चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आजकल इसके एक सदस्य संजीव पांडेय और क्लब के कुछ पदाधिकारियों के बीच ‘जंग’ चल रही है. संजीव लंबे समय से क्लब की गतिविधियों आदि पर मुखर विरोध, आपत्ति दर्ज कराते रहे हैं. इन लोगों का मामला कोर्ट में भी पहुंचा था, जिसके बारे में पिछले दिनों कोर्ट ने फैसला दिया था. फिलहाल, संजीव पांडेय को प्रेस क्लब से निकाले जाने संबंधी एक पत्र 8 मई को प्राप्त हुआ. संजीव ने इस पत्र रूपी नोटिस का जवाब कुछ यूं दिया है. -एडिटर
माननीय प्रीतम सिंह रूपाल
सेक्रेटी जनरल, चंडीगढ़ प्रेस क्लब
सेक्टर-27, चंडीगढ़
विषय-संजीव पांडेय रेगूलर नंबर-660 को प्रेस क्लब से निकाले जाने संबंधी 8 मई -2010 के नोटिस का जवाब
महोदय
आपके द्वारा जारी नोटिस (तिथि 8 मई-2010) मुझे मिल गया। इससे पहले आपके द्वारा जारी नोटिस (तिथि 23 अप्रैल 2010) का जवाब मैनें 5 मई को भेज दिया था। उस जवाब को ही मेरा मूल जवाब माना जाए। 10 मई को दुबारा एक नोटिस जारी कर आपने मुझे क्लब के गर्वनिंग काउंसिल के सामने पेश होने का मौका दिया, इसके लिए धन्यवाद। लेकिन मैं व्यक्तिगत जरूरी काम के कारण 23 मई को गर्वनिंग काउंसिल के सामने पेश नहीं हो सकता। पर मैं 5 मई को भेजे गए अपने मूल जवाब के साथ जोड़ते हुए कुछ और महत्वपूर्ण तथ्य अपने ताजा जवाब में आपके सामने ला रहा हूं।
1 -जिस शिकायत के आधार पर नोटिस दिया गया है वो शिकायत फ्राड है। शिकायत क्लब के रिटर्निंग अफसर जीसी भारद्वाज ने सेक्टर-26 पुलिस स्टेशन में की थी, जिसमें असिटेंट रिटर्निंग अफसर आरके भार्गव ने भी हस्ताक्षर किए थे। लेकिन अब मेरी जानकारी में एक नई बात आयी है। आरके भार्गव से शिकायत पत्र पर धोखे से हस्ताक्षर करवाया गया था। आरके भार्गव को यह बताया गया था कि एक सामान्य चिट्ठी रिर्टनिंग अफसर की तरफ से पुलिस को जा रही है, ताकि क्लब में 28 मार्च-2010 को शांतिपूर्वक चुनाव हो जाए। बताया जाता है कि गर्वनिंग काउंसिल के कुछ वर्तमान और पूर्व सदस्यों के दबाव में जीसी भारद्वाज ने यह सारी कारगुजारी की थी।
2 -शिकायतकर्ता जीसी भारद्वाज प्रेस क्लब के पदाधिकारी रहे है। वे एक विशेष गुट से जुड़े रहे है जो वर्तमान में गर्वनिंग काउंसिल पर काबिज है। जीसी भारद्वाज पर पहले भी प्रशासन को झूठा शपथपत्र देकर दो प्लॉट हासिल करने का आरोप है। इन आरोपों की जांच भी प्रशासन ने की है। लेकिन जीसी भारद्वाज क्लब के पदाधिकारी होने का नजाएज फायदा उठाकर और क्लब के कुछ प्रभावशाली पदाधिकारियों के सहयोग से अपनी जांच को दबवाने में कामयाब हो गए। जीसी भारद्वाज पर लगे आरोप अखबारों में भी छपे है। क्लब के कुछ ताकतवर पदाधिकारी जिन्होंने जीसी भारद्वाज पर लगे आरोपों संबंधी जांच को प्रशासन के अधिकारियों पर दबाव डालकर कभी दबवाया था, वही अब जीसी भारद्वाज पर दबाव डालकर झूठी शिकायत करवा रहे है। वे जीसी भारद्वाज को यह भी कह रहे है कि अगर भारद्वाज उनके गलत कामों में सहयोग नहीं करेंगे तो उनके प्लाट आवंटन संबंधी जांच को वे दुबारा खुलवा देंगे। इसलिए जीसी भारद्वाज उनके दबाव में आकर झूठी शिकायत कर बैठे। जीसी भारद्वाज से टेलीफोन पर मेरी कोई बातचीत आजतक नहीं हुई है। न तो जीसी भारद्वाज का मैं टेलीफोन नंबर जानता हूं, न उनसे बातचीत करने का मेरा कोई मतलब है।
3—चंडीगढ़ प्रेस क्लब में अबतक होने वाली कई भ्रष्ट गतिविधियों का खुलासा हो चुका है। अब तो क्लब में हुए कुछ और भ्रष्टाचार की जानकारियां सामने आ गई है। इससे पहले भी क्लब में किए गए कई भ्रष्टाचार का खुलासा हो चुका है। लेकिन दिलचस्प बात है कि जब भी जनरल बॉडी की बैठक में क्लब में फैले भ्रष्टाचार पर कोई आवाज उठती है तो क्लब के शुभचिंतकों के तरफ से आवाज आती है कि घर की बात घर में रहनी चाहिए। यानि की दुनिया में होने वाली चोरी का वे खुलासा करना चाहते है पर खुद पर लगे आरोपों से बैचेन हो जाते है। दिलचस्प बात है कि कई अखबार चंडीगढ़ क्लब, गोल्फ क्लब समेत कई क्लबों की राजनीति, वहां फैले भ्रष्टाचार की बातों को उठाते है, पर अपने क्लब के भ्रष्टाचार पर चुप्पी साध लेते है। एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार के ब्यूरो चीफ से कुछ दिन पहले इस मसले पर मेरी बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि उनके अखबार ने दिल्ली स्तर पर फैसला लिया है कि प्रेस की गुटबाजी, चोरी, ठगी पर उनका अखबार कोई खबर नहीं छापेगा। इसलिए वे प्रेस में फैले भ्रष्टाचार की कोई खबर नहीं छापेंगे। मैं प्रतिष्ठित अखबार के ब्यूरो चीफ का नाम का खुलासा नहीं करना चाहूंगा क्योंकि घर की बात तो घर में ही रहनी चाहिए।
4–आज टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कई बड़े अखबारों के महान हस्तियों के नाम आ रहे है। इसमें देश के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल की एंकर और प्रतिष्ठित अखबार के पूर्व ग्रुप एडिटर का भी नाम आ रहा है। सीबीआई और आयकर विभाग के टेलीफोन टेपिंग के दौरान पता चला कि अखबारों की महान हस्तियां टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन में टाटा ग्रुप की मदद के लिए आगे आए। टाटा के कहने पर ए राजा को संचार मंत्री बनाने के लिए पत्रकारों ने लाबिंग की। सीबीआई और आयकर विभाग के रिकार्ड में लाबिंग करने वाले पत्रकारों का नाम दर्ज हो गया है। सच्चाई है कि भ्रष्टाचार करना और उसमें लिप्त होना अखबारों के रिपोर्टरों, अखबारों से संबंधित संस्थाओं का धंधा बन गया है। इसलिए जो भी इनके खिलाफ आवाज उठाता है उन पर जोरदार कार्रवाई की सिफारिश की जाती है। फिर एक जोर की आवाज आती है घर की बात घर में रहनी चाहिए। क्योंकि अखबारों और रिपोर्टरों ने कसम खा ली है कि दुनिया के भ्रष्टाचार को हम उठाएंगे, लेकिन हमारे भ्रष्टाचार पर अगर कोई अंगुली उठाएगा तो हम उसका गला घोट देंगे। जबकि यह सच्चाई है कि प्रेस की आजादी को बरकरार रखने के लिए खुद को भ्रष्ट होने से बचाना जरूरी है। हमारी लड़ाई किसी से व्यक्तिगत नहीं है। हम तो क्लब की आजादी के लिए ल़ड़ रहे है। क्लब नेताओं और नौकरशाहों के हाथों में खेल रहा है। राजनीतिज्ञ क्लब और क्लब के पदाधिकारियों को नचा रहे है। अगर इससे मुक्ति की कोई लड़ाई हो रही है तो नादिरशाही फैसला लेकर हमें क्लब से निकाला जा रहा है।
धन्यवाद सहित
संजीव पांडेय
हाउस नंबर-5818-बी
सेक्टर-38 वेस्ट, चंडीगढ़।