इंडिया न्यूज के अपने अनुभव के बारे में हरीश गुप्ता ने कहा कि सवाल किसी एक चैनल का नहीं है. हिंदी के जितने भी न्यूज चैनल निकल रहे हैं, उनके सामने चुनौती है कि वे अपनी पहचान कैसे बनाएं. उनके सामने न्यूज के चैलेंज हैं. उनके सामने डिस्ट्रीव्यूशन का चैलेंज है. इंडिया न्यूज इन चुनौतियों से अलग नहीं है. हम लोगों ने जनमत चैनल शुरू किया तो वह भी आइडिया और कंटेंट के लेवल पर बेहतर था लेकिन उसको चलाने का खर्च इतना ज्यादा था कि उसे सरवाइव करा पाना मुश्किल था. तो मैं ये नहीं मानता कि मेरे एक्सपेरीमेंट फेल हो गए. चैलेंजेज बड़े हैं. चैनल न्यूज की बजाय इंटरटेनमेंट चैनल बनते जा रहे हैं. चैनल वाले भी रास्ता निकाल रहे हैं और सरकार भी इन संकटों पर सोच रही है. नए न्यूज चैनलों को लाइसेंस देने से पहले सरकार सोच रही है. सरकार को चाहिए कि अच्छा चैनल चलाने के लिए दर्शक तक पहुंचने में खर्च होने वाली राशि को कम कराए. कैसे कम दाम में चैनल को दर्शकों तक पहुंचाया जाए, इस पर काम किया जाना चाहिए.
प्रिंट मीडिया में फिर लौटने के सवाल पर हरीश गुप्ता बोले- खबर की हर जगह गुंजाइश है वह चाहे टीवी हो या प्रिंट. जो खबरें हम प्रिंट में कर सकते हैं उसे टीवी में भी कर सकते हैं. करने की गुंजाइश तो हमेशा होती है.
वर्ष 1974 में पत्रकारिता में कदम रखने वाले हरीश गुप्ता हिंदी व अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में और प्रिंट व इलेक्ट्रानिक, दोनों मीडिया में लगातार सक्रिय हैं. वे इंडियन एक्सप्रेस में पांच साल, हिंदुस्तान टाइम्स में तीन साल, इंडिया टुडे में दो साल, ट्रिब्यून में 13 साल, अमृत बाजार पत्रिका में एक साल, दैनिक भास्कर में दो साल तक रहे. हरीश दैनिक भास्कर के नेशनल एडिशन के एडिटर रह चुके हैं. हरीश गुप्ता को देश के पहले चौबीस घंटे के व्यूज चैनल जनमत को लांच करने का श्रेय जाता है. यह वर्ष 2004 की बात है. सब टीवी वाले अधिकारी ब्रदर्स के सौजन्य से लांच हुए इस चैनल में मीडिया की कई हस्तियां हरीश गुप्ता के नेतृत्व में इस चैनल से जुड़ीं. बाद में उन्होंने इनफारमेशन टीवी ग्रुप के न्यूज चैनल इंडिया न्यूज को लांच कराया. रिपोर्टर से एडिटर तक की यात्रा करने वाले हरीश दिल्ली में ही पले बढ़े और पढ़े हैं.
इंडिया न्यूज पर ‘आप और हम’ नामक एक कार्यक्रम के प्रोमो में हरीश गुप्ता कुछ इस अंदाज में नजर आते थे….
Ashishpchoubey
March 18, 2010 at 9:11 pm
देश का दुर्भाग्य है
Vikas Verma
March 19, 2010 at 4:48 pm
Yashwant lagta hai Harish Gupta ki branding ka theka aapne le liya hai?