इस देश की मीडिया का दुर्भाग्य है कि बड़ा मुद्दा जब खुलता है तो कुछ दिन वह मीडिया में उछलता है पर बिना उसकी जड़ में पहुंचे, कुछ दिनों बाद मीडिया अन्य मुद्दे पर शिफ्ट हो जाता है. आईपीएल ‘खेल’ के कई खुलासे बाकी हैं पर मीडिया चुप है. सिर्फ थरूर-मोदी के निपट जाने को इतिश्री मान लिया गया.
लेकिन इस खेल के असल खिलाड़ियों के बारे में बात करने की हिम्मत मीडिया में नहीं है क्योंकि कहीं न कहीं मीडिया भी इन ‘असल खिलाड़ियों’ से ओबलाइज होती है. पर इस मुद्दे को अभी जिंदा रखा है ‘चौथी दुनिया’ ने. साप्ताहिक अखबार ‘चौथी दुनिया’ के 3-9 मई के अंक में ‘संसद, सुप्रीमकोर्ट, 10 जनपथ और इंडियन फिक्सिंग लीग’ शीर्षक से आईपीएल के खेल के पूरे ताने-बाने का अनुसंधान किया है इस अखबार के प्रधान संपादक और वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय ने.
वे लिखते हैं- ”सवाल ललित मोदी का है नहीं, मोदी एक कड़ी भर हैं. इस कड़ी से जुड़ी बहुत सी कड़िया हैं, जिनमें शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल सहित पांच से ज़्यादा मंत्री, इनके परिवार के लोग, सांसद, खेल को लूट का ज़रिया बनाने वाले खेलों के कर्ताधर्ता और इनका गुणगान करने वाले मीडिया के लोग और ग्लैमर की दुनिया के वे सितारे हैं, जो इस वीभत्स खेल में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं.”
संतोष भारतीय की इस कवर स्टोरी में एक जगह कहा गया है- ”सबसे बड़ा खेल तो इन शातिरों ने दस जनपथ से जुड़े लोगों को अपने साथ सार्वजनिक रूप से दिखाकर खेला है. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, रॉबर्ट वडेरा को जिन्होंने आईपीएल से जोड़ा, उन्होंने जानबूझ कर जोड़ा. आईपीएल के सारे खिलाड़ी सब कुछ जानबूझ कर रहे थे. उन्हें मालूम था कि यदि वे फंसे तो देश का सबसे ताक़तवर परिवार जो सत्ता चला रहा है, उन्हें बचाने आएगा.”
आईपीएल के नाम पर खेल कर अंधाधुंध लूट की संस्कृति और देश के आम आदमी की लाचारी को बयान करते हुए संतोष भारतीय ने ध्यान दिलाया है- ”केंद्रीय मंत्री, बड़े सांसद, बड़े अधिकारी, बड़े उद्योगपति, बड़े खिलाड़ी, बड़े सिनेमा स्टार जब मिल कर देश को लूटने की योजना बनाएं और सफलतापूर्वक लागू करें तब सुप्रीम कोर्ट ही एक आशा बचती है. बुंदेलखंड में पानी नहीं है, उड़ीसा में भूख से मौतें हो रही हैं, छत्तीसगढ़ में भूखे लोग हाथ में हथियार उठा रहे हैं, देश में महंगाई ने आम आदमी को रुला दिया है. ऐसी स्थिति में सरकार के ताक़तवर लोग आईपीएल के ज़रिए अरबों रुपया विदेश भेज रहे हैं. दस जनपथ की साख ख़तरे में है, देखना है वे किन्हें बचाते हैं. वे जनता के साथ खड़े होते हैं या उनके साथ, जिन्होंने उन्हें सार्वजनिक रुप से आर्थिक अपराधियों के साथ खड़ा कर दिया है. संसद की ताक़त, संसद की समझ भी यह बताएगी कि वह देश के सवाल पर कुछ कर पाती है या नहीं. या एक नपुंसक संस्था की तरह केवल बातों की ताली पीट कर चुप हो जाएगी.”
इस मसले पर चौथी दुनिया के 3-9 मई के अंक लीड स्टोरी के अलावा कई अन्य स्टोरीज हैं, जिसके शीर्षक इस प्रकार हैं-
खेल खत्म नहीं हुआ
आईपीएल घोटाले में मंत्री भी शामिल
ललित मोदी का सफरनामा
कहीं यह चिंगारी शाहरुख को न जला दे
आईपीएल की अंदरूनी कहानी
चौथी दुनिया ने पहले ही किया था खुलासा
यह आईपीएल नहीं इंडियन फिक्सिंग लीग है
आईपीएल की काली दुनिया
ऐसे फंसते हैं खिलाड़ी
किस्सा फ्रेंडशिप सीरीज का
सट्टेबाजी के धंधे पर है अंडरवर्ल्ड का कब्जा
यह फैसिलिटेशन फीस क्या है
पवार का जादू