Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

द्वितीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी गोरखपुर में 26 से

कामरेड अरविन्द के असामयिक निधन (24 जुलाई 2008) को दो वर्ष होने को आ रहे हैं. उनकी पहली पुण्यतिथि के अवसर पर गत वर्ष 24 जुलाई को नयी दिल्ली में प्रथम अरविन्द स्मृति संगोष्ठी का आयोजन किया गया था जिसका विषय था : ‘भूमण्डलीकरण के दौर में श्रम क़ानून और मज़दूर वर्ग के प्रतिरोध के नये रूप।’ अब इसी विषय को विस्तार देते हुए इस वर्ष ‘द्वितीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी’ का विषय निर्धारित किया गया है : ‘इक्कीसवीं सदी में भारत का मज़दूर आन्दोलन : निरन्तरता और परिवर्तन, दिशा और सम्भावनाएँ, समस्याएँ और चुनौतियाँ।’ विषय की व्यापकता को देखते हुए इस वर्ष संगोष्ठी तीन दिनों की रखी गयी है।

<p style="text-align: justify;">कामरेड अरविन्द के असामयिक निधन (24 जुलाई 2008) को दो वर्ष होने को आ रहे हैं. उनकी पहली पुण्यतिथि के अवसर पर गत वर्ष 24 जुलाई को नयी दिल्ली में प्रथम अरविन्द स्मृति संगोष्ठी का आयोजन किया गया था जिसका विषय था : 'भूमण्डलीकरण के दौर में श्रम क़ानून और मज़दूर वर्ग के प्रतिरोध के नये रूप।' अब इसी विषय को विस्तार देते हुए इस वर्ष 'द्वितीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी' का विषय निर्धारित किया गया है : 'इक्कीसवीं सदी में भारत का मज़दूर आन्दोलन : निरन्तरता और परिवर्तन, दिशा और सम्भावनाएँ, समस्याएँ और चुनौतियाँ।' विषय की व्यापकता को देखते हुए इस वर्ष संगोष्ठी तीन दिनों की रखी गयी है।</p>

कामरेड अरविन्द के असामयिक निधन (24 जुलाई 2008) को दो वर्ष होने को आ रहे हैं. उनकी पहली पुण्यतिथि के अवसर पर गत वर्ष 24 जुलाई को नयी दिल्ली में प्रथम अरविन्द स्मृति संगोष्ठी का आयोजन किया गया था जिसका विषय था : ‘भूमण्डलीकरण के दौर में श्रम क़ानून और मज़दूर वर्ग के प्रतिरोध के नये रूप।’ अब इसी विषय को विस्तार देते हुए इस वर्ष ‘द्वितीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी’ का विषय निर्धारित किया गया है : ‘इक्कीसवीं सदी में भारत का मज़दूर आन्दोलन : निरन्तरता और परिवर्तन, दिशा और सम्भावनाएँ, समस्याएँ और चुनौतियाँ।’ विषय की व्यापकता को देखते हुए इस वर्ष संगोष्ठी तीन दिनों की रखी गयी है।

पहले दिन के पहले सत्र में ‘अरविन्द स्मृति न्यास’ और उसके तत्वावधान में संचालित होने वाले ‘अरविन्द मार्क्‍सवादी अध्ययन संस्थान’ की स्थापना की औपचारिक घोषणा की जायेगी तथा इनके उद्देश्य और कार्यभारों पर सभी आमन्त्रित साथियों के साथ अनौपचारिक अन्तरंग बातचीत की जायेगी। इस स्मृति न्यास और मार्क्‍सवादी अध्ययन संस्थान की स्थापना का निर्णय गोरखपुर में का. अरविन्द के निधन के बाद 27 जुलाई, 2008 को आयोजित शोक सभा में लिया गया था।  26 जुलाई के दूसरे सत्र से लेकर 28 जुलाई के दूसरे सत्र तक संगोष्ठी के लिए निर्धारित विषय पर आलेख पढ़े जायेंगे और उन पर विचार-विमर्श चलेगा। आयोजन स्थल (चित्रगुप्त मन्दिर प्रांगण, गोरखपुर) पर आवास-भोजन आदि का प्रबन्ध, एक दिन पूर्व, 25 जुलाई से ही किया गया है।

विषय के बारे में : बीसवीं शताब्दी साम्राज्यवाद और सर्वहारा क्रान्तियों के प्रथम संस्करणों की शताब्दी थी। यह एक निर्विवाद तथ्य है कि गत शताब्दी के विशेषकर अन्तिम दो दशकों के दौरान, विश्‍व पूँजीवाद की कार्य-प्रणाली एवं ढाँचे में, साम्राज्यवादी दुनिया के आपसी समीकरणों और राजनीतिक परिदृश्य में, राष्ट्रपारीय निगमों के चरित्र और राष्ट्रराज्यों की भूमिका में तथा अधिशेष निचोड़ने के तौर-तरीक़ों में अहम बदलाव आये हैं। इन बदलावों का बुनियादी कारण पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली की आन्तरिक गतिकी है,लेकिन इनमें सर्वहारा क्रान्तियों की प्रथम श्रृंखला की पराजय और विश्‍वव्यापी विपर्यय से पैदा हुए हालात की भी अहम भूमिका रही है। आज पूँजी का परजीवी, अनुत्पादक,परभक्षी और ह्रासोन्मुख चरित्र सर्वथा नये रूप में सामने आया है। इसके ढाँचागत आर्थिक संकट का रूप भी पहले से भिन्न है। लेकिन समस्या यह है कि श्रम के शिविर की ओर से पूँजी के सामने अभी भी कोई प्रभावी चुनौती पेश नहीं हो पा रही है।

दरअसल यह तब तक सम्भव नहीं, जब तक पूँजी की आज की कार्य-प्रणाली को,उसकी अर्थनीति एवं राजनीति को तथा विचारधारात्मक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक वर्चस्व क़ायम करने के उसके नये-नये तौर-तरीक़ों को गहराई से समझकर सर्वहारा-प्रतिरोध की नयी रणनीति विकसित नहीं की जायेगी। प्रश्‍न केवल बहुसंख्यक असंगठित मज़दूर आबादी के साझा संघर्षों का एजेण्डा तय करने और ट्रेड यूनियन काम के क्रान्तिकारी पुनर्गठन का ही नहीं है। प्रश्‍न समूचे मज़दूर वर्ग को उसके ऐतिहासिक मिशन से परिचित कराने का भी है, मज़दूर आन्दोलन में सर्वहारा क्रान्ति की विचारधारा के नये सिरे से बीजारोपण का और उसके हरावल दस्ते के नवनिर्माण का भी है। बीसवीं शताब्दी की सर्वहारा क्रान्तियों और वर्ग-संघर्षों का गहराई से अध्ययन और समीक्षा-समाहार करके सीखना ज़रूरी है, पर स्वतन्त्र विवेक के साथ नयी परिस्थितियों का अधययन भी ज़रूरी है। इस बार संगोष्ठी का विषय इन्हीं समस्याओं-चुनौतियों को ध्यान में रखकर तय किया गया है।

अरविन्द स्मृति संगोष्ठी आयोजन समिति की तरफ से कात्यायनी और सत्यम ने पांचों दिनों के कार्यक्रमों के बार में जो जानकारी दी, वो इस प्रकार है-

26 जुलाई : प्रथम सत्र (अल्पाहार के बाद, प्रात: 10 बजे से अपराह्न 1 बजे तक) : ‘अरविन्द स्मृति न्यास’ और ‘अरविन्द मार्क्‍सवादी अध्ययन संस्थान’ की स्थापना की घोषणा। न्यास और अध्ययन संस्थान के उद्देश्य और कार्यभारों की घोषणा तथा उन पर चर्चा। भोजनावकाश – अपराह्न 1 बजे से 3 बजे तक : द्वितीय सत्र (अपराह्न 3 बजे से रात्रि 8 बजे तक, बीच में सायं छ: बजे अल्पाहार) : ‘इक्कीसवीं सदी में भारत का मज़दूर आन्दोलन : निरन्तरता और परिवर्तन,दिशा और सम्भावनाएँ, समस्याएँ और चुनौतियाँ’ विषय पर संगोष्ठी की शुरुआत। विषय-प्रवर्तन, आलेख-प्रस्तुति और बहस।

27 जुलाई : प्रथम सत्र (प्रात: 10 बजे से अपराह्न 1 बजे तक) : संगोष्ठी में आलेखों का पाठ और उन पर बहस जारी : भोजनावकाश – अपराह्न 1 बजे से 3 बजे तक : द्वितीय सत्र (अपराह्न 3 बजे से रात्रि 8 बजे तक) : संगोष्ठी में आलेखों का पाठ और उन पर बहस जारी
 
28 जुलाई : प्रथम सत्र (प्रात: 10 बजे से अपराह्न 1 बजे तक) : संगोष्ठी में आलेखों का पाठ और उन पर बहस जारी : भोजनावकाश – अपराह्न 1 बजे से 3 बजे तक : द्वितीय सत्र (अपराह्न 3 बजे से रात्रि 8 बजे तक) : संगोष्ठी में आलेखों का पाठ और उन पर बहस जारी

प्रतिदिन रात में भोजन के बाद क्रान्तिकारी गीतों, नाटकों की प्रस्तुति, ऐतिहासिक क्रान्तिकारी फ़िल्मों का प्रदर्शन। आप आयोजन समिति के निम्नलिखित किसी भी सदस्य से, या आयोजन समिति के स्थानीय पते पर सम्पर्क कर सकते हैं : सत्यम, दिल्ली, फ़ोन: 9910462009, कात्यायनी, लखनऊ, फ़ोन: 9936650658

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement