: भड़ास4मीडिया पर आज शाम पढ़ेंगे दयानंद पांडेय की मीडिया पर केंद्रित एक और कहानी ‘हवाई पट्टी के हवा सिंह’ : बहुत महीन है अखबार का मुलाजिम भी / खुद खबर है पर दूसरों की लिखता है…. राजेश विद्रोही के इस शेर को दयानंद पांडेय कभी – कभी झुठलाने की हठ तो नहीं पर कोशिश ज़रूर करते दीखते हैं। पहले उपन्यास ‘अपने-अपने युद्ध’, फिर ‘मुजरिम चांद’ कहानी और अब आज शाम को प्रस्तुत करने जा रहे हैं ‘हवाई पट्टी के हवा सिंह’ कहानी । दयानंद पांडेय की यह तीनों ही रचनाएं मीडिया जगत के दैनंदिन व्यवहार की कहानी कहते हुए हमें ऐसे लोक में ले जाती हैं जहां लोग रचना के मार्फ़त कम ही ले जाते हैं।
खास कर रिपोर्टिंग को लेकर कहानियां हिंदी में लगभग नहीं हैं। पर ‘मुजरिम चांद’ के बाद अब ‘हवाई पट्टी के हवा सिंह’ कहानी भी खालिस रिपोर्टिंग के पाग में पगी हुई है। जरूर पढिएगा और रिपोर्टिंग की व्यथा के कुछ और तार छूकर अपने को टटोलिएगा। ‘हवाई पट्टी के हवा सिंह’ कहानी प्रसिद्ध पत्रिका कथादेश के अगस्त, 2010 के अंक में अभी प्रकाशित हुई है। भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित हो चुके दनपा के उपन्यास ‘अपने-अपने युद्ध’ और कहानी ‘मुजरिम चांद’ को पढ़ने से चूक गए हैं तो पढ़ने के लिए क्लिक करें-