ईटीवी के वरिष्ठ पत्रकार के साथ काम करने वाली लड़की ने लगाए आरोप, महिला आयोग से की शिकायत : एक लड़की न्यूज चैनल से छुट्टी लेकर घर जाती है। घर पर उसकी तबीयत खराब होती है तो वह छुट्टी बढ़ा लेती है। वह वापस जब काम करने न्यूज चैनल लौटती है तो उसे बिना कोई कारण बताए गुडबॉय बोल दिया जाता है। लड़की अपने मेडिकल सर्टिफिकेट दिखाती है, छुट्टी बढ़ाने की वजह बताती है, लेकिन उसकी एक नहीं सुनी जाती। उसे टर्मिनेशन लेटर थमा दिया जाता है। लड़की सोचती है, उसका टर्मिनेशन छुट्टी बढ़ाने की वजह से हुआ या इमीडिएट बॉस को खुश न कर पाने के कारण। जब उसे लगता है कि उसके साथ दरअसल इमीडिएट बास ने साजिश किया है तो वह महिला आयोग में शिकायत भेज देती है। यह सब कुछ हुआ ईटीवी, हैदराबाद में। लड़की ने अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर भड़ास4मीडिया को अपनी पूरी कहानी बयान की, जो इस प्रकार है-
‘मैंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का कोर्स किया। कोर्स कंप्लीट हो रहा था कि ईटीवी, हैदराबाद में काम करने के लिए आवेदन मांगे जाना का एक विज्ञापन अखबारों में छपा। मैंने और मेरे साथ के छात्रों ने आवेदन कर दिया। टेस्ट वगैरह के बाद मेरा सेलेक्शन हो गया। एक साल से मैं काम कर रही थी, कापी एडिटर पद पर, नेशनल हिंदी डेस्क पर। मेरे इमीडिएट बॉस विनोद श्रीवास्तव थे। मैंने उनके साथ काम करते हुए महसूस किया कि वे काम और क्वालिटी की बजाय, पर्सनल रिश्तों को ज्यादा तवज्जो देते थे। वहां का कल्चर देखकर लगा कि यहां आर्गेनाइजशन के लिए लोग कम काम करते हैं, बॉस को खुश रखने के लिए ज्यादा। जो बास को पर्सनली सैटिसफाइ कर लेता है, वह आगे बढ़ता है। जो पर्सनली सैटिसफाइ नहीं करता, उसे तरह-तरह से परेशान किया जाता है। मैं छुट्टी के लिए आवेदन मंजूर कराकर अपने घर गई। घर पर तबीयत बिगड़ने से मुझे कई दिन और रुकना पड़ा। लौटकर ईटीवी, हैदराबाद पहुंची तो मुझे ज्वाइन नहीं कराया गया। मुझसे कहा गया कि एचआर डिपार्टमेंट में जाकर मिलिए। वहां कई रोज तक मुझे बुलाया जाता रहा। पांचवें दिन टर्मिनेशन लेटर थमा दिया गया। मैंने छुट्टी बढ़ाने से संबंधित मेडिकल कागजात दिखाए पर किसी ने कुछ नहीं सुना-देखा। अब मैं मैनेजमेंट से मिलने की कोशिश कर रही हूं तो कोई मिल नहीं रहा है। मैं अपनी बात रखना चाहती हूं लेकिन कोई मेरा फोन नहीं उठा रहा। ये मेरी पहली नौकरी थी और इसका अंजाम इतना बुरा होगा, मैंने सोचा नहीं था। मुझे लगता है कि मेरी नौकरी छुट्टी बढ़ाने के चलते नहीं बल्कि इमीडिएट बास के नाराज रहने के कारण गई। मेरा स्वभाव ऐसा है कि मैं एक सीमा के बाद अपने पर्सनल लाइफ में किसी को घुसने नहीं देती। मुझे लगता है कि इसी का खामियाजा मुझे भुगतना पड़ा है। मेरे बॉस पहले बिहार डेस्क पर थे और वहां भी जिन्हें उन्होंने पसंद नहीं किया, उसकी नौकरी ले ली। हैदराबाद के महिला आयोग में मैंने पूरे मामले को लिखकर दे दिया है। महिला आयोग ने ईटीवी मैनेजमेंट के लोगों को बुलाकर पूछताछ भी की है। देखिए, मेरा साथ न्याय होता है या नहीं।’
उधर, भड़ास4मीडिया ने इस मसले पर जब ईटीवी, हैदराबाद में नेशनल हिंदी डेस्क के प्रभारी विनोद श्रीवास्तव से बात कि तो उन्होंने अपने उपर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि लड़की की नौकरी जाने में उनकी कोई भूमिका नहीं है। यह मैनेजमेंट और एचआर का फैसला है। उसने 20 दिन की छुट्टी ली थी और लौट कर एक महीने 20 दिन बाद आई। जब वे आईं तो उनकी सारी बातचीत एचआर के लोगों से हुई। रही बात बॉस के खुश रहने या नहीं रहने की तो मेरी उम्र 57 साल हो गई है। मैं पत्रकारिता में आज से नहीं, कई वर्षों से हूं। अब तो ये फैशन सा हो गया है कि किसी लड़की के खिलाफ कोई एक्शन लिया जाए तो वह अपने बास पर तुरंत कोई आरोप लगा दे। मैं बस इतना कह सकता हूं कि मेरी इस मामले में कोई भूमिका नहीं है।