यशवंत जी, सबसे पहले तो भड़ास4मीडिया की कामयाबी के लिए आपको बधाई और मीडियाकर्मियों की समस्याओं और मुसीबतों को लगातार उठाने और सबके सामने लाने के लिए आपका धन्यवाद। अब बात दैनिक जागरण के नेशनल एडिशन की तो मंदी के दौर में नया अखबार लांच करना मीडिया से जुड़े लोगों के लिए अच्छी और बड़ी खबर है। जागरण ने यह काम उस वक्त किया है जब देश के बड़े अखबार समूह लगातार छंटनी कर रहे हैं। मेरे लिहाज से बाकी मीडिया समूहों को भी ऐसी पहल करनी चाहिए।
दूसरी बात यह कि हिंदी मीडिया में शायद यह पहला प्रयोग होगा जब एक ऐसा एडिशन लांच किया गया है जो गली-मोहल्लों से निकलकर भारत का अखबार होगा और बड़े लोग अंग्रेजी अखबारों से पहले हिंदी अखबारों की तरफ दौड़ेंगे।
हां, यह बात बिल्कुल सही है कि जागरण बड़ा समूह होने के बावजूद कंटेंट और लेआउट के लेवल पर बाकी अखबारों से थोड़ा कमजोर है। मुझे यह समझ में नहीं आता है कि सुलझे और वरिष्ठ पत्रकारों की टीम होने के बावजूद कंटेंट कैसे कमजोर रह जाता है?
यशवंतजी, लोकसभा चुनाव में पैसे लेकर उम्मीदवारों के गुणगान में केवल एक अखबार को कटघरे में खड़ा करना ठीक नहीं है। देश में सबसे अधिक पढ़े जाने वाले कई अखबार भी इसी श्रेणी में शामिल हैं, जिन्होंने विज्ञापनुमा खबरें प्रकाशित कर मीडिया पर कालिख पोतने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
अरविन्द शर्मा
सीकर (राजस्थान)
जागरण के नेशनल एडिशन को ‘बड़ा भाई‘ कहना गलत है क्योंकि बड़ा पहले आता है, छोटा बाद में। इसे ‘छोटा भाई’ कहिए।
संजय पाठक
पत्रकार, देहरादून