दिल्ली की धरती पर अमेरिकी पत्रकार के साथ जो कुछ पुलिस ने किया, वह शर्मनाक है. दिल्ली पुलिस कितनी बर्बर है, यह जानना हो तो ये सभी तस्वीरें देखिए.
अमेरिकी फ्रीलांस जर्नलिस्ट जे. इलियट दिल्ली में ‘कारवां’ नामक मैग्जीन के लिए ‘स्टाफ राइटर’ के रूप में काम करते थे. उन्हें पिछले दिनों दिल्ली पुलिस का ‘कोपभाजन’ बनना पड़ा. पूरे शरीर पर दर्जनों जख्म लिए हुए वे अपने वतन अमेरिका लौट चुके हैं. ‘कारवां’ मैग्जीन ने इलियट की दिल दहला देने वाली तस्वीरें जारी की हैं. इन्हें देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. मैग्जीन ने इलियट के एक पत्र को भी जारी किया है, जिसमें उन्होंने घटनाक्रम का जिक्र करते हुए दिल्ली पुलिस से हर्जाने के रूप में पांच लाख रुपये की मांग की है. इलियट के मामले में केंद्र सरकार भी मान चुकी है कि वे बेकसूर हैं और दिल्ली पुलिस ने बेवजह मारा-पीटा.
कुछ अखबारों ने लिखा है कि इलियट खुद आक्रामक होकर स्थानीय दुकानदारों और पुलिसवालों की पिटाई करने लगे थे. वे चोरी का प्रयास कर रहे थे. आदि-आदि. पर यह सच नहीं है. जिन अखबारों ने यह सब प्रकाशित किया है, उनके रिपोर्टरों ने पुलिस के बयान व ब्रीफिंग को सच मान लिया. दिल्ली पुलिस इलियट का मुंह बंद करने के लिए उन्हें पीटती रही, टार्चर करती रही, उत्पीड़ित करती रही. इस मामले में यहां दो अखबारों दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स में प्रकाशित खबरें दी जा रही हैं, ताकि इलियट मामले के सभी पक्षों को जाना जा सके. साथ में इलियट का लिखा पत्र और पिटाई से इलियट की हुई दुर्दशा से संबंधित तस्वीरें भी.
भड़ास4मीडिया इलियट को दोषी नहीं मानता. अगर उनका दोष था भी तो इतना बड़ा दोष नहीं कि उन्हें खूंखार आतंकी की तरह मारा-पीटा जाए. पुलिस ने उन्हें वर्दी का रोब दिखाने के लिए पीटा. केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी ने स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया है कि दिल्ली पुलिस का दावा गलत है.
तो, यही है हमारी दिल्ली पुलिस.
सोचिए. अमेरिकी पत्रकार इलियट अपने देश लौटकर अपनी दिल्ली पुलिस की कैसी छवि का निर्माण करेंगे और भारत के बारे में किस तरह की राय बनाएंगे।
हम भारत के पत्रकार इलियट से दिल्ली पुलिस व देशवासियों की तरफ से सामूहिक तौर पर माफी मांगते हैं.
इलियट, हम लोग आपके साथ हुए बर्ताव पर शर्मिंदा हैं.
–यशवंत
एडिटर
भड़ास4मीडिया
नवभारत टाइम्स में प्रकाशित खबर
पुलिस ने पीटा, अमेरिकी पत्रकार ने देश छोड़ा
प्रमुख संवाददाता
नई दिल्ली ।। अमेरिकन पत्रकार जोएल इलियट शुक्रवार सुबह देश छोड़कर चले गए। उन्होंने निजामुद्दीन पुलिस पर बुरी तरह पिटाई का आरोप लगाया था। उन्होंने पुलिस से 5 लाख रुपये मुआवजे की मांग की है। उन्होंने मानव अधिकार आयोग, गृह मंत्री और पुलिस कमिश्नर को शिकायत भेजी है। इलियट के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है। एक अमेरिकन पत्रिका के संवाददाता जोएल इलियट साउथ दिल्ली के जंगपुरा एक्सटेंशन में रहते थे। सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार सुबह 3 बजे वह अपने घर से करीब सवा किलोमीटर दूर भोगल मार्किट में पहुंच गए थे। चश्मदीदों ने पुलिस को बताया था कि वह सिर्फ कैपरी पहने हुए एक एंबैसडर कार का शीशा तोड़कर उसमें अंदर घुस गए थे। खान मार्किट के टैक्सी स्टैंड पर चलने वाली इस कार के मालिक अमरप्रीत और उनके मकान मालिक बालकिशन ने देखा कि इलियट कार में अंदर घुसे बुरी तरह तोड़फोड़ कर दी। उन्होंने कार के कवर फाड़ दिए थे। एक चौकीदार ने पुलिस को कॉल की।
मौके पर पांच-छह पुलिस वाले पहुंच गए। लोगों ने इलियट को पीटना शुरू कर दिया। वहां से भागते हुए इलियट जमीन पर गिर गए, लेकिन वह लोगों से खुद को छुड़ाकर चले गए। कुछ ही देर में पुलिस को खबर मिली कि इलियट शीतला माता मंदिर के नजदीक टेंपो को तोड़ रहे हैं। वहां भी पब्लिक ने उन्हें पकड़ कर पीट दिया। इलियट पांच-छह पुलिस वालों के काबू में नहीं आ रहे थे। उन्होंने दो पुलिस वालों को पीट भी दिया। आखिरकार पुलिस ने उन्हें जमीन पर गिराकर उनके दोनों हाथ पीछे की ओर कर हथकड़ी लगा दी। इसके बाद भी पुलिस उन्हें जिप्सी में बिठाने में कामयाब नहीं हुई तो पुलिस ने उन्हें एक बार फिर जमीन पर गिराकर उनके दोनों पैर भी बांध दिए। अब उन्हें एम्स में ले जाया गया।
एम्स के सूत्रों के मुताबिक, इलियट ने एक नर्स को काटने की कोशिश की। उनके शरीर पर कई जगह चोटों के गहरे निशान थे। कुछ देर बाद ही डॉक्टर ने उन्हें डिस्चार्ज कर दिया। अब उन्हें निजामुद्दीन थाने लाकर उनके साथ रहने वाली लड़की के हवाले कर दिया गया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इलियट के खिलाफ कम्पलेंट के बावजूद पुलिस ने उनके खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं किया। पुलिस मामला यहीं खत्म करना चाहती थी, लेकिन इलियट को उनके मित्रों ने कुछ ही घंटे बाद एम्स में दोबारा दाखिल करा दिया। उनकी एमएलसी और डिस्चार्ज स्लिप में डंडों से पिटाई का जिक्र नहीं है।
इसके बाद पुलिस ने मामला बढ़ते देखकर इलियट को सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस दिया। सावधानी बरतते हुए पुलिस ने यह नोटिस सर्व करने एक महिला पुलिसकमीर् उनके घर भेजी। इसके बाद पुलिस ने हंगामे के चश्मदीदों के बयान लेकर इलियट के खिलाफ सार्वजनिक स्थान पर दंगा करने और मारपीट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। इसके बाद इलियट ने मीडिया को बताया कि पुलिस ने उनकी बुरी तरह पिटाई की है। इस पूरे घटनाक्रम के बीच शुक्रवार सुबह इलियट देश छोड़कर विदेश चले गए हैं। जानकारी के मुताबिक, इलियट ने जाने से पहले अपने मित्रों के जरिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, गृह मंत्री और पुलिस कमिश्नर को इस मामले की शिकायत भेजी है।
दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर
अमेरिकी पत्रकार की पिटाई पर केंद्र ने मांगा ब्यौरा
नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। केंद्र सरकार ने अमेरिकी पत्रकार जे. इलियट की बेरहम और बर्बर पिटाई के मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए दिल्ली पुलिस से इसका ब्यौरा तलब किया है। सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा है कि घटना के शिकार विदेशी पत्रकार की हालत देखने से साफ है कि इस मामले में कानून को हाथ में लिया गया है।
पुलिस की बर्बर पिटाई से आहत विदेशी पत्रकार के अमेरिका लौटने की बात सामने आने के बाद सूचना प्रसारण मंत्री ने इस घटना का ब्यौरा मांगा है। अंबिका सोनी ने कहा कि पुलिस की पिटाई के शिकार पत्रकार के शरीर पर गहरे जख्मों और निशानों से साफ है कि कानून की सीमाएं लांघी गई हैं। उनका कहना था कि दिल्ली पुलिस को कानून-व्यवस्था को लेकर पत्रकार के खिलाफ कोई कार्रवाई करनी थी तो उसकी रपट दर्ज कर कानूनी कदम उठाना चाहिए था।
सोनी ने पुलिस की इस थ्योरी पर भी सवाल उठाया कि अमेरिकी पत्रकार कार चुराने का प्रयास कर रहा था। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस के दावे को सच मान भी लिया जाए तो कार्रवाई के कानूनी विकल्प थे। लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज करने के बजाय कानून अपने हाथ में ले लिया, जो बेहद गंभीर है।
गौरतलब है कि चार दिन पहले इलियट को पुलिस ने मध्यरात्रि में दक्षिणी दिल्ली इलाके में कार चुराने का आरोप लगाते हुए पकड़ा था और उनकी निर्मम पिटाई की थी। हालांकि अपने स्तर पर ब्यौरा जुटाने में जुटे सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारी पुलिस के इस दावे में सच्चाई नहीं देख रहे।