18 अगस्त की वो रात। बिहार में कोसी पर बने कुसहा बांध के टूटने की खबर आती है। देश के तमाम न्यूज़ चैनल इंटरटेनमेंट चैनलों से छोटे-छोटे क्लिप काटकर हंसी-मजाक, नाच-गाना दिखाकर टीआरपी बटोरने में मशगूल थे। किसी चैनल ने भी बाढ़ की विभीषिका को गंभीरता से नहीं लिया। ऐसे में लोगों के पास बाढ़ के बारे में जानकारी के लिए क्षेत्रीय चैनल से ही उम्मीद थी। सहारा समय बिहार-झारखंड ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में सबसे पहले पहुंचकर लोगों की सुध ली।
पूरे बाढ़ के दौरान अपनी हेल्पलाइन के जरिये, अपने संवाददाताओं के जरिये बाढ़ प्रभावितों तक मदद पहुंचाने की मुहिम में लगे रहे। हमारे संवाददाता बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के हर कोने से लोगों का हाल पहुंचाते रहे। इसके लिए 20 संवाददाताओं की एक टीम लगी हुई थी। इसकी अगुवाई पूर्णिया और सहरसा से चैनल प्रमुख संजय मिश्र कर रहे थे। उनके दिशानिर्देश पर इनपुट डेस्क और आउटपुट डेस्क काम कर रहा था। खास बात ये रही की इस कवरेज के दौरान इनपुट और असाइनमेंट के साथी शिफ्ट के बाद भी काम करते रहें।
जब हमने इस खबर को प्रमुखता से उठाया तो उसके बाद बाकी चैनलों की नज़र भी इस खबर पर गई। लेकिन कुछ दिनों तक बाकी चैनल बाढ़ की ख़बरों पर बने रहे और बाद में इस खबर को ऐसे छोड़ दिया गया जैसे सब कुछ सामान्य हो गया हो लेकिन हमने इस खबर को सिर्फ खबर के तौर पर नहीं लिया बल्कि मुहिम के रूप में लिया। राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव राजकुमार सिंह चैनल के लागातार संपर्क में थे क्योंकि हमारी हेल्पलाइन के जरिए आई प्रभावित इलाकों की हर समस्या से हम उन्हें अवगत कराते रहे और समस्या के निदान के बारे में भी खबर लेते रहे।
अब बाढ़ से प्रभावित लोगों की जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है लेकिन कई जगह पर अभी खतरा बना हुआ है। अब भी हम बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा ले रहे हैं, चाहे वो मेगा कैंप का हाल हो या बाढ़ प्रभावितों के बीच राहत सामाग्री के बंटबारे की बात, हर गतिविधि पर हमारी पैनी नज़र है। हमारी सफलता इसी में है कि आज बिहार-झारखंड के हर घर में हमारे चैनल की चर्चा होती है और आज भी लोग अपनी समस्या को लेकर हमें फोन करते हैं।
लेखक सहारा समय बिहार-झारखंड चैनल में इनपुट प्रमुख हैं। उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है।