पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर कराने व रुकवाने के अलावा अन्य कामों के लिए डीजीपी व एडीजी को फोन करने वाले फर्जी पत्रकार को पुलिस वालों ने दबोच लिया है। वह इसकी एवज में पुलिस वालों से रुपये ऐंठता था। बागपत के एसपी दीपक कुमार ने बताया कि बागपत के सिपाही रितेश का एक महीने पहले प्रशासनिक आधार पर सोनभद्र ट्रांसफर हुआ था। उसने गाजियाबाद के एक पुलिसकर्मी के माध्यम से मूल रूप से बुलंदशहर के वैरीना गांव निवासी व वर्तमान में गाजियाबाद जिले के श्रद्धापुरम में रहने वाले सतीश कुमार से संपर्क साधा।
सतीश खुद को अंग्रेजी अखबार टाइम्स आफ इंडिया का पत्रकार आलोक सिंह बताता था। उसने रितेश का ट्रांसफर रुकवाने का आश्वासन दिया और इसके लिए सीधे डीजीपी कर्मवीर सिंह को फोन किया। इसके बाद एडीजी अपराध एवं कानून व्यवस्था बृजलाल को फोन किया। उसने आईजी रेंज जावेद अख्तर को भी फोन किया और रितेश का ट्रांसफर रुकवाने के लिए कहा। सतीश अधिकारियों के पास रोजाना फोन कर उन्हें परेशान करने लगा। इस पर एडीजी ने एसपी को मामले की जांच करने के लिए कहा। उसका फोन सर्विलांस पर लगा दिया गया। इसके बाद उसकी सच्चाई सामने आयी। एसओजी ने उसे बातचीत करने के लिए मेरठ बुलाया। वह मेरठ पहुंचा तो एसओजी प्रभारी आरके सिंह व उनकी टीम ने उसे दबोच लिया।
भाइयों का मेरठ कराया ट्रांसफर : सतीश चौ. चरण सिंह विवि, मेरठ से गणित में एमएससी है। वह पहले गाजियाबाद के डीपीएस स्कूल में पढ़ाता था। इस समय अपने ही घर में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता है। उसके तीन भाई पुलिस में हैं, जिनमें एक मोदीनगर, एक मेरठ के टीपीनगर तो दूसरा नौचंदी थाने में तैनात है। इन सभी के ट्रांसफर भी उसने अधिकारियों को फोन करके इसी तरह कराये हैं। काम कराने के लिए वह आईजी मेरठ, डीआईजी मेरठ, पुलिस मुख्यालय आदि को भी फोन करता था।
सतीश कुमार ट्यूशन पढाता है। सतीश पकड़े जाने के बाद मान रहा है कि उसने गलती की है। सतीश की इन करतूतों का खुलासा होने के बाद पुलिस अब उसके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करने में जुटी है ताकि ऐसे धोखेबाजो पर लगाम लग सके।
Sapan Yagyawalkya
March 11, 2010 at 1:30 am
mp main to aise hazaron satish hain.