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साहित्य

हरीश पाठक की पुस्तक का लोकार्पण

लोकार्पणपटना पुस्तक मेला में वरिष्ठ पत्रकार, कथाकार हरीश पाठक की पुस्तक ‘त्रिकोण के तीनो कोण’ का लोकार्पण करते हुए ख्यातिलब्ध साहित्यकार चित्रा मुदगल ने रचनाकारों से कहा- ‘कम लिखो पर वह लिखो जो लिखना चाहिए। एक लेखक के लिए यह जरूरी है कि वह उन समस्याओं को उठाए और समाज के सामने लाए जो उसके आसपास व्याप्त है। समाज में छिपी खामियों को उजागर करना रचनाकार के साहस का प्रतीक है। हरीश पाठक की रचना में वह आग है। आम जनता के भीतर आज न्यायपालिका, विधायिका एवं कार्यपालिका से न्याय की उम्मीद कहीं खो गई है। यह किताब जनता की उस व्यथा के कुरूप और वीभत्स रूप को उजागर करती है जिसमें आज की संवेदनहीन समाज एक जलती हुई महिला को देखकर भी मूक तमाशबीन बना रहता है।’

लोकार्पण

लोकार्पणपटना पुस्तक मेला में वरिष्ठ पत्रकार, कथाकार हरीश पाठक की पुस्तक ‘त्रिकोण के तीनो कोण’ का लोकार्पण करते हुए ख्यातिलब्ध साहित्यकार चित्रा मुदगल ने रचनाकारों से कहा- ‘कम लिखो पर वह लिखो जो लिखना चाहिए। एक लेखक के लिए यह जरूरी है कि वह उन समस्याओं को उठाए और समाज के सामने लाए जो उसके आसपास व्याप्त है। समाज में छिपी खामियों को उजागर करना रचनाकार के साहस का प्रतीक है। हरीश पाठक की रचना में वह आग है। आम जनता के भीतर आज न्यायपालिका, विधायिका एवं कार्यपालिका से न्याय की उम्मीद कहीं खो गई है। यह किताब जनता की उस व्यथा के कुरूप और वीभत्स रूप को उजागर करती है जिसमें आज की संवेदनहीन समाज एक जलती हुई महिला को देखकर भी मूक तमाशबीन बना रहता है।’

उन्होंने कहा कि त्रिकोण का चौथा कोण लेखक स्वयं है। लेखक पत्रकारिता में भी गुंडों और दलालों के बढ़ते वर्चस्व पर बेबाकी से टिप्पणी करता है। यह लेखक के असीम साहस का परिचायक है जो सत्यम, शिवम, सुन्दरम की झलक प्रदान करती है। पुस्तक का विमोचन करते हुए उन्होंने कहा कि उम्मीद करती हूँ कि इस किताब का असर समाज के तीनो स्तंभों पर जरूर पड़ेगा।

कार्यक्रम की अघ्यक्षता साहित्यकार तथा श्रम विभाग के प्रधान सचिव श्री व्यास जी ने किया। उन्होंने कहा कि पुस्तक समाज व देश की चर्चा करती है। लेखक जो कहना चाहता है वह सारा कुछ सामने आ जाता हैं। विशिष्ट वक्ता कथाकार, आलोचक डा. कलानाथ मिश्र ने कहा कि ‘त्रिकोण के तीनो कोण’ समाज को आईना दिखाता है तथा उसकी त्रिआयामी तस्वीर उकेरता है।

लेखक पत्रकारिता कर्म और साहित्य के बीच की दूरी को कम कर दोनों के बीच एक संतुलन बनाकर चलता है जो आज की आवश्यकता है। इस अवसर पर कथाकार जियालाल आर्य, लेखक शैलेश्वर सती प्रसाद, डा. ध्रुव कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन नईधारा के संपादक डा. शिवनारायण ने किया तथा अतिथयों का स्वागत प्रभात प्रकाशन के निदेशक पियूष कुमार ने किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सहारा के यूनिट मैनेजर मृदुल बाली, कमलेश पाठक, पटना पुस्तक मेला के सचिव ए.के.झा, साहित्यकार रिपुदमन सिंह, पूर्व कुलपति अभिमन्यु सिंह, ए.एन. नन्द, मीरा मिश्र समेत बिहार के प्रमुख बुद्धिजीवी, साहित्यकार, पत्रकार उपस्थित थे।

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