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इंदर की पुरस्कृत फिल्म बताए बिजली संकट का हल

जाने-माने डाक्यूमेंट्री फिल्म मेकर इंदर कथूरिया की फिल्म ‘इन देयर इलीमेंट्स’ को कल रात पांचवें सीएमएस वातावरण इंटरनेशनल फिल्म फेस्टविल में इस साल क्लाइमेट चेंजेज एंड सस्टेनबल टेक्नोलोजीज की कैटगरी की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार दिया गया। यह फिल्म पिछले साल यूके इनवायरमेंट फिल्म फेलोशिप के तहत ब्रिटिश काउंसिल ने बनवाई थी। पुरस्कार में इंदर कथूरिया को एक लाख रुपये, ट्राफी और सम्मान पत्र दिया गया। इस फिल्म फेस्टिवल में 15 भारतीय और 10 विदेशी श्रेणियों में करीब 200 से ज्यादा फिल्में दिखाई गईं. अवार्ड समारोह में जाने माने फिल्मकार महेश भट्ट खास तौर पर मौजूद थे।

जाने-माने डाक्यूमेंट्री फिल्म मेकर इंदर कथूरिया की फिल्म ‘इन देयर इलीमेंट्स’ को कल रात पांचवें सीएमएस वातावरण इंटरनेशनल फिल्म फेस्टविल में इस साल क्लाइमेट चेंजेज एंड सस्टेनबल टेक्नोलोजीज की कैटगरी की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार दिया गया। यह फिल्म पिछले साल यूके इनवायरमेंट फिल्म फेलोशिप के तहत ब्रिटिश काउंसिल ने बनवाई थी। पुरस्कार में इंदर कथूरिया को एक लाख रुपये, ट्राफी और सम्मान पत्र दिया गया। इस फिल्म फेस्टिवल में 15 भारतीय और 10 विदेशी श्रेणियों में करीब 200 से ज्यादा फिल्में दिखाई गईं. अवार्ड समारोह में जाने माने फिल्मकार महेश भट्ट खास तौर पर मौजूद थे।

इंदर कथूरिया की यह फिल्म वर्तमान बिजली संकट के दौर में रोशनी की एक किरण की तरह है। फिल्म में बताया गया है कि गांव गांव में लोकल लेवल पर बहुत थोड़े पैसों से गांवों की अपनी जरूरत के मुताबिक बिजली बन सकती है और उसके लिए हवा और सूरज की रोशनी की ही जरूरत है। दुनिया में इस तरह की तकनीक का यह पहला नमूना है. जब सूरज बादलों में छिप जाए या मौसम की खराबी के कारण कई दिनों तक नजर ना आए तो अपने आप हवा से बिजली बनने लग जाती है। लेह-लद्दाख जैसे दूरस्थ इलाकों में यह प्रयोग सफलता से चल रहा है। इंदर और उनकी टीम को फिल्म की शूटिंग के लिए लंबे समय के माइनस 15 डिग्री के तापमान में काम करना पड़ा। इंदर कथूरिया कहते हैं कि अगर हर गांव की पंचायत एक एक सिस्टम लगा कर अपने गांव की जरूरत पूरी कर ले तो करोड़ों की लागत वाले पावर प्लांट्स का खर्चा बच सकता है। इसके अलावा थर्मल और एटमिक पावर प्लांट्स से होने वाले प्रदूषण भी नहीं होगा। वैसे भी, देश में कोयले के भंडार बहुत कम हो गए हैं।

इंदर कथूरिया की यह फिल्म नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर भी दिखाई जा चुकी है। इंदर पिछले तीन दशकों से टीवी और फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। वे पहले दूरदर्शन से जुड़े। फिर पहली न्यूज मैग्जीन परख की टीम के हिस्से बने। पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षित इंदर सीएनएन, रीवरबैंक स्टूडियोज, सीबीसी जैसे दुनिया में मशहूर संस्थानों के साथ काम कर चुके हैं। इससे पहले जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान में 2005 में आए भूकंप पर बनी चर्चित फिल्म 8 अक्टूबर में डायरेक्टर राजेश बादल के साथ एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर थे।

 फिल्म फेस्टविल में बेदी ब्रदर्स, हिमांशु मल्होत्रा, विनीत बग्गा, रीता बनर्जी, गुरमीत सप्पल इत्यादि फिल्ममेकरों की फिल्मों को भी एवार्ड दिया गया।

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