हिंदी सांध्य दैनिक “निर्भय पथिक” के पत्रकार दीनानाथ तिवारी की तड़ीपारी (जिलाबदर) का आदेश गृह मंत्रालय ने रद्द कर दिया है। गृह मंत्रालय के प्रधान सचिव ऍना दाणी ने सुनवाई करते हुए मुंबई पुलिस को इस बाबत फटकार भी लगाई है। आदेश में कहा गया है कि मुंबई पुलिस अधिनियम 1951 की धारा 56 (1) (अ)(ब) के अनुसार तड़ीपार की जो कार्रवाई की गई है वह गलत है क्योंकि इसके लिए आवश्यक दस्तावेज व कानूनी प्रावधान और स्पष्टीकरण स्थानीय पुलिस ने नहीं दिया है।
इस कानून के अनुसार तीन वर्ष के अंदर कम से कम तीन आपराधिक मामला होने पर स्थानीय पुलिस तड़ीपार का आदेश जारी कर सकती है लेकिन पत्रकार दीनानाथ तिवारी के खिलाफ इन वर्षों में कोई आपराधिक मामला किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज नहीं है। पुलिस आयुक्त परिमंडल – 12 ने 9 वर्ष पहले की शिकायत के आधार पर कार्रवाई कर अपनी किरकिरी करा ली है। बता दें कि मुंबई स्थित मालाड (कुरार गांव) के निवासी दीनानाथ तिवारी पिछले दो दशक से हिंदी पत्रकारिता कर रहे हैं। 29 अक्तूबर, 2008 को रात 11.30 बजे जब वह उत्तर भारतीयों के खिलाफ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की गुंडागर्दी की खबर लेने के लिए कुरार पुलिस स्टेशन गए थे। पुलिस अधिकारी से मिलकर बाहर आते समय मनसे के गुंडों ने उनपर हमला कर दिया। लगभग 12.00 बजे हुई इस घटना में श्री तिवारी को बुरी तरह घायल कर दिया गया और उसे पास के एक नाले में फेंक दिया गया। उन्हें छाती की हड्डी, दांतों व पांव में भारी मार लगी थी लेकिन स्थानीय पुलिस मूकदर्शक बनी रही। बाद में स्थानीय नागरिकों ने श्री तिवारी को अस्पताल पहुंचाया। जब मामला काफी गंभीर हो गया तो पुलिस ने पत्रकारों के दबाव में आकर मनसे की स्थानीय नगरसेविका वनीता घाग के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया।
इस मामले की खबर मुंबई सहित देश भर के हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, उर्दू सहित अनेक भाषा के समाचारपत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित की गई लेकिन लेकिन इतना सब होने के बावजूद पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उलटे पुलिस ने खुन्नस में आकर दीनानाथ तिवारी को एक साल के लिए मुंबई से जिलाबदर करने का नोटिस जारी कर दिया। पुलिस की इस तानाशाही रवैए से शहर के पत्रकार हथप्रभ हो गए और मुंबई पुलिस की इस बर्बरतापूर्ण रवैए से क्षुब्ध होकर नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट, राष्ट्रीय पत्रकार संघ, भारतीय पत्रकार संघ, आदि सहित अनेक समाजिक, राजनीतिक व पत्रकार संगठनों ने आवाज बुलंद की और गृह सचिव के सामने अपील कर न्याय की गुहार लगाई। कई सुनवाई के बाद दीनानाथ तिवारी को निर्दोष पाते हुए गृह सचिव ने 25 अगस्त, 2009 को तड़ीपारी का आदेश रद्द कर दिया।
मुंबई से आफताब आलम की रिपोर्ट