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दुख-दर्द

राम अवतार गुप्ता और वीएस वाजपेयी नहीं रहे

ram autar gupataहिंदी मीडिया के दो व्यक्तित्व इस दुनिया में नहीं रहे। हिन्दी दैनिक सन्मार्ग  के संचालक-संपादक राम अवतार गुप्ता और एक समय की चर्चित मैग्जीन विचार मीमांसा  के प्रधान संपादक वीएस वाजपेयी अब इस दुनिया में नहीं रहे। राम अवतार गुप्ता 83 वर्ष के थे और वीएस वाजपेयी 50 पार के। राम अवतार गुप्ता का निधन कोलकाता में हुआ और वीएस वाजपेयी का भोपाल में। शुरुआत वीएस वाजपेयी से। उन्हें एक बहादुर पत्रकार के रूप में याद रखा जाएगा। उन्होंने जीवन में कभी समझौता नहीं किया और सरकारों से कोई मदद नहीं ली।

ram autar gupata

ram autar gupataहिंदी मीडिया के दो व्यक्तित्व इस दुनिया में नहीं रहे। हिन्दी दैनिक सन्मार्ग  के संचालक-संपादक राम अवतार गुप्ता और एक समय की चर्चित मैग्जीन विचार मीमांसा  के प्रधान संपादक वीएस वाजपेयी अब इस दुनिया में नहीं रहे। राम अवतार गुप्ता 83 वर्ष के थे और वीएस वाजपेयी 50 पार के। राम अवतार गुप्ता का निधन कोलकाता में हुआ और वीएस वाजपेयी का भोपाल में। शुरुआत वीएस वाजपेयी से। उन्हें एक बहादुर पत्रकार के रूप में याद रखा जाएगा। उन्होंने जीवन में कभी समझौता नहीं किया और सरकारों से कोई मदद नहीं ली।

जब उन्होंने विचार मीमांसा का प्रकाशन भोपाल से शुरू किया तो इसमें देश के नेताओं के करतूतों के बारे में खुलकर लिखा और लिखवाया। इस मैग्जीन की कवर स्टोरी के शीर्षकों से ही मैग्जीन के तेवर के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। मुलायम के बारे में माफिया मुलायम, सतपाल महाराज के बारे में भगवान या शैतान?, ज्योति बसु के बारे में भ्रष्टाचार का तानाशाह, सीताराम केसरी के बारे में भ्रष्ट राजनीति का शिखंडी, शंकर दयाल शर्मा के बारे में राष्ट्रपति महोदय, आपके पुत्र इतने बेलगाम क्यों हैं?, मकबूल फिदा हुसैन के बारे में चित्रकार है या कसाई?, लालू के बारे में बंदर के हाथ में बिहार आदि शीर्षकों से तत्कालीन सत्ताधारी शीर्ष राजनेताओं और चमकते व्यक्तित्वों के बारे में भिन्न-भिन्न एंगिल से, प्रमाणों और सुबूतों के साथ पोल खोलती कवर स्टोरी इस मैग्जीन में प्रकाशित हुई। इस साहसिक लेखन के लिए एकमात्र श्रेय वीएस वाजपेयी को जाता है। प्रत्येक कवर स्टोरी पर खूब बवाल मचता।

बंदर के हाथ में बिहार शीर्षक से प्रकाशित कवर स्टोरी से लालू यादव इतने भड़के कि उन्होंने विधानसभा में गुस्से के मारे वीएस वाजपेयी को हरामी का बच्चा कह डाला था। लालू के इस बयान को जनसत्ता ने प्रकाशित भी किया।  देवी देवताओं के अपमान को लेकर फिदा हुसैन पर प्रकाशित कवर स्टोरी चित्रकार है या कसाई के बाद पूरे देश के मीडिया ने इस मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते फिदा हुसैन पर सौ से ज्यादा मुकदमें हो गए।

वीएस वाजपेयी सात साल जेल में भी बंद रहे। इस दौरान मैग्जीन बंद हो गई। बाद में वे जेल से बाहर निकले तो मैग्जीन का प्रकाशन फिर शुरू कर दिया। जेल जाने के पीछे वजह उनकी फाइनेंस कंपनी के मुकदमें रहे। उन्होंने लिंकस ग्रुप आफ कंपनीज  की स्थापना की थी और बाद में इसी को लेकर उन पर कई मुकदमें हो गए और उन्हें सात वर्षों तक जेल में रहना पड़ा।

वीएस वाजपेयी सुब्रत राय सहारा के बेहद करीबी लोगों में से रहे हैं। शुरुआत में वाजपेयी खुद भी सहारा में थे। राष्ट्रीय सहारा  के परिशिष्ट हस्तक्षेप  में भारत गुलामी की ओर  नाम से सीरिज शुरू कराने का श्रेय वीएस वाजपेयी को दिया जाता है।

बिहार के बेतिया जिले के रहने वाले वीएस वाजपेयी इन दिनों भोपाल में रहते हुए ही मध्य प्रदेश के लिए एक रीजनल चैनल की प्लानिंग कर रहे थे पर हार्ट अटैक के चलते उनकी यह योजना अधूरी रह गई। वैचारिक असहमतियों के बावजूद वीएस वाजपेयी को हर शख्स एक बहादुर पत्रकार के रूप में याद रखेगा। वीएस वाजपेयी के पीछे परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटा है। एक्टर मनोज वाजपेयी इनके चचेरे भाई हैं। वीएस वाजपेयी की पत्नी आभा वाजपेयी सहारा वेलफेयर में मैनेजर पद पर कार्यरत हैं। वीएस वाजपेयी का निधन हार्ट अटैक के चलते हुआ। भड़ास4मीडिया की तरफ से वीएस वाजपेयी को श्रद्धांजलि। 
 
दूसरी खबर कोलकाता से। हिन्दी दैनिक सन्मार्ग  के संचालक-संपादक राम अवतार गुप्ता का  निधन 23 सितंबर को हुआ। राम अवतार गुप्ता ने सन्मार्ग  को पूर्वी भारत का सर्वाधिक प्रसारित हिन्दी दैनिक बनाया। किसी जमाने में वे इसके प्रबन्धक होते थे। तत्कालीन संचालकों ने जब अखबार बन्द करने का निर्णय किया तो राम अवतार को यह फैसला रास न आया। उन्होंने मालिकों से सन्मार्ग खरीदने की इच्छा प्रकट की। अत्यन्त संघर्ष के बाद उन्होंने सन्मार्ग  खरीदा, इसे पटरी पर लाए। इकलौते पुत्र का वर्षों पहले असामयिक निधन होने के चलते  उन्हें अखबार को खुद ही अंत तक नेतृत्व प्रदान करना पड़ा। अब राम अवतार गुप्ता के न रहने पर सन्मार्ग  को उनके पौत्र विवेक गुप्ता संभालेंगे।

गुप्ताजी  अखबार मालिकों की संस्था आईएनएस में कई पदों पर भी रहे। प्रतिष्ठित मातुश्री पुरस्कार से भी उन्हें नवाजा गया था। राम अवतार गुप्ता आत्मप्रचार से सदा दूर रहे। शोहरत ने उन्हें दंभी या आत्ममुग्ध नहीं बनाया। हिन्दी पत्रकारिता के विकास के लिए उनकी प्रेरणा से अखिल भारतीय हिन्दी पत्रकारिता विकास परिषद की स्थापना की गयी। 

राम अवतार गुप्ता को भड़ास4मीडिया की तरफ से श्रद्धांजलि।

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