बीच में चिल्लाते हैं
हर चुनाव में वही चर्चा, चर्चा के पीछे लाखों खर्चा
कौन बनेगा प्रधानमंत्री सनम, क्या कर लोगों जान कर
कहते हैं सब बिन मुद्दे की मारामारी, इस चुनाव में पीएम की तैयारी
भन्न भन्न भन्नाते हैं, माइक लिए तनिक सनम जी
गांव गांव घूम आते हैं, पूछ पूछ कर सब सवाल
दे दे कर सब निहाल, अपने जवाबों पर इतराते हैं
फटीचर फटीचर फटीचर है, टीवी साला फटीचर है
अंग्रेजी हो या हिंदी हो या फिर गुजराती, घंटा खाक नहीं मालूम
झाड़े चले जाते हैं बोकराती, बंद करो अब टीवी को
टीवी साला खटाल है, दूध जितना का न बिकता
उससे बेसी गोबर का पहाड़ है
( कृपया मुझसे न कहें कि मैं क्या कर रहा हूं। मैं गोबर पाथूं या गोइठा ठोकूं, आप बस कविता पढ़िये)