राजेंद्र यादव बोले- दबी नायिका को दबंग बनाती हैं मैत्रेयी : वरिष्ठ कथाकार राजेन्द्र यादव ने कहा कि मैत्रेयी पुष्पा की कहानियां शहर के मध्यवर्ग पर लिखी कहानियों से हटकर हैं। ये गांव से सामग्री लाकर लिखती हैं जो शहर में अलग व्यक्तित्व बनाती हैं। ये बातें उन्होंने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक समारोह में कही। समारोह में कहानी संग्रह ‘पियरी का सपना’ और स्त्री विमर्श पर आधारित ‘चर्चा हमारा’ पुस्तक का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण वरिष्ठ कथाकार राजेन्द्र यादव, आलोचक निर्मला जैन व विकास नारायण ने किया।
लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद राजेन्द्र यादव ने कहा कि दलितों और स्त्रियों के बहुत सारे अनुभव ऐसे हैं जिसे सिर्फ वही व्यक्त कर सकती हैं, कोई दूसरा नहीं। मसलन प्रसव पीड़ा। मैत्रेयी पुष्पा की कहानियों ने नायिका शुरू में दबी, कुचली और न बोलने वाली होती है लेकिन बाद में दबंग हो जाती हैं। प्रो. निर्मला जैन ने कहा कि मैत्रेयी की कहानियों को पढ़कर जितनी आश्वस्ति मिलती है उतनी दूसरी रचनाकारों में कम ही मिलती है। उनकी कहानियों में जमीन से जुड़ी, गांव की जुझारू स्त्रियां सामने आती हैं। उन्होंने कहा कि लेखक से अपेक्षा होती है कि वह जिस क्षेत्र में लिखता है उसमें अपना स्वर समय के साथ बदले। कहानियों में सच्चाई या वास्तविकता जिस रूप में दिखती है उतनी सपाट होती नहीं। उसकी कई छायाएं होती हैं। इन छायाओं के प्रति लेखकों को सावधान होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लेखक या लेखिका को लिखने की स्वतंत्रता हो लेकिन यह उच्छृंखलता में नहीं बदलना चाहिए। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विकास नारायण ने कहा कि साहित्यकार जिस एक्टिविज्म की बात करता है उसे हमने मैत्रेयी पुष्पा के लेखन से देखा। उन्होंने पुलिस ट्रेनिंग केंद्र में महिलाओं का जो संघर्ष देखा उसे अपने शब्दों के माध्यम से ताकत दी। कहानी संग्रह ‘पियरी का सपना’ और स्त्री विमर्श पर आधारित पुस्तक ‘चर्चा हमारा’ का प्रकाशन सामयिक प्रकाशन ने किया है। मंच का संचालन महेश भारद्वाज ने किया। साभार : नईदुनिया