‘नंदीग्राम डायरी’ जनता की अखबारनबीसी के लिए मशहूर पत्रकार पुष्पराज की ऐसी पहली किताब है, जिसमें वे सभी लहूलुहान सच्चाइयां सिर चढ़कर बोलने लगती हैं, जिन्हें घटते हुए लेखक ने अपनी आंखों से देखा था। उन दिनो नंदीग्राम में जो कुछ घटनाक्रम हुआ था, पुष्पराज ने अखबारों के लिए उसकी सविस्तार कवरेज भी की थी। बाद में पेंगुइन बुक्स के साथ मिलकर उन्होंने वहां को हालात को पुस्तक की जुबानी बयान कर डाला है।
प.बंगाल सरकार की कड़ी बंदिशों के बावजूद नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के हालात पर भी वह लंबे समय से कलम चलाते रहे हैं। इसके साथ ही, कलिंगनगर में आदिवासी विस्थापन के गंभीर मसले को लेकर प्लाचीमाड़ा की उठापटक पर भी उन्होंने जमकर लेखनी चलाई है। केरल में कोका कोला के खिलाफ उठे जन-ज्वार तथा कोशी नदी की विनाशकारी बाढ़ की रिपोर्टिंग के लिए भी वह सुर्खियों में रहे हैं। अब नंदीग्राम की समरगाथा पुस्तकाकार बाजार में आ चुकी है।
ग्लोबल पूंजीवाद बनाम रूरल इंडिया के अंतर्द्वंद्व का नंदीग्राम एक ऐतिहासिक बिंदु है। जब तक यह अंतर्द्वंद्व कायम रहेगा तब तक नंदीग्राम प्रासंगिक रहेगा। इस कारण भी नंदीग्राम की घटना के अंदरुनी सच को जानना बेहद जरूरी हो जाता है। पिछले दिनो दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में पुष्पराज की इस पुस्तक का लोकार्पण किया वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी और कुलदीप नैयर ने। इस अवसर पर राजधानी कई नामवर रचनाकार और बुद्धिजीवी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। नंदीग्राम डायरी का प्रकाशन पेंगुइन बुक्स के हिन्दी विभाग ने किया है, जिसका नाम यात्रा बुक्स है। 326 पृष्ठों की इस पुस्तक का मूल्य 250 रूपये रखा गया है। पुस्तक विभिन्न वितरकों के माध्यम से देशभर में उपलब्ध होगी।