प्रिय पत्रकार बन्धुओं, आप सभी को मेरा प्रणाम स्वीकार हो। भड़ास4मीडिया के जरिए मैं देश भर के पत्रकारों से रुबरु होना चाहता हूं। समाज में पत्रकारों को बेहद सम्मान है। जिन जगहों पर आम आदमी घंटों प्रयास के बाद भी प्रवेश नहीं पा पाता है, वहां यदि किसी शख्स के नाम के आगे ‘पत्रकार’ लग गया तो उसकी पहुंच आसानी से हो जाती है। जिस शख्स से मिलने के लिए पत्रकार जाता है वह उसे काफी तवज्जो भी देता है। फर्क सिर्फ इतना होता है कि वह पत्रकार किस पत्र-पत्रिका या समाचार चैनल से है। जितना बड़ा कद, उसी मुताबिक सम्मान मिलता है। छोटे पत्र-पत्रिकाओं को भी खूब सम्मान अधिकारियों व नेताओं द्वारा दिया जाता है। यही सम्मान पाने के साथ कुछ युवक व युवतियां अपने को पत्रकार बताकर ठगी कर रहे हैं। इससे पूरी पत्रकार बिरादरी की बदनामी हो रही है। एक घटना सुनिए।
अभी हाल में लखनऊ में वाहिद सिद्दकी नाम का तथाकथित पत्रकार अपनी महिला मित्र के साथ पुलिस के हत्थे चढा, जो अधिकारियों की अश्लील तस्वीरें खींचकर बाद में उसे छापने के नाम पर ब्लैकमेलिंग कर रहा था। योजना भवन के एक अधिकारी की शिकायत पर लखनऊ की हजरतगंज पुलिस व एसटीएफ ने इसे धर दबोचा। इससे पूर्व इसी अगस्त महीने में उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में तीन फर्जी पत्रकार एक डाक्टर से वसूली की कोशिश कर रहे थे, तभी पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। ये तीनों अपने को एक न्यूज चैनल का पत्रकार बता रहे थे। इसी तरह लखनऊ में ही दो माह पूर्व एक फर्जी पत्रकार को नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे वसूलने के आरोप में सरोजनीनगर पुलिस ने एक पत्रकार को गिरफ्तार करके जेल भेजा। यह पत्रकार अपने को ‘मीडिया’ नामक संस्था का सचिव बताकर लोगों से उसकी सदस्यता लेने को कहता था। इन महत्वपूर्ण तथ्यों के बीच में अपने बारे में घटी एक घटना का जिक्र करना जरुरी समझता हूं।
बात तीन वर्ष पुरानी है। लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार श्रीधरजी कानपुर से लखनऊ आये। चारबाग रेलवे स्टेशन पर उतरकर स्टैण्ड से अपनी स्कूटर उठाये और हजरतगंज की ओर चल दिये। स्टेशन पर ही उन्हें एक साहब मिले और उनसे लिफ्ट देने को कहा। श्रीधरजी ने उन्हें स्कूटर पर बैठा लिया। स्कूटर पर बैठते ही उन्होंने अपने को राष्ट्रीय सहारा का पत्रकार देवकी नन्दन मिश्र बताया। श्रीधरजी मेरा नाम उन साहब के मुंह से सुनकर चौंक गये। हजरतगंज में वे साहब उतर गये। श्रीधर ने उनका मोबाइल नम्बर मांगा तो उन्होंने रौब से कहा- तुम कैसे पत्रकार हो कि देवकी नन्दन मिश्र का तुम्हारे पास नम्बर नहीं है। बाद में श्रीधरजी मुझसे एनेक्सी मीडिया सेन्टर में मिले तो उन्होंने मजे लेकर कहा कि मैं असली देवकी नन्दन मिश्र से मिला हूं, आप तो नकली हो। उस समय भी मुझे लगा था कि फर्जी पत्रकारों के खिलाफ अभियान छेड़ा जाना चाहिए लेकिन अब तो हद ही हो गयी है। फर्जी पत्रकार पूरी पत्रकार बिरादरी के लोगों को बदनाम कर रहे है।
पत्रकार बन्धुओं से मेरी गुजारिश है कि पत्रकारों के लिए भी एक आचार संहिता खुद वरिष्ठ पत्रकारों को बनाने के लिए आगे आना चाहिए। इसके साथ ही फर्जी पत्रकारों की फील्ड में दखल रोकने के लिए सरकार के साथ मिलकर कोई ऐसी योजना तैयार की जाय जिससे असली व फर्जी पत्रकार में भेद किया जा सके। सभी मान्यता व गैर मान्यता प्राप्त पत्रकार, जो कहीं भी कार्यरत हैं (छोटे या बड़े मीडिया संस्थान में), उन्हें सरकार (जिला प्रशासन) की ओर से एक कार्ड जारी किया जाय जिससे अधिकारी उनकी पहचान कर सकें। नेताओं के कार्यक्रमों में भी इसी कार्ड के आधार पर इन्ट्री दी जाय। हो सकता है मेरी यह बात कुछ पत्रकारों को नागवार लगे, इसे पत्रकारिता के पेशे पर सरकारी बंदिश जैसी बात कही जाय लेकिन मेरा ऐसा कोई मत नहीं है। मैं तो यह सुझाव महज इसलिए दे रहा हूं ताकि फर्जी पत्रकारों का प्रवेश हर जगह बन्द किया जा सके। पत्रकार बिरादरी को बदनामी से बचाया जा सके।
मैं भड़ास4मीडिया के सम्पादक यशवन्त भाई से भी अनुरोध करुंगा कि इसके लिए अपनी साइट के माध्यम से एक मुहिम छेड़ें ताकि फर्जी पत्रकारों को रोका जा सके। मेरी कोशिश रहेगी कि जहां कहीं भी फर्जी पत्रकार मिलेंगेस उनके खिलाफ कार्रवाई करायी जाए।
धन्यवाद
देवकी नन्दन मिश्र
प्रमुख संवाददाता
राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ
मोबाइल : 09839203994, मेल : [email protected]