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साहित्य

मुंबई में ‘पत्रकारिता कोश-2009’ का विमोचन

[caption id="attachment_14805" align="alignnone"]विमोचनमुंबई में ”पत्रकारिता कोश-2009” का विमोचन करते विशिष्ट जन[/caption]

मुम्बई की संस्था ‘हम लोग’ के सौजन्य से विले पार्ले (मुंबई) स्थित शुभम हॉल में ‘पत्रकारिता कोश- 2009’ के विमोचन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें पत्रकारिता व सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कई विशिष्ट लोग शामिल हुए। 560 पेज के इस अनूठे कोश को दो खंडों मुम्बई/महाराष्ट्र मीडिया और राष्ट्रीय मीडिया में बांटा गया है। इसमें कुल 46 अध्याय हैं। इस कोश के संपादक आफताब आलम हैं। यह कोश पत्रकारों और मीडिया से किसी भी तरह से संबंधित शख्स या संस्था के लिए उपयोगी है। विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी के विद्वान डॉ. रामजी तिवारी ने की।

विमोचन
विमोचन

मुम्बई की संस्था ‘हम लोग’ के सौजन्य से विले पार्ले (मुंबई) स्थित शुभम हॉल में ‘पत्रकारिता कोश- 2009’ के विमोचन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें पत्रकारिता व सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कई विशिष्ट लोग शामिल हुए। 560 पेज के इस अनूठे कोश को दो खंडों मुम्बई/महाराष्ट्र मीडिया और राष्ट्रीय मीडिया में बांटा गया है। इसमें कुल 46 अध्याय हैं। इस कोश के संपादक आफताब आलम हैं। यह कोश पत्रकारों और मीडिया से किसी भी तरह से संबंधित शख्स या संस्था के लिए उपयोगी है। विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी के विद्वान डॉ. रामजी तिवारी ने की।

डा. रामजी तिवारी ने अपने संबोधन में वर्तमान पत्रकारिता पर मंडरा रहे संकट के बादल से सचेत रहने के लिए आगाह किया। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में देशसेवी पत्रकारिता ने अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहते हुए क्रांति की मशाल जगाकर पूरे देश को नया रास्ता दिखाया था। आज उसी तरह की पत्रकारिता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संकट की घड़ी में अपने पत्रकारिता पथ से नहीं हटने वाला व्यक्ति ही सच्चा पत्रकार हो सकता है। डॉ. तिवारी ने कहा, ‘परिस्थितियों के विपरीत काम करने वाले पत्रकार आत्मनिर्भर, सतर्क व सशक्त होते हैं। प्रारम्भ से डरने वाले व प्रारम्भ कर उसे बीच में छोडऩे वाले व्यक्तियों की तुलना में वही व्यक्ति श्रेष्ठ होता है जो अपना पथ नहीं छोड़ता है। इस तरह के व्यक्ति अपने काम के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं जो संकट में पथ को नहीं छोड़ते हैं। आज ऐसे ही पत्रकारों की जरूरत है।’

प्रमुख अतिथि मुम्बई विश्वविद्यालय में संचार व पत्रकारिता विभाग के प्रमुख संजय रानाडे ने कहा कि हर बदलाव को स्वीकारने की जरूरत है। उन्होंने पत्रकारिता कोश के जरिए इकट्ठी की गई जानकारी को सर्वोत्कृष्ट बताया। ‘दोपहर का सामना’ अखबार के कार्यकारी संपादक प्रेम शुक्ल ने मीडिया के व्यावसायीकरण को खतरा बताते हुए कहा, ‘निष्पक्ष होने का दावा करने वाले कई पत्र अपनी वैचारिकता व कर्तव्य से हट रहे हैं। पत्रकार अपने अधिकार के लिए लडऩे के पूर्व उनके अधिकारों पर होने वाले आक्रमण पर विचार करें तो बेहतर है।’

‘निर्भय पथिक’ के संपादक अश्विनी कुमार मिश्र ने कहा, ‘पाठकों के सहयोग के बिना पत्र-पत्रिका निर्जन होती है।’ इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार हरिकृष्ण निगम, महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव सतीश त्रिपाठी, सहारा समय के मुम्बई ब्यूरो चीफ सय्यद सलमान, आशीर्वाद के डॉ. उमाकांत वाजपेयी, सेंट्रल बैंक के सहायक महाप्रबंधक डॉ. वी.एन. पाठक, मुम्बई मित्र के संपादक अभिजीत राणे ने भी अपने विचार व्यक्त किये। सूत्र संचालन अनंत श्रीमाली ने किया। आभार राजेश विक्रांत ने माना। ‘हम लोग’ के अध्यक्ष एडवोकेट विजय सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।


रिपोर्ट : रीना त्यागी, मुंबई

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