: नेहा वर्मा ने इस्तीफा नहीं दिया है : ईटीवी के हैदराबाद आफिस में बिहार डेस्क पर तीन साल से काम कर रहे कापी एडिटर मलिका-ए-खुर्शीद ने भी ईटीवी को अलविदा कहने का निर्णय ले लिया है. भराए गए बांड की अवधि पूरी होते ही खुर्शीद ने प्रबंधन को जाब छोड़ने का नोटिस दे दिया है. 20 अगस्त उनका ईटीवी के आफिस में अंतिम दिन होगा.
सूत्रों का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए खुर्शीद से इस्तीफा के निर्णय पर पुनर्विचार को कहा गया है. पर संकेत है कि खुर्शीद ने छोड़ने का पूरा मन बना लिया है. कयास है कि और भी लोग बिहार डेस्क से जा सकते हैं. जो कापी एडिटर हैं, वे परेशान भी हैं. वेतन वृद्धि न होना और रिपोर्टिंग में नए लोगों को रखा जाना उनकी परेशानी का कारण है. रांची में राजेश तोमर, नरेंद्र और पटना में रंजीत को भेजने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि डेस्क के लोगों का ईटीवी में भविष्य अच्छा नहीं है.
ईटीवी के हैदराबाद मुख्यालय में कार्यरत नेहा वर्मा ने सूचित किया है कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है और वे अब भी ईटीवी के साथ हैं व काम कर रही हैं. भड़ास4मीडिया को भेजे एक मेल में नेहा ने बताया है कि वे ईटीवी हैदराबाद में आज भी पैनल प्रोड्यूसर के पद पर कार्यरत हैं.
Ankit
August 3, 2010 at 2:21 pm
khurshid ki rah par bihar desk ke senior kab chalenge?
vikram shah
August 5, 2010 at 6:21 am
खुर्शीद ने बिहार डेस्क से पलायन की शुरुआत भर की है। डेस्क कर्मियों में प्रबंधन से नाराज़गी है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि प्रबंधन की तरफ से ये बार बार संदेश देना कि जिसको जाना है जाय अपनी बला से। इस तरह की प्रवृति से कर्मियों के उत्साह में कमी आती है। हाल ही में हैदराबाद पहुंचे चैनल हेड ने अपरोक्ष रूप से धमकी दी…कि जिसे छोड़कर जाना है जाय। लेकिन संस्थान के बारे में अनौपचारिक तौर पर भी नकारात्मक टिप्पणी न करे। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि पांच पांच हजार में कापी एडिटर मिलते हैं। एक छोड़ कर जाएंगे तो दस ले आएंगे।
लिहाजा ये कहना कि खुर्शीद के जाने से प्रबंधन चिंतित है। सरासर ग़लत है। हां अगर तक़लीफ हुई है तो डेस्क इंचार्ज श्री अमरेंद्र कुमार जी को। व्यक्तिगत तौर पर उनकी नज़र में खुर्शीद अच्छी कार्यकर्ता थीं। और वो काम को लेकर खुर्शीद पर भरोसा भी करते थे।