यशवंत भाई धन्यवाद, लेकिन ‘जन संदेश’ की खबर में एचआर हेड मनोज सिंह का जो बयान है, वह पूरी तरह से सही नहीं है. मैं सभी के बारे में बात न करते हुए सिर्फ अपने बारे में लिखी हुई बात पर आता हूं. जो कैमरा किराये पर लिया गया था, वो तो आप भी मानेंगे कि चैनल के कार्य से ही लिया गया होगा. तो ज़ाहिर सी बात है, उसका भुगतान चैनल ही करेगा. अब रही बात उस कैमरे के देर से वापस किए जाने की तो प्रोडक्शन हेड के तौर पर कैमरा मांगना मेरी ज़िम्मेदारी थी पर उसका वापस जाना टेक्निकल विभाग की ज़िम्मेदारी होती है.
लेकिन जब मैंने अपना बकाया भुगतान मांगा तो एचआर मैनेजर मनोज द्वारा कैमरा देर से वापस किए जाने की ज़िम्मेदारी मेरे पर डाल दी गयी. मुझसे कहा गया कि वेतन तो मैं भूल ही जाऊं वरना 97 हज़ार रुपये का भुगतान कंपनी को करना होगा. जब मैंने ये बात साफ़ की कि यह गलती टेक्निकल विभाग की है तो विभाग के प्रमुख पीसी पाण्डेय द्वारा पल्ला झड़ने की कोशिश करते हुए बीच का रास्ता निकालने की बात कही गयी. कहा गया कि चैनल पर पड़े इस अतिरिक्त भार को बाकी के वेंडर्स के बीच बांट दिया जाये या यह राशि उनके बकाया बिलों से काटा जाये. इस पर जब मैंने कहा कि ये गलत होगा तो मेरे दोनों वरिष्ठ सहयोगियों ने मेरे से कहा कि तेरे पास ज्यादा पैसे हैं तो तू ही दे दे. अगर बकाया तनख्वाह चाहिए तो ऐसे ही करना पड़ेगा. चैनल ने पहले भी कई वेंडर्स के पैसे नहीं दिए थे इसलिए मैंने अधिक विरोध नहीं किया क्योंकि वो हर हाल में पैसे काट ही लेते. आपको यह सब बताने का तात्पर्य सिर्फ इतना ही है कि आपने अपने पोर्टल के माध्यम से यथासंभव हम मीडियाकर्मियों की समस्याओं को उठाया है जिस वजह से इस पोर्टल की लोकप्रियता आसमान की ऊंचाइयों तक जा पहुंची है. अगर आप कहेंगे तो मैं उन सभी वेंडर्स के फ़ोन नंबर भी उपलब्ध करा दूंगा जिनके पैसे बिना बात काट कर उस पैसे की भरपाई की गयी थी. ये मेल मैं सिर्फ इस विश्वास के साथ लिख रहा हूं कि आप हमारी आवाज़ बनेंगे और अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप सभी तथ्यों की जांच के बाद सच्चाई को सामने लायेंगे।
आपका अनुज
दीपक वर्मा